यूपी के गाजीपुर जिला अस्पताल जहां पर बीमार मरीजों का इलाज डॉक्टर के द्वारा किया जाता है। लेकिन आज अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में उस वक्त एक अलग नजारा देखने को मिला जब इमरजेंसी के बेड पर डॉक्टर मुर्दे का इलाज कर रहे थे। (मुर्दे का इलाज)
चिता से उठाकर मुर्दे का इलाज कराने ले गए थे परिजन
- जी हां ये कोई कहानी नहीं बल्कि हकीकत है।
- आज मऊ जनपद के एक होम्योपैथ के डॉक्टर उमेश सिंह जिनकी आज सुबह ब्रेन हेमरेज से मौत हो गई थी।
- उसका अंतिम संस्कार करने के लिए परिवार वाले उनके शव को गंगा किनारे स्थित श्मशान घाट ले जा रहे थे।
- तभी जब शव को चिता पर रखा जा रहा था।
- उस वक्त परिजनों को उनके बॉडी में कोई अकड़न नहीं देखी और उनकी सांस चलने का एहसास हुआ।
- परिजन जिंदा होने के एहसास होते ही शव को जिला अस्पताल लेकर पहुंचे।
- यहां पर डॉक्टर ने मुर्दे का इलाज का इसीजी और अन्य जांच किया।
- लेकिन अंततः उमेश जिंदा नहीं हो सके।
- जिसके बाद परिजनों ने शव को श्मशान ले जाकर अंतिम संस्कार किया।
- इस पर उन्होंने परिजनों से स्वेच्छा से ले जाने वाले कागज पर साइन कराया।
- एम्बुलेंस में ऑक्सीजन आदि लगाकर उन्हें घर पहुंचा दिया।
- घर पहुंचने पर एम्बुलेंस ऑक्सीजन आदि निकालकर ले गई।
- बाद में परिजनों ने अपने करीबी एक चिकित्सक को बुलाया।
- जिन्होंने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
- साथ ही कहा कि इनकी मृत्यु काफी समय पहले हो चुकी है।
- परिजनों के अनुसार, उनका शरीर भी अकड़ गया था। इस घटना के बाद परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।
- अस्पताल का लक्ष्य इलाज के दौरान अधिक से अधिक बिल बना लेने का था।
- जिसके चलते वह उन्हें रखे हुए थे ताकि वह कंपनी से मोटा बिल वसूल सकें।
- इस संबंध में अस्पताल में प्रशासनिक पद पर तैनात डॉ. से बात की गई।
- तो उन्होंने बताया कि इस वक्त वह रोगी से जुड़ी कोई जानकारी नहीं दे पायेंगे।
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Sudhir Kumar
I am currently working as State Crime Reporter @uttarpradesh.org. I am an avid reader and always wants to learn new things and techniques. I associated with the print, electronic media and digital media for many years.