एक ओर सरकार स्वच्छता अभियान के अंतर्गत गांव को ओडीएफ घोषित करके सभी को शौचालय उपलब्ध कराने मे करोड़ों रुपया पानी की तरह बहा आ रही है, वहीं ठेकेदारी प्रथा से गांवों में बन रहे मानक विहीन शौचालय शासन की मंशा को मुंह चिढ़ा रहे हैं।

क्या है मामला:

मामला बाराबंकी जिले में विकास खंड सिरौली गौसपुर का है, जिसके अंतर्गत स्वच्छ भारत मिशन के तहत ओडीएफ के लिए ग्राम पंचायतों का चयन हुआ है.

लेकिन सभी ग्राम पंचायतों में ग्राम प्रधानों की मिलीभगत के चलते सरकारी धन का दुरुपयोग करके मानक विहीन शौचालयों का निर्माण किया जा रहा है.

बता दें कि धांधली इस कदर हो रही हैं कि शौचालय निर्माण में पीले ईटों का प्रयोग हो रहा है.

तो वहीं निर्माण के मसाले में बालू और सीमेंट के द्वारा ईंटों की चुनाई करके सरकारी धन का बंदर बांट किए जाने की कवायद चल रही है।

खराब गुणवत्ता के चलते हफ्ते भर में गिरा शौचालय:

ऐसा ही एक मामला ग्राम पंचायत बरदरी का प्रकाश में आया है. जहां पर दिनेश मास्टर पुत्र बाबादीन का शौचालय 1 सप्ताह पहले बना था.

लेकिन 12 सितंबर की रात हुई बारिश के दौरान घटिया सामग्री से बनाया गया यह शौचालय ताश के पत्तों की तरह बिखर गया । शौचालय एक हफ्ते भी नहीं टिक सका.

अधिकारी फेर रहे सरकार की मंशा पर पानी:

अब सवाल यह उठता है की जब सरकार स्वच्छता मिशन पर इतना ध्यान दे रही है तो आखिर शासन की इस मनसा को ग्राम पंचायतों के द्वारा क्यों चूना लगाया जा रहा है इसका उत्तर तो विभाग ही दे सकता है।

बाराबंकी से संवाददाता दिलीप तिवारी की रिपोर्ट

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