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देश का पेट भरने वाला अन्नदाता आज खुद भूखा सोने पर है मजबूर, सरकार हुई लापरवाह

देश का पेट भरने वाला अन्नदाता आज खुद भूखा सोने पर है मजबूर

सरकार हुई लापरवाह, किसान हुए बेहाल

जौनपुर।   किसान यानी एक ऐसा व्यक्ति परमार्थ ही जिसका स्वार्थ है, जो खेत में काम नहीं तप करता है और परोपकार ही जिसका जीवन है। उसको देश के अन्नदाता के नामो से नवाजा तो जाता है। आखिर हो भी क्यों न  क्यूंकि किसान ही हर किसी का पेट पालने अनाज उपलब्ध कराने में अपनी महत्वपूर्ण योगदान देते है। लेकिन किसानों की स्थिति आज के दौर में दैनीय  होती चली जा रही है। वे खेती तो करते हैं।

किसानो, उनकी जमीन व सुविधाओ पर आंकलन
जिले में कुल 97 फीसदी लघु एव सीमांत 5 लाख से अधिक किसान पंजीकृत है। इन किसानों को फसलों की सिंचाई के लिए जिले में 1705 किमी लंबी कुल 343 नहरें हैं। इसके अलावा 22 पंप कैनाल और 40 राजकीय नलकूप हैं। वहीं 48 हजार प्राइवेट नलकूप हैं। इस साल तीन हजार नलकूपो बढ़ोत्तरी भी हुई है। उसी हिसाब से अगर फसल बीमा की बात की जाए तो  4451लाभार्थी बढ़े हुए है बता दे की फसलों के नष्ट होने पर क्षतिपूर्ति मिल सके।
किसानों का छलका दर्द, धरातल पर नही दिख रहा है छुट्टा पशुओं के व्यवस्था की लहर
एक तरफ जहाँ दिन रात खून- पसीना बहा कर और कर्ज लेकर हम अपनी जीविका चलाने के लिये खेती कर सज्जु है तो वही दूसरी तरफ जंगली जानवरों और छुट्टा पशुओं के आतंक ने हम किसानों की फसल तैयार होने के पहले ही चौपट कर दी जा रही है।
आलम यह है कि छुट्टा पशु एक दर्जन से अधिक संख्या में गेहूँ, जौ ,मटर , सरसों आदि फसलो को चर कर पूरी तरह बर्बाद कर दे रहे हैं। इसी प्रकार नीलगाय (घड़रोज) और जंगली सुअर भी फसलो का सफाया करने मे लगे हुए हैं। ऐसी स्थिति मे हम किसानों के लिए अपनी फसलो की सुरक्षा करना टेढ़ी खीर हो गया है।

किसानों की समस्याओं को लेकर उनसे कुछ सवाल , जरा आप भी सुनिए उन्ही की जुबानी

दूसरों ने किसानों को वोट बैंक समझा, हमने अन्नदाता:  पलामू
देखिये इसमें कांग्रेस की चाल है उन्होंने माफ नहीं किया सिर्फ जनता को गुमराह कर रहे हैं। बीजेपी की जो सरकार है वह नंबर वन सरकार है। हमें सिर्फ दुख सांड और नीलगाय से है। वैसे जो हमारे खेतों में उपजाऊ अनाज को चर कर नष्ट कर देते हैं। रही बात कर्ज माफी का उन्होंने ने सिर्फ भाषण में बताया है करके नहीं दिखाया है।
इस समय किसानों के लिए सबसे बड़ी समस्या का कारण क्या है?
आज कल हमें छुट्टे पशुओं से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है वह हमारे लिए बहुत बड़ी समस्या का कारण बन चुका है। जिसके कारण से हमारी खेती करने के दौरान लगाए गए हमारी लागत का मूल्य भी हमें प्राप्त नहीं हो पा रहा है। हम दिन रात खेत की रखवाली करने के लिए आते हैं खाना खाने का जो समय मिलता है।
क्या किसानों की आय दो गुनी हुई है ?
दुगनी क्या हुई इससे ज्यादा तो हमारे खाने के लाले पड़ गए हैं। जहां भी देखिए 10 ,15 छुटेला पशु जरूर देखने को मिलते हैं। हम रात दिन मेहनत करके खेती करते हैं फसल जब उगने को आती है छूटे हुए जानवर इसे चरकर हमारी फसलों को बर्बाद कर देते हैं। विजय सरकार में हमारा पेट भरता था इस बार हमारा पेट भरना भी बंद सा हो गया है। अगर ऐसे ही चलता रहे तो किसान भूखे ही मरेंगे।
क्या सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही सारी सुविधाओं का मिल पा रहा है लाभ ?
देखिए आपको बता दें हर चीज बीजेपी गवर्नमेंट में जनता के लिए जो मिलना चाहिए वह हर चीज हमें मिल रहा है। सिर्फ बड़े बड़े अधिकारी इसे खा रहे हैं।
हमारा इसी मुद्दे पर सवाल गांव के ही कुछ लोगों से रूबरू होते हुए उन्होंने कुछ सुविधाएं ना पहुंचने की बात कही।
भाई हर चीज हमें मिल रही है। दिक्कतें उन्हें हो रही हैं जिनके डाक्यूमेंट्स सही न हो। जिस के सारे डाक्यूमेंट्स पूरी तरीके से सही है उन्हें सरकार द्वारा दी जा रही सारी सुविधाओं का लाभ पूर्णता मिल रहा है।
गांव में स्वच्छता मिशन कितना सफल है?
स्वच्छता मिशन की बात करें तो यहां 75 परसेंट के लगभग देखने को मिल रहा है। फिलहाल यह  अधिकारियों का काम है कि कितना स्वच्छता मिशन सफल है।

रिपोर्टर: तन्मय बरनवाल

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