• सूबे में प्रशासनिक अधिकारियों की कारगुजारियों का खेल रूकने का नाम नहीं ले रहा है, अब प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों का एक बड़ा घोटाला सामने आया है।
  • केंद्र सरकार ने वर्ष 2009 से 2011 के बीच कानपुर मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर मेडिकल कॉलेज, झांसी मेडिकल कॉलेज और इलाहाबाद मेडिकल कॉलेज को स्वाइन फ्लू से निपटने के लिए विशेष बजट का आंवटन किया था। जिसके तहत प्रत्येक मेडिकल कॉलेज को 1 करोड़ 80 लाख रूपये दिये गये थे।
  • इन जिलों में स्वाइन फ्लू के मरीज मौत से जूझ रहे थे, लेकिन अधिकारियों ने स्वाइन फ्लू से निपटने के लिए उपलब्ध कराये गए बजट मनमाने ढ़ग से खर्च कर दिया।
  • इन जिलों के मेडिकल कॉलेजों में स्वाइन फ्लू से निपटने के लिए दवा, इंजेक्शन और मास्क खरीदने के लिए भेजे गए बजट से कहीं इमारत की मरम्मत करवा ली, कहीं फर्नीचर खरीद लिया गया तो कहीं संविदा कर्मचारियों को वेतन बांट दिया गया।
  • समय के साथ स्वाइन फ्लू तो खत्म हो गया, लेकिन अधिकारी असंवेदनशील बने रहें, और बजट का सही उपयोग नहीं कर सके। केवल इलाहाबाद मेडिकल कॉलेज ने पूरा बजट वापस कर दिया, शेष सभी कॉलेजों ने मनमाने तरीके से खर्च कर डाला।
  • आरोप पत्र जारी होने के बाद गड़बड़ी के जिम्मेदार डॉक्टरों को बचाने की कवायद भी शुरू हो गई है। चार मेडिकल कॉलेजों में तीन के तत्कालीन प्रिंसिपलों के खिलाफ पत्र भेज दिए गए। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी आरोप पत्र दबाए बैठे हैं। एक अधिकारी ने तो चार्जशीट की बात को ही नकार दिया।
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