उत्तर प्रदेश के कानपुर से गुरुवार को पकड़े गए हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी कमरुज्जमा उर्फ डॉ.हुरैरा उर्फ कमरुद्दीन (38) को कश्मीर से एक लाख 30 हजार रुपये की फंडिंग की गई थी। कश्मीर से यह रकम असम के जरिये कमरुज्जमा तक दो किस्तों में पहुंचाई गई थी। आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) आतंकी फंडिंग के इस रूट की जड़ें व उसके साथियों को तलाशने में जुटी है। आइजी एटीएस असीम अरुण ने बताया कि कमरुज्जमा से बरामद स्मार्ट फोन व सिम उसके दोस्त शहनवाज के हैं। सिम शहनवाज की आइडी पर लिया गया था। असम पुलिस शहनवाज को गिरफ्तार कर उससे पूछताछ कर रही है।

एटीएस ने शुक्रवार को आरोपित कमरुज्जमा को सात दिनों की पुलिस कस्टडी रिमांड पर लेकर पूछताछ शुरू की है, जिसमें उसने कानपुर में रह रहे अपने दो साथियों के आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के आकाओं द्वारा रखे गए छद्म नाम भी उगले हैं। यह भी बताया कि दोनों साथी तीन दिन पहले कानपुर से निकल गए थे। हालांकि वह दोनों के असली नाम-पतों की जानकारी होने से अनभिज्ञता जता रहा है। सूत्रों का कहना है कि कमरुज्जमा को पहले एक लाख रुपये और फिर दूसरी किस्त में 30 हजार रुपये भेजे गए थे। आशंका है कि हिजबुल के हैंडलर ने कमरुज्जमा तक रकम पहुंचाये जाने के लिए असम निवासी उसके दो दोस्तों को जरिया बनाया था। एटीएस की एक टीम असम भेजी गई है, जो उसके दोनों दोस्तों की तलाश करने के साथ ही अन्य बिंदुओं पर छानबीन करेगी। असम पुलिस की एक टीम भी एटीएस मुख्यालय पहुंची है।

कमरुज्जमा के मोबाइल की छानबीन में सामने आया है कि वह ब्लैकबेरी मैसेंजर सर्विस के जरिये अपने आकाओं से चैटिंग करता था। उसके मोबाइल से दो पिन कोड भी मिले हैं। अब तक की छानबीन में सामने आया है कि कमरुज्जमा को कंप्यूटर व इलेक्टानिक उपकरणों के प्रयोग की भी अच्छी ट्रेनिंग दी गई थी। कमरुज्जमा हर सप्ताह अपने मोबाइल फोन को फार्मेट कर देता था। ताकि उसके पकड़े जाने पर पुलिस अथवा जांच एजेंसी को मोबाइल फोन से कोई सुराग न मिल सके। चालाकी के चलते ही उसने केवल दो नंबर ही मोबाइल में फीड कर रखे थे। अप्रैल में एके-47 के साथ कमरुज्जमा की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]शर्ट की जेब में मोबाइल रखकर बनाया था वीडियो[/penci_blockquote]
कमरुज्जमा ने कानपुर के चकेरी क्षेत्र स्थित सिद्धि विनायक मंदिर के कई चक्कर लगाये थे। उसने शर्ट की जेब में मोबाइल फोन रखकर वहां की वीडियो क्लिप बनाई थी। मंदिर के भीतर के दृश्यों के अलावा उसने बाहर के रास्तों को भी वीडियो में कैद किया था। एटीएस अधिकारियों को यही आशंका है कि इसी मंदिर में गणोश उत्सव के दौरान बड़ी घटना की साजिश रची जा रही थी। पूछताछ में पता चला कि असमिया के अलावा अंग्रेजी व हिंदी भाषा जानने वाला कमरुज्जमा देखने में चूंकि असम अथवा कश्मीर का रहने वाला नहीं लगता, इसलिये हिजबुल के आकाओं ने उसे कानपुर भेजने का फैसला किया था। पूछताछ में कमरुज्जमा ने यह भी बताया कि कश्मीर में ट्रेनिंग के बाद वह असम लौट गया था और कुछ दिन मेघालय में भी रहा। उसने हिजबुल से रिश्ता तोड़ने का मन भी बनाया था लेकिन, बाद में उसका इरादा बदल गया। उसने फिर टेरर कैंप में वापसी कर ली थी।

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