लखनऊ विकास प्राधिकरण में नटवरलाल नाम से मशहूर निलंबित बाबू मुक्तेश्वर ओझा की एक और धांधली विभाग के हाथ लग रही है। प्रियदर्शिनी योजना में दो मकान ऐसे हैं जिनके आवंटी का नाम रेनू व रानू हैं जबकि पिता व पति का नाम संबंधित कोई जानकारी दर्ज नहीं है। ये मकान ओझा की पत्नी के नाम होने के शक के चलते एलडीए ने उसे कब्जे में ले लिया है। शक इसलिए भी है क्योंकि ओझा इस योजना को देख चुका है। एक परिवार का एलडीए में एक ही मकान हो सकता है। ऐसे में उसकी पत्नी के नाम विराट खंड में एक मकान दर्ज है। इसलिए ये मकान अगर उसके हैं तो उसे नहीं दिये जा सकते।

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निलंबित ओझा का एक और खुलासा

  • मुक्तेश्वर ओझा की कारगुजारी के नित्य नये खुलासे हो रहे हैं।
  • एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रियदर्शिनी योजना में भूखंड संख्या 16  सेक्टर डी व 31-ए सेक्टर बी क्रमश: रेनू व रानू के नाम है।
  • भूखंडों की मूल पत्रावली या कोई भी रिकार्ड एलडीए कार्यालय में नहीं है।
  • आवंटी का नाम सिर्फ क प्यूटर के अभिलेख में दर्ज है।
  • अन्य विवरण जैसे पिता व पति का नाम गायब है।
  • इन भूखंडों के सापेक्ष बैंक में जो चालान जमा किये गए। उनकी जांच हो रही है।
  • इसमें किसी चालान में नगद धनराशि का ड्राफ्ट कर जमा किया गया है।
  • ऐसे में इन भूखंडों के आवंटन पर शक जताते हुए एलडीए ने इसे अपने कब्जे में ले लिया है।
  • इसमें एलडीए का शक मुक्तेश्वर ओझा पर इसलिए भी है।
  • क्योंकि ओझा प्रियदर्शिनी योजना का कार्यभार देख चुका है।वहीं, उसकी पत्नी का नाम रेनू ओझा है।
  • चूकी रेनू ओझा के नाम गोमती नगर के विराट खंड में 2 178 मकान आवंटित है।
  • ऐसे में अगर ये मकान उसके हैं तो वह उसे नहीं मिल सकते।

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सैकड़ों फाइलें हैं गायब

  • परिवार में किसी एक ही व्यक्ति के नाम पर एलडीए की योजना में मकान लिया जा सकता है।
  • उल्लेखनीय है, मुक्तेश्वर ओझा पर एलडीए में तमाम तरह के भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं।
  • उसने विभिन्न योजनाओं की सैकड़ों फाइलें गायब कर रखी हैं।
  • जबकि फर्जी तरीके से गोमती नगर के विराट खंड में एक प्लाट का आवंटन करा लिया था।
  • इसके चलते बीते दिनों एलडीए वीसी ने उसे बुलाया था और फाइलों की मांग की थी।
  • फाइलें न होने पर उसे पुलिस के हवाले कर दिया गया था और रिपोर्ट भी दर्ज करायी गई थी।
  • बाद में कार्यालय में उसकी अलमारियों को भी खुलवाया गया।
  • एलडीए वीसी प्रभु एन. सिंह ने शक के चलते मकान को कब्जे में ले लिया है।
  • कागजों का परीक्षण कराने के बाद सही आवंटी के आने पर इसे छोड़ दिया जाएगा।
  • लेकिन अगर यह भी ओझा की पत्नी का है तो वह इसकी हकदारी नहीं।

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