स्वास्थ्य विभाग के दावे हर साल की तरह इस साल भी खोखले ही साबित हो रहे हैं। राजधानी में अब तक स्वाइन फ्लू का आंकडा 2000 के पार हो चुका है। बावजूद इसके सीएमओ की ओर से कोई कड़ी कार्यवाही होती नहीं दिख रही है।

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महिला अस्पताल में नहीं हैं इंतजाम

  • राजधानी लखनऊ में तमाम वादों के बावजूद डेंगू और स्वाइन फ्लू का कहर जारी रहा।
  • जिससे अब तक लगातार मरीजों की मौत हो रही है।
  • वहीं स्वाइन फ्लू के मरीजों का आंकड़ा 2000 के पार हो चुका है।
  • इसमें सबसे ज्यादा मरने वाले मरीजों में स्वाइन फ्लू से पीड़ित मरीज हैं।
  • स्वाइन फ्लू से मरने वाले मरीजों की संख्या अब तक 50 हो चुकी है।
  • बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग इस ओर गंभीर नहीं दिखायी दे रहा है।
  • आपको बता दें कि राजधानी में कुल नौ बाल महिला चिकित्सालय हैं।
  • दिलचस्प बात ये है कि इनमें से किसी भी अस्पताल में स्वाइन फ्लू से बचाव की दवा मौजूद नहीं है।
  • साथ ही किसी भी सीएचसी और पीएचसी में भी स्वाइन फ्लू से बचाव के इंतजाम नहीं किए गए हैं।
  • योगी सरकार की सख्ती के कारण सीएमओ जीएस बाजपेई मामले में हर वक्त लीपापोती करते हुए देखे जा सकते हैं।

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  • जानकारी के मुताबिक प्रदेश में सबसे ज्यादा मरीज लखनऊ के ही हैं।
  • केजीएमयू में स्वाइन फ्लू मरीजों के लिए अलग से वार्ड की व्यवस्था की गयी है।
  • साथ ही मरीजों के तीमारदारों को वार्ड में जाने से पहले उन्हें टेमी फ्लू दवा देने की भी हिदायत दी गयी है।
  • ताकि मरीजों के तीमारदारों को स्वाइन फ्लू से बचाया जा सके।
  • लेकिन, इस नियम का पालन भी ठीक से होता दिखायी नहीं दे रहा है।
  • सरकारी अस्पतालों में मरीज हालत बिगड़ने पर पहुंच रहे हैं जिससे उन्हें बचाना मुश्किल हो रहा है।

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