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फांसी लगाने वाली छात्रा ने तोड़ा दम, शिक्षा विभाग ने जारी की एडवायजरी

यूपी बोर्ड की परीक्षाओं में सख्ती के कारण कानपुर में भी बड़ी संख्या में बच्चे परीक्षा छोड़ रहे हैं, तो वहीं एक छात्रा ने जिन्दगी छोड़ दी है। इस तरह की घटनाओं को लेकर आशंकित शिक्षा विभाग ने एडवायजरी जारी की है कि विद्यार्थी बिना घबड़ाये परीक्षा दें। नकल विहीन परीक्षा की तैयारियों के साथ सरलता से हल किये जाने वाले प्रश्न पत्र बनाये गये हैं।

फांसी लगाने वाली छात्रा ने तोड़ा दम

बच्चों के परीक्षा छोड़ने के बीच सबसे बुरी खबर भी कानपुर से है। यहाॅ यूपी बोर्ड की परीक्षा शुरू होने से ठीक पहले फाॅसी लगाने वाली छात्रा प्राची की बुधवार की रात मौत हो गयी। उसका अन्तिम संस्कार आज भगवात दास घाट पर किया गया। कानपुर के शिवाला में रहने वाली 12वी की छात्रा प्राची सिंह कैलाश नाथ इण्टर कॉलेज की छात्रा थी लेकिन नकल रोकने के लिये सरकार ने स्वकेन्द्र परीक्षा प्रणाली खत्म करके दूसरे स्कूलों को परीक्षा केन्द्र बनाया हुआ है। इस बदली व्यवस्था में प्राची का एग्जाम सेंटर जुहारी देवी गर्ल्स इन्टर कॉलेज में पड़ा था। घरवालों के मुताबिक परीक्षा केन्द्र बदले जाने के कारण प्राची काफी मानसिक दवाब महसूस कर रही थी जिसके चलते छह फरवरी को उसने परीक्षा शुरू होने से पहले घर पर फाँसी लगा ली थी। कल देर रात प्राची ने उपचार के दौरान अस्पताल में दम तोड़ दिया।

 

शिक्षा विभाग ने बताया अफसोसजनक

प्राची की मौत को शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने अफसोस जनक बताया है। उपनिदेशक शशि शर्मा ने एडवायजरी जारी करते हुए बच्चों से परीक्षा केन्द्र जाने और परीक्षा देने की अपील की है। उन्होंने दिलासा दिया है कि स्टेप मार्किंग पद्धति की वजह से वे पास होने लायक नम्बर ला सकते हैं।

 

विभाग को कराना चाहिए था मनोवैज्ञानिक काउन्सिलिंग

प्राची के इस आत्मघाती कदम ने शिक्षा जगत की एक बड़ी खामी को उजागर कर दिया है। शिक्षाविद् डा0 अंगद सिंह का कहना है कि अगर शासन ने इस बार नकल विहीन परीक्षा कराने के इन्तजाम किये थे, स्वकेन्द्र परीक्षा न कराने का खाका खींचा था और परीक्षा केन्द्रों पर हाथों में हथियार लिये अधिक संख्या में खाकी वर्दीधारी पुलिस बल व मजिस्टेट तैनात किये थे तो उसे कुछ महीने पहले से बच्चों की मनोवैज्ञानिक काउन्सिलिंग भी करानी चाहिये थी ताकि विद्यार्थियों में किसी प्रकार का खौफ पैदा न हों या वे किसी तरह के मानसिक दबाव में न आयें।

 

दस फीसदी छात्रों ने छोड़ा परीक्षा

कानपुर में दस फीसदी बच्चों ने हाई स्कूल और इण्टरमीडिएट की परीक्षा छोड़ दी है। इसे स्वकेन्द्र परीक्षा की व्यवस्था खत्म किये जाने और नकल विहीन परीक्षा के लिये सख्ती किये जाने का असर माना जा रहा है। कानपुर नगर में ड्राप आउट होने वाली विद्यार्थियों की तुलना में सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थियों की संख्या ज्यादा है। इससे माना जा रहा है कि जो केन्द्र नकल माफियाओं का गढ़ माना जाता था, वहाॅ उनके इन्तजाम ध्वस्त हुए हैं और इन केन्द्रों के विद्यार्थी सबसे ज्यादा परीक्षा छोड़ रहे हैं।

 

गणित और अंग्रेजी का पेपर छोड़ने वालों छात्रों का हो सकता है इजाफा

जानकारों ने आशंका जतायी है कि सरकार ने मनोवैज्ञानिक उपाय नहीं किये तो अंग्रेजी और गणित के पेपर्स के दौरान परीक्षा छोड़ने वाले बच्चों की संख्या में बड़ा इजाफा देखने को मिल सकता है।

 

सीसीटीवी लगने से नकल माफियाओं को लगा तगड़ा झटका

सरकार की सख्ती की वजह से नकल के भरोसे परीक्षा देने वाले छात्रों को मायूसी हाथ लगी है, जिसकी वजह से इतनी बड़ी संख्या में छात्र परीक्षा छोड़ चुके हैं। इसके साथ सीसीटीवी और एसटीएफ की मुस्तैदी से भी नकल माफियाओं को तगड़ा झटका लगा है। जानकार भी मान रहे हैं कि इस बार नकलविहीन परीक्षा का माहौल बना है। मीडियाकर्मियों को भी कैमरे सहित परीक्षा केन्द्रों पर जाने की इजाजत नहीं मिल रही है। शिक्षा विभाग परीक्षा छोड़ने वाले छात्रों के आंकड़े जारी कर रहा है लेकिन उनकी पहचान उजागर करने को वो उचित नहीं मानता।

 

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