प्रधानमंत्री स्वच्छता अभियान को जितनी गंभीरता से सीएम योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री मोदी ले रहे हैं उतने गंभीर शायद उनके अधिकारी नहीं हैं। यही वजह है कि स्वच्छता अभियान में लगे सफाईकर्मी अपने लक्ष्य से भटक चुके हैं और वह सफाई करने के बजाय अधिकारियों के निजी काम करने में व्यस्त रहते हैं। यहीं वजह है कि सफाईकर्मियों को अभियान को सार्थक बनाने का समय ही नहीं मिल पा रहा है। अब इसमें गलती किसकी है यह तो नहीं बताया जा सकता है लेकिन इतना जरुर है कि भाजपा सरकार के वे अधिकारी इसके लिए जरुर जिम्मेदार हैं जो कि उन सफाईकर्मियों से काम ले रहे हैं जिनके लिए स्वच्छता अभियान ही प्राथमिकता थी।

सफाई व्यवस्था ध्वस्त,आराम फरमा रहे अधिकारी

  •  प्रधानमंत्री स्वच्छता अभियान का  सच जो दिखता है वह हैं नहीं।
  • यहीं वजह है भाजपा सरकार के आने के इतने समय के बाद भी सफाई व्यवस्था ध्वस्त है।
  • कहने को तो हर जिले और ब्लॉक में सफाई के लिए सफाईकर्मियों की तैनाती की गयी है।
  •  मगर सच्चाई ये है की यह बात सिर्फ कागजों तक ही सीमित है।
  • हर ब्लॉक में कागजों पर तो सफाईकर्मी तैनात हैं।
  • लेकिन यदि आप हकीकत से रुबरु होना चाहते हैं तो एक बार इन जगहों पर जरुर जाएं।
  • वहां आपको  अधिकारी अभियान की धज्जियां उड़ाते नजर आएंगे ।
  • जिन सफाईकर्मियों का काम गंदगी साफ करना था वह अधिकारियों की चाकरी में व्यस्त  हैं।
  • ये  सफाईकर्मी ब्लॉक से लेकर लखनफ मुख्यालय तक संबद्ध हैं।
  • उनमें से कुछ जहां साहब का खाना बना रहें हैं तो बाकी अर्दली और डाइवर हैं।
  • सफाईकर्मियों की मजबूरी यह है कि उन्हें साहब के काम से फुर्सत ही नहीं मिलती हैं।
  • ऐसे में वह -भला कैसे कोई और काम कर सकते हैं।
  • जिले के करीब 150 सफाईकर्मी ऐसे हैं जो कि अपने मूल काम से भटक गए हैं।
  • सफाईकर्मियों का आलम यह है कि वे सीडीओ, डीडीओ, पीडी और डीपीआरओ के घरों और कार्यालयों के साथ ही मनरेगा के काम में लगे हैं।
  • यहीं कारण ही जिले में गंदगी का वास है और सफाई व्यवस्था ध्वस्त है।
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