भारत का संविधान सभी को अपनी बात रखने का पूरा अधिकार देता है, संविधान में बाकायदा इसका प्रावधान भी किया गया है ‘अभिव्यक्ति की आजादी’ के नाम से। लेकिन इस बात में भी उतनी ही सच्चाई है कि, भारत में किसी को भी अभिव्यक्ति की आजादी का सही अर्थ भी नहीं पता है। एक आम नागरिक जो अपनी रोजमर्रा की ज़िन्दगी की समस्याओं से लड़ने में व्यस्त होता है, उसे अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब नहीं पता है तो ऐसा माना जा सकता है, लेकिन तब आप क्या कहेंगे जब एक कानून का रखवाला ही ‘अभिव्यक्ति की आजादी’ के नाम पर अपनी भड़ास निकालना शुरू कर दे? उत्तर प्रदेश पुलिस में ऐसे एक महानुभाव(tanvir khan) मौजूद हैं, जो अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर राज्य सरकार को सांप्रदायिक चश्मे से देख रहे हैं। न सिर्फ देख रहे हैं बल्कि सोशल मीडिया पर उसका प्रदर्शन भी कर रहे हैं।

बरेली जिले के क्षेत्राधिकारी(डिप्टी एसपी) तनवीर खान के विवादित बोल(tanvir khan):

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मदरसों में राष्ट्रीय गान के आदेश को लेकर सरकार पर हमला(tanvir khan):

  • यूपी पुलिस के डिप्टी एसपी तनवीर खान मौजूदा समय में बरेली जिले में तैनात हैं।
  • अभी हाल ही में उन्होंने बरेली जिले के क्षेत्राधिकारी के तौर पर कार्यभार संभाला है।
  • बीते 15 अगस्त को लेकर योगी सरकार ने एक आदेश जारी किया था।
  • आदेश के मुताबिक, यूपी के सभी मदरसों में स्वतंत्रता दिवस मनाये जाने के आदेश दिए गए थे।
  • साथ ही कहा गया था कि, पूरे कार्यक्रम की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी भी की जाये।
  • सरकार के इस आदेश का शायद डिप्टी एसपी तनवीर खान बुरा मान गए।
  • दरअसल तनवीर खान ने सोशल मीडिया पर इस आदेश को लेकर सरकार को खूब खरी-खोटी सुनाई।
  • बात यह बड़ी नहीं है, अभिव्यक्ति की आजादी है, कोई भी अपनी बात कह सकता है।
  • लेकिन UP Police के डिप्टी एसपी ने उस दौरान जो भाषा इस्तेमाल की है, उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
  • तनवीर खान ने एक वीडियो पोस्ट करते हुए उसका कैप्शन लिखा है कि,
  • “जरूरी नहीं आदेश 15 अगस्त मनाने का, दो साल पहले भी एक मदरसे में मनाया गया था जब मैं बस्ती में तैनात था, देख लो आंख फाड़ कर सुअरों कितना बांटोगे हमें”।

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अगले पोस्ट में डिप्टी SP साहब भावनाओं में बह गये और CM को सांभा बोल बैठे(tanvir khan):

  • अपनी अगली फेसबुक पोस्ट पर तनवीर खान अपने तबादले का रोना रोते हुए सरकार को खरी-खोटी सुना रहे हैं।
  • डिप्टी SP साहब लिखते हैं कि, ” और अंततः …………जनपद बरेली में Join कर ही लिया”।
  • सर्वथा नया शहर और अपरिचित लोग, लेकिन प्रशंसा करता हूं इस शहर की और यहां के लोगो की।
  • इतना आदर और सम्मान दो चार दिन में मिला जो काबिले-तारीफ है।
  • साफ सुथरा शहर तहजीब वाले लोग।
  • ताज्जुब होता है गोरखपुर को देख के, टूटी सडकें, बजबजाती नालियां, अतिक्रमण, जाम गंदगी, मुख्यमंत्री जी का शहर?
  • सब शुभचिंतकों की दुआ रही है मेरे पूर्व पोस्ट पर आपके टिप्पणियों से साहस मिला है।
  • अब देखते हैं कितने दिनों का प्रवास होता है यहां।
  • शासन और विभाग तो नचाने पर लगा है।
  • एक गीत है…..हां जब तक है जां जानेजहां मैं नाचूंगी,
  • देखो हमें भी हेमा मालिनी तुम्हें तो गब्बर नचाया था हमें “सांभा” नचा रहा है।

ये कैसी अभिव्यक्ति की आजादी(tanvir khan):

  • एक पुलिसवाले का तबादले से दुखी होकर मुख्यमंत्री को सांभा बताना कहाँ तक न्यायसंगत है।
  • मान सकते हैं कि, डिप्टी SP भाजपा को साम्प्रदायिकता के चश्मे से देखते होंगे, इसीलिए डिप्टी SP साहब ने अपनी पोस्ट में सुअरों लिखा होगा।
  • लेकिन एक पुलिसवाले होने के नाते क्या डिप्टी SP साहब को इस तरह की भाषा इस्तेमाल करनी चाहिए?
  • जबकि यूपी पुलिस अपनी हरकतों की वजह से पहले से ही इतनी बदनाम है।
  • संविधान का रक्षक जब दूसरे संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के लिए इस तरह के शब्दों या उदाहरण का इस्तेमाल करता है तो,
  • यह मामला बिल्कुल भी ‘अभिव्यक्ति की आजादी’ का नहीं रह जाता है।
  • तनवीर खान के ऐसे ही कई पोस्ट और भी हैं, जो आप उनकी फेसबुक वॉल पर पढ़ सकते हैं।

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