नोएडा स्थित मल्टी सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सा संस्थान जेपी हॉस्पिटल के चिकित्सकों द्वारा रक्त संबंधी बीमारियों से लोगों को सचेत करने के लिए लखनऊ में स्वास्थ्य जागरूकता अभियान का आयोजन किया गया। इस मौके पर जेपी हॉस्पिटल के हिमेटो ऑन्कोलॉजी एवं बोन मेरो ट्रांसप्लांट विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. पवन कुमार सिंह ने सैकड़ों लोगों को रक्त संबंधी गंभीर बीमारियों के बारे में विस्तार से बताया एवं ईलाज कराने संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की। कार्यक्रम में यह भी घोषणा की गई कि जेपी हॉस्पिटल द्वारा लखनऊ वासियों के लिए शेखर हास्पिटल में बी.एम.टी. ओ.पी.डी. सेवा उपलब्ध कराई जा रही है।

पाया जा सकता है नियन्त्रण

  • जेपी हॉस्पिटल चिकित्सक डॉ. पवन ने बताया कि रक्त संबंधित दो तरह की बीमारियां होती हैं।
  • पहला कैंसर और दूसरा नॉन कैंसर होता है।
  • नॉन कैंसर बीमारियों में ‘थैलेसीमिया Ó और ‘ए प्लास्टिक एनिमिया Ó प्रमुख बीमारियां होती हैं।
  • आपको बातें कि थैलेसीमिया एक जन्मजात बीमारी है।
  • भारत में हजारों लोग थैलेसीमिया से पीडि़त हैं।
  • हर वर्ष करीब 10,000 नए थैलेसीमिया के शिशु पैदा होते हैं।
  • इस रोग में शरीर में रक्त नहीं बनता और जीवन भर बाहरी रक्त के भरोसे जीना पड़ता है।
  • रोगी को हर 3 से 4 हफ्ते में रक्त चढ़ाना पड़ता है।
  • इस बीमारी पर दो तरीके से नियंत्रण पाया जा सकता है।

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शादी से पहले कराएं जांच

  • पहला तरीका यह है कि शादी से पहले युवक एवं युवतियां अपने रक्त की जांच कराएं
  • जांच में युवक और युवती दोनों थैलेसीमिया कैरियर पाए जाते हैं।
  • तो बच्चे को गंभीर रूप से थैलेसीमिया हो सकता है।
  • दूसरा उपाय यह है कि यदि बच्चा थैलेसीमियाग्रस्त जन्म लेता है।
  • तो बोन मेरो ट्रांसप्लांट द्वारा बीमारी ठीक की जा सकती है।
  • इसके लिए 2 से 8 साल की उम्र सबसे उचित मानी जाती है।
  • डॉ. पवन कुमार सिंह ने बताया इसी तरह ‘ए प्लास्टिक एनिमियाÓ में शरीर का रक्त सूख जाता है।
  • बुखार, ब्लीडिंग और कमजोरी जैसे लक्षण वाली इस बीमारी में मरीज को रक्त चढ़ाना होता है।
  • इसका इलाज भी बोन मेरो ट्रांसप्लांट है जिसे बीमारी का पता लगते ही जल्द करा लेना चाहिए।
  • डॉ. पवन ने बताया कि रक्त कैंसर में लिंफोमा, मल्टीपल मायलोमा जैसी बीमारियां हो सकती हैं।
  • यह बीमारी बच्चों को भी हो सकती है।
  • लेकिन बढ़ती उम्र के साथ इस बीमारी के होने की उम्मीद बढ़ जाती है।
  • बुखार, ब्लीडिंग जैसे लक्षण से इन बीमारियों का पता सी.बी.सी. ब्लड जांच में एबनोर्मल रिपोर्ट के बाद होती है।
  • इलाज के बिना ये बीमारियां जानलेवा होती हैं।
  • जल्द से जल्द इलाज शुरू करने से इन बीमारियों को जड़ से खत्म किया जा सकता है।

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