उत्तर प्रदेश के इटावा, हाथरस सहित कई जिलों में आक्रोशित किसानों द्वारा कुंतलों सड़क पर आलू फेंकने की आंच शनिवार सुबह राजधानी लखनऊ आ पहुंची। शुक्रवार की रात से किसानों ने यूपी विधानसभा, राजभवन और सीएम आवास के बाहर किसानों ने रातभर आलू फेंककर सरकार के खिलाफ नाराजगी जाहिर की लेकिन इस दौरान पुलिस प्रशासन सोता रहा।

शनिवार सुबह-सुबह सड़क पर इतनी ज्यादा मात्रा में आलू देखकर पुलिस व प्रशासन महकमे में हड़कंप मच गया। कार्रवाई के डर से अधिकारी खुद से आलू उठवा रहे हैं। इस दौरान कुंतलों आलू वाहनों के पहियों में दबकर बर्बाद हो गए। किसानों ने आलू फेंककर विरोध प्रदर्शन करते हुए कहा कि इस समय प्रति किलो आलू की कीमत 4 रुपए मिल रही है जबकि उनकी मांग है कि कम से कम 10 रुपए प्रति किलो आलू के दाम मिले।

120 लाख मीट्रिक टन आलू राज्य से बाहर गया

आलू फेंकने के इस मामले पर कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि विपक्ष योगी सरकार को बदमान करने की साजिश रच रहा है। इतनी मात्रा में आलू अचानक कहां से आया इसकी जांच होगी। उन्होंने कहा कि सड़े आलू सड़कों पर फेंकवाकर सरकार को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है।

इस मामले में उन्होंने कहा कि अगर किसान आलू बाहर लेकर जाता है तो उसे 200 रुपये प्रति कुंतल या 25 परसेंट जो अधिकतम होगा वो भाड़े में छूट दी गई है। 2 प्रतिशत मंडी समिति ने छूट दी है। आधा परसेंट शेष में छूट दी गई है। इतना बड़ा काम पिछली सरकारों ने कभी आलू किसानों के हित में नहीं किया। यही वजह है कि 120 लाख मीट्रिक टन आलू राज्य से बाहर चला गया। उन्होंने कहा कि राज्य में अब पुराना आलू नहीं बचा है।

रात भर सोती रही पुलिस

शहर भर में खुद को हाईटेक होने का दावा करने वाली पुलिस और खुफिया विभाग रात में गश्त करने के बजाय सोती रही। किसान रात में सड़कों पर आलू उड़ेलते रहे लेकिन इसकी भनक जिला प्रशासन को भी नहीं लग पाई। हालांकि मीडिया के जरिये जब मामले ने तूल पकड़ा तो एसएसपी दीपक कुमार ने कहा कि आलू फेंकने वालों किसानों और वाहनों की पहचान हो गई हैं। उन्होंने कहा कि उचित धाराओं के तहत इन लोगों के खिलाफ केस दर्ज करके कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल सरकार के रवैये से आलू किसान काफी नाराज हैं और लगातार आलू की कीमतों में वृद्धि की मांग कर रहे हैं।

 

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