उत्तर प्रदेश में छह चरण का मतदान हो चुका है। सातवें और अंतिम चरण का मतदान होना है।

  • छह चरणों के मतदान के दौरान एक चीज देखने को मिली वो यह कि चुनाव की घोषणा होते ही टेंट कनात वालों की मौज हो गई।
  • टेंट कनात देखकर ही वोटर प्रत्याशी के भाग्य का गणित लगा रहे हैं।

टेंट और कनातों में खोले कार्यालय

  • पूरे प्रदेश में प्रत्याशियों ने अपने पार्टी ऑफिस के आसपास टेंट कनात लगवाकर खाने पीने की व्यवस्था कर दी।
  • टेंट लगाने की दौड़ में क्या बड़े दल का प्रत्याशी क्या निर्दल।
  • कई जगह मतदान होने के बाद भी आत्मविश्वास से लबरेज प्रत्याशियों ने अपने कार्यालय या घर से टेंट नहीं हटवाए।
  • उनको शायद मालूम है कि जीत का जश्न मनाने के लिए एक फिर समर्थकों का जमावड़ा लगेगा तो टेंट लगेगा ही।
  • लेकिन जिन लोगों को अपनी जीत पर जरा भी संशय था, उन्होंने चुनाव के तुरंत बाद टेंट और हलवाई की व्यवस्था हटवा दी, ताकि इतना खर्च करने के बाद कुछ तो बचा सकें।
  • जनता तो इतनी समझदार है कि टेंट और हलवाई की व्यवस्था को देखकर ही प्रत्याशियों के मन की स्थिति का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं।

दिल का दर्द कहीं न कहीं तो निकल ही आता है

  • हालांकि चर्चा है कि सभी बड़ों दलों की ओर से प्रत्याशियों को निर्देश दिया गया है कि वे किसी भी स्थिति में जनता पर अपनी मन के अंदर की स्थिति को जाहिर नहीं होने दें।
  • लेकिन दिल का दर्द कहीं न कहीं तो निकल ही आता है और लोकतंत्र में जनता को मौका सिर्फ चुनाव के समय ही मिलता है।
  • प्रत्याशी पर चर्चा के दौरान लोगों का ध्यान सिर्फ इस पर ही नहीं है कि कोई कर रहा है।
  • लोगों ने इस बात पर भी चर्चा शुरू कर दी है कि चुनाव के बाद ऊंट सीधी चलेगा या हाथी तिरछा, क्योंकि लोग बेहतर जानते हैं कि शतरंज की चालें तो मालूम होती है कि लेकिन खेल जब सियासी शतरंज का हो तो सामने वाले की रणनीति का अंदाजा लगाना मुश्किल ही होता है।
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