प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में भर्ती होने वाले स्वाइन फ्लू के मरीजों के इलाज के लिए केवल उन्हीं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को लगाया जाय, जिन्हें स्वाइन फ्लू के टीके लगाये जा चुके हैं। ये निर्देश उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य प्रशांत त्रिवेदी ने अपर मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा, अनिता भटनागर जैन को दिए हैं। राजधानी में स्वाइन फ्लू से हो रही मौतों के कारण ये निर्णय लिया गया है।

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ऐसे मरीजों के लिए हो अलग वार्ड

  • प्रदेश में अब तक स्वाइन फ्लू से काफी लोगों की जान जा चुकी है।
  • ऐसे में प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों,केजीएमयू एवं एसजीपीजीआई को निर्देश हुई हैं।
  • आदेशानुसार जहां से भी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के स्वाइन फ्लू से ग्रस्त होने की सूचना प्राप्त हुई है।
  • वहां सभी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को तत्काल स्वाइन फ्लू के टीके लगवाये जाये।
  • पत्र में यह भी कहा है कि सभी मेडिकल कॉलेजों में स्वाइन फ्लू के मरीजों के उपचार के लिए एक आइसोलेटेड वार्ड बने।
  • पत्र में डेंगू तथा अन्य वेक्टर जनित रोगों को शासन द्वारा अधिसूचना जारी कर नोटिफियेबिल डिजीज घोषित किया है।
  • जिसके अन्तर्गत सभी चिकित्सालयों और निजी नर्सिंग होम को इन रोगों से ग्रस्त मरीजों की सूचना जनपद के Cmo को दी जानी है।
  • इसके अलावा जांच की सुविधा मेडिकल कॉलेज में उपलब्ध करने का भी आदेश हुआ है।
  • साथ ही यदि किसी मेडिकल कॉलेज में ये सुविधा उपलब्ध नहीं है।
  • तो सैम्पल निकट के मेडिकल कॉलेज भेजकर टेस्ट कराना सुनिश्चित कराये जाने का अनुरोध किया गया हैै।

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रखें इन बातें का ध्यान

  • चेहरे पर मास्क लगाना
  • हर बार साबुन से हाथ धुलना
  • सभी मेडिकल कालेजों में सर्जिकल मास्क
  • एन 95 मास्क, टैमीफ्लू टैबलेट
  • पीपीई किट, वैक्सीन एवं अन्य उपचार सामग्री रखें
  • हर अस्पताल में ऐसे मरीजों का अलग वार्ड हो।

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