सुप्रीम कोर्ट आज राम मंदिर विवाद मामले में सुनवाई 15 मई तक बढ़ा दी है.एससी की मुख्य न्याधीश सहित 3 सदस्यीय खंडपीठ आज सभी पक्षों के तर्क सुनने के बाद यह तय करना था कि इस केस को बड़ी खंडपीठ के पास भेजने की जरूरत है या नही.

2010 में HC के फैसले के खिलाफ 13 अपीलों पर सुनवाई:

अयोध्या विवाद के पूरे मामले को संवैधानिक पीठ को सौंपे जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई। अदालत पहले यह तय कर रही थी कि इस भूमि विवाद के मसले को पांच सदस्यीय संविधान पीठ के पास भेजा जाना चाहिए या नहीं।

सुप्रीम कोर्ट में आज अयोध्या जमीन विवाद मामले को लेकर सुनवाई शुरू हो गयी है। शीर्ष कोर्ट इस मामले में 2010 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ 13 अपील की सुनवाई कर रही है। कोर्ट ने अयोध्या की विवादित जमीन को तीन भागों में विभाजित करने का फैसला सुनाया था।

मामले में सुनवाई एससी की 3 न्यायाधीशों की खंडपीठ कर रही है. जिसके मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के अलावा न्यायाधीश अशोक भूषण और न्यायाधीश एसए नाज़ीर शामिल हैं.

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शीर्ष अदालत ने इसके पहले 32 याचिकाओं की सुनवाई खारिज कर दी थी। इनमें श्याम बेनेगल, अपर्णा सेन और तीस्सा सीतलवाड़ की याचिका भी शामिल थी। पिछली सुनवाई के दौरान, तीन न्यायाधीशों की एक खंडपीठ ने अयोध्या मामले में हस्तक्षेप के आवेदन की सुनवाई न करने का निर्देश दिया था।

इस दौरान शीर्ष अदालत ने इस मामले में भाजपा के नेता सुब्रमण्यम स्वामी की हस्तक्षेप याचिका को भी खारिज कर दिया। कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी थी कि वह पक्षकारों के अलावा किसी की भी हस्तक्षेप याचिका पर सुनवाई करने को इच्छुक नहीं है।

क्या है राम जन्मभूमि मामला

इलाहाबाद हाईकोर्ट की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने 30 सितंबर 2010 को दो एक के बहुमत से फैसला सुनाते हुए राम जन्मभूमि को तीन बराबर हिस्सों में राम लला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड मे बांटने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई 2011 को अपीलें विचारार्थ स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी और सभी पक्षों के यथास्थिति कायम रखने के आदेश दिये थे। जो फिलहाल लागू है।

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