यश भारती पुरूस्‍कार के वितरण की प्रक्रिया को चुनौती देने वाली एक याचिका पर कार्यवाही करते हुए हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया है। कोर्ट ने पूछा है कि ये पुरस्कार किस वित्तीय मद से दिए जा रहे हैं। हाइकोर्ट ने इसके साथ यह भी पूछा है कि राज्‍य सरकार ने आखिर किस योग्‍यता के आधार पर उम्‍मीदवारों को इस पुरूस्‍कार से नवाजा  है। high court  न्यायमूर्ति अमरेश्वर प्रताप साही और न्यायमूर्ति अताउर्रहमान मसूदी की खंडपीठ ने शुक्रवार को यह आदेश निलंबित आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर की याचिका पर दिया। याची का आरोप है कि ये पुरस्कार मनमाने तरीके से दिए जा रहे हैं। याची ने पुरस्कार दिए जाने की कार्रवाई को रद्द कर पारदर्शी तरीके से इन्हें दिए जाने का आग्रह किया है।
वहीं दूसरी तरफ, सरकार की तरफ से राज्य के मुख्य सचिव के बारे में दायर की गई याचिका का विरोध किया गया। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सूबे के मुख्य सचिव आलोक रंजन के सेवा विस्तार मामले में राज्य सरकार को वह प्रपत्र (प्रोफार्मा) 8 अप्रैल तक पेश करने के निर्देश दिए हैं, जिसे सरकार ने उनके सेवा विस्तार के लिए केंद्र सरकार को भेजा था। न्यायमूर्ति अमरेश्वर प्रताप साही और न्यायमूर्ति अताउर्रहमान मसूदी की खंडपीठ ने शुक्रवार को यह आदेश स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर की याचिका पर दिया ।

गौरतलब है कि राज्‍य सरकार द्वारा प्रत्‍येक वर्ष सम्‍मानित लोगो को दिया जाने वाले इस पुरूस्‍कार पर पहले भी सवाल उठाये जा चुकें हैं। इस पुरूस्‍कार के सम्‍बन्‍ध में राज्‍य सरकार पर यह आरोप लगाया जाता है कि यह पुरूस्‍कार उन्‍हीं लोगों को दिया जाती है जो राज्‍य सरकार के हितेषी होते हैं।

 

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