प्रतिवर्ष की भांति इस साल भी 12 जनवरी को स्वामी विवेकानन्द की जयंती पूरे देश में मनाई गई। राजधानी लखनऊ के अमीनाबाद स्थित झण्डेवालापार्क में स्वामी विवेकानन्द की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। इस पर पूर्व नेता विधान परिषद विन्ध्यवासिनी कुमार ने बताया कि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उप्र के राज्यपाल राम नाईक, उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा, केशव प्रसाद मौर्या, कैबिनेट मंत्री बृजेश पाठक, गोपाल जी टंडन, मेयर संयुक्ता भाटिया सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे। राज्यपाल और डिप्टी सीएम ने स्वामी विवेकांनद के जीवन पर प्रकाश डाला।

राज्यपाल रामनाईक ने कहा कि भारत सरकार ने 1984 में स्वामी विवेकानंद की जयंती पर इसे मनाने की घोषणा की थी। इस वर्ष स्वामी विवेकानंद की 155वीं जन्मतिथि है। स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। उनके पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट में एक प्रसिद्ध वकील थे। उनकी मां भुनवेश्वरी देवी गृहिणी थीं।

विवेकानंद के दादा दुर्गाचरण दत्त संस्कृत और फारसी के ज्ञाता थे। स्वामी रामकृष्ण परमहंस के संपर्क में आने के बाद विवेकानंद ने अपना परिवार 25 साल की उम्र में ही छोड़कर सन्यास ले लिया था। माना जाता है कि वो बचनप से ही कुशाग्र बुद्धि और नटखट थे। इसी के साथ वो धार्मिक विचारधारा वाले थे, हर दिन के नियम में उनके पूजा-पाठ शामिल था। विवेकानंद की माता धार्मिक प्रवृत्ति की थीं जिस कारण उन्हें पुराण, रामायण, महाभारत आदि की कथा सुनने का बहुत शौक था। परिवार के धार्मिक और आध्यात्मिक वातावरण का प्रभाव बाल नरेंद्र के मन में बचपन से ही ईश्वर को जानने और उसे प्राप्त करने की लालसा दिखाई देती थी। राज्यपाल ने कि आज के युवा स्वामी विवेकानंद के बताये रास्ते पर चलने की कोशिश कर रहे हैं। उनके आदर्शों पर चलना युवाओं को बेहद अच्छा लग रहा है। कार्यक्रम के दौरान भारी संख्या में लोग मौजूद रहे।

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