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उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों के समायोजन पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का इंतजार 1.72 शिक्षामित्र कर रहे थे.

सुप्रीम का अहम फैसला:

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मिलेंगे दो मौके

  • कोर्ट ने कहा है कि समायोजित किए गए 1.72 लाख शिक्षामित्र नहीं हटाए जाएंगे।
  • लेकिन, उन्हें भतिर्यों के लिए दो मौके मिलेंगे जिसके अंदर उन्हें परीक्षा पास करनी होगी, इसमें उन्हें अनुभव का भी वेटेज मिलेगा।
  • इसके साथ ही टीइटी वालों को भी राहत मिली है।
  • उनका अकादमिक रिकॉर्ड देखा जाएगा।
  • उत्तर प्रदेश में 1.72 लाख शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजित करना है।
  • आपको बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों का समायोजन निरस्त कर दिया था।
  • इसके बाद शिक्षामित्र इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए थे।
  • बीते 17 मई को सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जो भी पक्षकार लिखित रूप से अपना पक्ष रखना चाहता है वह एक हफ्ते के भीतर रख सकते हैं।

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  • अधिकतर वकीलों का कहना था कि शिक्षामित्र वर्षों से काम कर रहे हैं, लेकिन अब तक उनका भविष्य अधर में है।
  • शिक्षामित्रों की ओर से सलमान खुर्शीद, अमित सिब्बल सहित कई वरिष्ठ वकीलों ने अपनी ओर से दलीलें पेश की थी।
  • ऐसे में उन्हें सहायक शिक्षक के तौर पर जारी रखा जाए।
  • उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई कि वह संविधान के अनुच्छेद-142 का इस्तेमाल कर शिक्षामित्रों को राहत दें।
  • शिक्षामित्र स्नातक बीटीसी और टीईटी पास हैं। कई ऐसे हैं जो करीब 10 सालों से काम कर रहे हैं।
  • वहीं शिक्षामित्रों की ओर से वकील ने कहा कि यह कहना गलत है कि शिक्षामित्रों को नियमित किया गया है।

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  • उन्होंने कहा कि सहायक शिक्षकों के रूप में उनकी नियुक्ति हुई है।
  • वकीलों का कहना था कि राज्य में शिक्षकों की कमी को ध्यान में रखते हुए स्कीम के तहत शिक्षामित्रों की नियुक्ति हुई थी।
  • लेकिन ये नियुक्ति गलत ढंग से हुई है।

क्या था मामला

  • गौरतलब है कि 12 सिंतबर 2015 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के करीब 1.72 लाख शिक्षामित्रों का सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजन को निरस्त कर दिया था।
  • इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।

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