उत्तर प्रदेश सहित देश के पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के बाद से ही ईवीएम मशीनों पर सवालों की झड़ी सी लगी हुई है. इस मामले में बहुजन समाज पार्टी सहित अन्य ने ईवीएम मशीनों में गड़बड़ी को लेकर देश के सर्वोच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया था. इस मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई को जुलाई तक टाल दिया है.
याचिका में SC से गई है ये मांग-
- 2017 विधानसभा में बीजेपी ने यूपी सहित 4 राज्यों में ऐतिहासिक जीत हासिल की थी.
- जिसके बाद से कई राजनीतिक पार्टियों ने evm मशीनों में छेड़छाड़ और गड़बड़ी की बात कही थी.
- बसपा सहित अन्य की तरफ से इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया गया था.
- दाखिल की गई याचिका में कोर्ट से कई मांग की गई थी.
- जिसके बाद पहली सुनवाई के दौरान ही सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया था.
- नोटिस में कोर्ट ने केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग से जवाब तलब किया था.
- बता दें की दाखिल की गई याचिका में भविष्य चुनाव में EVM बैन करने की मांग की गई थी.
- साथ ही भविष्य में होने वाले चुनाव को बैलेट पेपर से करने की भी मांग की गई थी.
- भविष्य चुनाव में evm इस्तेमाल होने की दशा में सभी जगह ‘वीवीपीएट’ लगवाने की भी मांग की गई है.
क्या है वोटिंग वोटर वेरीफ़ाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल ‘वीवीपीएट’-
- चुनाव के दौरान वोटिंग में EVM के प्रयोग पर वोटर वेरीफ़ाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल ‘वीवीपीएट’ लगाने की मांग की जा रही है.
- बता दें की इस व्यवस्था के तहत वोटर डालने के तुरंत बाद काग़ज़ की एक पर्ची बनती है.
- जिस पर वोट किये गए उम्मीदवार का नाम तथा उसका चुनाव चिह्न छपा होता है.
- ऐसी व्यवस्था से किसी प्रकार का विवाद होने पर ईवीएम में पड़े वोट के साथ पर्ची का मिलान किया जा सकता है.
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Mohammad Zahid
मैं @uttarpradesh.org का पत्रकार हूँ। तथ्यों को लिखने से मुझे कोई रोक नहीं सकता।नवाबों के शहर लखनऊ का हूँ इसलिए बुलंद आवाज़ भी उठाता हूँ तो बड़े एहतराम से....