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टाटा स्टील और आईआईएम लखनऊ ने मिल कर रचा षड्यंत्र: अमित कुमार

अमित कुमार ने आरोप लगाया कि टाटा स्टील कम्पनी ने उसे पढ़ने से रोकने के लिए आईआईएम लखनऊ के साथ मिल कर उसे फेल करवाया. जिसके बाद उसका भविष्य बर्बाद कर उसपर कम्पनी में एक वर्कर के तौर पर काम करने का दबाव बनाया.

IIM लखनऊ और टाटा स्टील प्रबंधन पर अमित ने लगाये आरोप:

एक लड़का अपने परिवार की माली हालत के चलते 10वीं पास होते ही एक नामी फैक्ट्री में काम करना शुरू करता हैं. काम के साथ अपनी आय से 12वीं पढ़ाई भी पूरी करता है.

उस लड़के के सपने सिर्फ फैक्ट्री में एक वर्कर बनकर रहना न होकर अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने के साथ अपना भविष्य संवारना था.

इसके चलते लड़का कैट की तैयारी शुरू करता हैं और अपनी मेहनत के दम पर कैट 2014-15 को पास करता हैं. लडके को आईआईएम रोहतक में सीट भी मिल जाती है.

अपने सपनों को उड़ान देने के लिए लड़का अपनी कम्पनी से स्टडी लीव मांगता है पर उसे मिलता क्या है? धोखा, उसके भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वालो का षड्यंत्र.

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क्या है मामला:

लखनऊ के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट का एक बहुत ही क्रूर चेहरा सामने आया है. इंस्टीट्यूट के छात्र अमित कुमार ने आईआईएम लखनऊ के प्रोफेसर डॉ जमशेद जिजी ईरानी और टाटा स्टील एचआर की प्रताड़ना का खुलासा किया है.

अमित ने कहा, ‘टाटा स्टील एचआर और कॉलेज प्रशासन मुझे जबदस्ती परेशान कर रहे है और मुझे टाटा स्टील लिमिटेड जमशेदपुर में एक कर्मचारी के रूप में वापस जाने के लिए मजबूर किया गया है.

अध्ययन अवकास देने में कम्पनी की आनाकानी:

अपना फैमिली बैकग्राउंड अच्छा न होने की वजह से अमित ने टाटा स्टील लिमिटेड में फैक्ट्री वर्कर की तरह काम करना शुरू किया और कंपनी से जो भी पैसे मिले, उससे उसने अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखी. फैक्ट्री में काम करने दौरान ही अमित ने अपना इंटर पूरा किया. जिसके बाद अमित ने उच्च शिक्षा के लिए CAT 2014-15 का एग्जाम दिया.

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एचआर ने नौकरी छोड़ने की दी सलाह:

जिसमे वो पास हो गया और उसका सिलेक्शन आईआईएम रोहतक में हो गया. लेकिन जब अमित ने ये बात अपने कंपनी में बताई तो मैनेजमेंट छुट्टी देने में आना कानी करने लगी. टाटा स्टील के एचआर मैनेजर रोहन कुमार ने यहाँ तक कहा की नौकरी छोड़कर पढाई करनी है तो कर लो.

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स्टडी लीव आवेदन के बाद IIM लखनऊ में पढ़ने पर दबाव:

जब कंपनी के एचआरएम संदीप धीर ने अमित से पूछा की उसका सेलेक्शन कहा हुआ है तो उसने रोहतक बताया. जिसके बाद कंपनी की तरफ से अमित को लखनऊ में एडमिशन लेने को कहा गया. अमित के आईआईएम लखनऊ लिस्ट में नाम ना होने के बात कहने उससे कहा गया कि लिस्ट में नाम आ जायेगा. जिसके 2 दिन बाद ही अमित का एडमिशन लखनऊ आईआईएम हो गया. इससे ये साफ़ था कॉलेज और कंपनी की पहले से ही साथ गाठ थी.

यहाँ ये बताना जरुरी है कि अमित ने स्टडी लीव के लिए अनुरोध पत्र 10 जून 2015 को दिया था जबकि 12 जून को आई आई एम लखनऊ की चौथी सूची जारी हुई थी. जो भी कम्पनी के अमित को लखनऊ में दलिखा लेने वाले दबाव के बाद जारी हुई थी.

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IIM लखनऊ के प्रोफेसरों ने किया फेल:

अमित ने बताया की शुरुआत से ही कॉलेज के प्रोफ़ेसर और टीचर्स का रवैया उसके प्रति अच्छा नहीं था. यहाँ तक की प्रोफेसर उसको एग्जाम में फ़ैल करने और जीरो देने की धमकी भी देते थे. पहले सेमेस्टर में जब अमित ने एग्जाम दिया तो उसको एग्जाम में जीरो दे दिया गया. लेकिन अमित ने हार नहीं मानी. उसके बाद उसने दूसरी बार भी एग्जाम दिया लेकिन इस बार भी उसको एग्जाम में फेल कर दिया गया.

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जीजी इरानी ने पद से हटने का बोला झूठ:

कई बार कॉलेज के प्रोफेसरों द्वारा उसके साथ किये इस कृत्य के खिलाफ उसने कॉलेज प्रशासन के उच्चाधिकारियों से मेल के जरिये शिकायतें कि लेकिन पीजीपी चेयरमैन ने उसका कॉलेज आईडी ही ब्लाक करवा दी. अंत में 2 बार लगातार फेल होने की वजह से अमित फिर से पढ़ाई नही कर सकता था

जीजी इरानी पर लगाया अमित ने षड्यंत्र का आरोप:

अमित ने आरटीआई दायर की, जिससे वह परीक्षा की अपनी कापियां देख सके, लेकिन उसे कॉलेज के नियम कानून बता कर कॉपी नहीं दिखाई गयी. इसके बाद उसने जमशेद जीजी इरानी जो कि आईआईएम लखनऊ के बोर्ड ऑफ़ गवर्नेंस के चेयरमैन थे, को भी शिकायती मेल किया. लेकिन जीजी इरानी ने अमित को ये कह कर ताल दिया कि वो कुछ नहीं कर सकते क्योंकि वो अब इस पद पर कार्यरत नहीं हैं. जबकि ये बात सरासर झूठ थी.

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उत्तर पुस्तिका ना दिखाने का नया नियम:

अमित को होस्टल से निकाल दिया गया और कॉलेज से भी. अमित ने किसी तरह अपना सामान समेटा और जमशेदपुर वापस चला गया. इसी के साथ उसने सभी ईमेल और अन्य साक्ष्य दस्तावेजों की कॉपी बना कर अपने पास रख ली.

अमित ने हार नहीं मानी और 28 फरवरी 2017 को एमएचआरडी (मानव संसाधन विकास मंत्रालय) में शिकायत की. शिकायत दर्ज कराने के तुरंत बाद, अमित को आईआईएम लखनऊ की छात्र परिषद से एक ईमेल प्राप्त हुआ कि अगर वो हस्तलिखित आवेदन जमा करते हैं, तो अमित को शुरुआत से पाठ्यक्रम दोहराने की अनुमति मिल जाएगी.

जबकि अमित एमएचआरडी में शिकायत करने पहले ही दोबारा शुरुआत से पाठ्यक्रम को दोहराने का आवेदन कर चुका था, जिसपर पीजीपी अध्यक्ष ने उसे सूचित किया कि संस्थान के नियमों के तहत यह असंभव है. अमित ने बताया कि उसके टर्मिनेशन पत्र पर भी कॉलेज का यहीं नियम दिया हुआ था कि छात्र के दो बार विफल होने पर, वह पाठ्यक्रम दोहराने के लिए आवेदन नहीं कर सकता.

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आरटीआई की दायर:

जिसके बाद शिकायत दर्ज करने के एक महीने बाद अमित को सीएओ विश्व रंजन से जवाब मिला कि संस्थान के नियमों में उल्लेखित है कि उसकी उत्तर पुस्तिका का पुनर्मूल्यांकन नहीं किया जाएगा।

अमित ने एमएचआरडी के सभी अधिकारियों से इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया, लेकिन किसी ने भी जवाब नहीं दिया.

कॉलेज के अपारदर्शी नियम:

केन्द्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 के तहत पारदर्शिता बढ़ाने के लिए नियम बनाए जाने चाहिए. लेकिन संस्थान ने पारदर्शिता को कम करने के लिए कुछ नए नियम बनाए। इन नियमों को केवल अनुचित मूल्यांकन को छिपाने के लिए बनाया गया था.

अमित ने पुनः आरटीआई दायर की जिसे फिर से अस्वीकार कर दिया गया और लौटा दिया गया। इससे ये साफ़ हो गया कि आईआईएम लखनऊ के अधिकारियों ने भ्रष्ट और अवैध कार्यों को छिपाने के लिए इस मामले में तथ्यों को छिपाने की अपनी पूरी कोशिश कर रहे थे।

अमित ने केंद्रीय सूचना आयोग को दूसरी अपील और शिकायत दायर की, जिसका उत्तर उन्हें अभी तक नहीं मिला है.

टाटा स्टील ने काम पर आने का बनाया दबाव:

इन सब के बीच एक दिन टाटा स्टील के वरिष्ठ प्रबंधक एचआरएम विकास कुमार ने अमित को फोन कर कोर्स में फेल होंने पर दोबारा नौकरी ज्वाइन करने के लिए कहा. पहले अमित को आश्चर्य हुआ कि बिना बताएं सीनियर मैनेजर को कैसे पता चला कि वो फेल हो चुका है लेकिन उस दौरान इन सब से ज्यादा नौकरी ना होने का डर था जिसकी वजह से अमित ने दबाव में पुनः 15 मार्च 2017 को टाटा स्टील में नौकरी ज्वाइन कर ली.

इसके लिए उनसे ईमेल कर सूचित करने को कहा गया.अमित से कहा गया कि वो आवेदन में ये बताएं कि वो अपनी गलती से फेल हुए हैं इसलिए स्टडी लीव समाप्त कर पुनः नौकरी ज्वाइन करना चाहते हैं. जिसके बाद नौकरी पर जाने पर उनसे कागज पर फिर से ये लिखवाया गया.

सीनियर मैनेजर ने कम्पनी और कॉलेज की योजना को कबूला:

अमित ने बताया कि जब वह दोबारा काम पर लग गये तो एक दिन सीनियर मेनेजर विकास कुमार ने उन्हें बताया कि कैसे आईआईएम लखनऊ में दाखिले से पहले ही उसे फेल करवाने की योजना टाटा स्टील ने बनाई थी.

विकास कुमार ने अमित को चेतावनी भी दी कि टाटा स्टील का प्रबंधन बहुत शक्तिशाली है और अगर कॉलेज द्वारा मेरे टर्मिनेशन आर्डर के खिलाफ शिकायतें करना बंद नहीं किया तो  उसे गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ेगा।

अमित बुरी तरह से डर चुका था क्योंकि उसे आशंका थी कि उसे फैक्ट्री में मरवाया भी जा सकता है. जिसको लेकर उसने उच्चाधिकारियों से शिकायत की. अमित ने एमडी और पीईओ को सूचित किया और मामला हल होने तक 30 अप्रैल 2017 से काम बंद कर दिया.

टाटा स्टील लिमिटेड के कोक प्लाट के प्रमुख ने काम में अनुपस्थिति पर चार्टशीट जारी करवा दी. सीनियर मैनेजर ने अमित को इस्तीफा देने का दबाव बनाते हुए जान से मारने की धमकी दी.

नौकरी से इस्तीफे का दबाव:

अंत में अमित को नौकरी छोड़ने के अलावा कोई रास्ता समझ नहीं आया. अमित ने टीवी नरेंद्र और जमशेद जीजी इरानी को क़ानूनी नोटिस जारी कर अमित के भविष्य निधि और अन्य बकाया राशि को सुलझाने का अनिरोध किया.

 टाटा स्टील के निदेशक, जीजी इरानी को कानूनी नोटिस :

अमित ने टाटा स्टील लिमिटेड के प्रबंध निदेशक टीवी नरेंद्रन, टाटा स्टील लिमिटेड के पूर्व प्रबंध निदेशक और आईआईएम लखनऊ, प्रबंधन बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. जमशेद जीजी इरानी व आईआईएम लखनऊ के निदेशक डॉ अजीत प्रसाद को कानूनी नोटिस दी।  जिसका अभी तक कोई जवाब नहीं आया हैं.

जिसके बाद 200 मई 2017 को अविनीश गुप्ता ने आरोपों से इनकार करते हुए एक ईमेल के माध्यम से अमित की शिकायत का जवाब देते हुए उन्हें तुरंत टाटा स्टील लिमिटेड में नौकरी में शामिल होने की सलाह दी।

मुकदमा दायर करने के बाद अब तक कार्रवाई नहीं:

उसी दिन राष्ट्रीय मानव संसाधन आयोग (एनएचआरसी), जहां अमित ने केस नंबर 14056/24/48/2017 के साथ शिकायत दर्ज की थी, मामले की जांच के लिए एमएचआरडी को निर्देश जारी किए और आठ सप्ताह के भीतर की गई कार्रवाई का विवरण देने को कहा. लेकिन अब तक एमएचआरडी या एनएचआरसी से कार्रवाई का कोई विवरण अमित को नहीं मिला हैं.

इतनी शिकायतों के बाद भी न तो कोई सरकारी विभाग टाटा स्टील कम्पनी और आईआईएम लखनऊ से जवाब प्राप्त कर पाया और ना ही अमित के साथ हुए अन्याय के लिए न्याय दिला पाया.

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