उत्तर प्रदेश के आगरा जिला में पिछली 18 दिसंबर 2018 को दसवीं की छात्रा संजली को जिंदा जलाने की घटना के बाद उसकी मौत हो गई थी। इस मामले में चारों तरफ सोशल मीडिया पर छात्रा को न्याय दिलाने की मांग उठ रही थी। काफी किरकिरी होने के बाद पुलिस ने पेट्रोल डालकर जिंदा जलाई गई दसवीं की छात्रा संजली हत्याकांड का पर्दाफाश कर दो आरोपियों को गिरफ्तार कर कर लिया है। पुलिस आरोपियों के खिलाफ आगे की कार्रवाई कर रही थी।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]विजय और आकाश को गिरफ्तार करने में लगे पुलिस को 168 घंटे [/penci_blockquote]
वरिष्ठ पुलिस अक्षीक्षक अमित पाठक ने की प्रेसवार्ता में बताया कि संजली हत्या कांड के आरोपियों की पहचान कर ली गई है। पुलिस टीम ने इस सिलसिले में दो लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने योगेश के ममेरे भाई विजय और आकाश को गिरफ्तार कर लिया है। दोनों आरोपितों को जेल भेज दिया गया है। वारदात में पीड़िता के तयेरे भाई योगेश की अहम भूमिका थी, जो अब खुदकशी कर चुका है। दोनों आरोपितों को पैसों का लालच देकर वारदात में शामिल किया था। दोनों आरोपित भी योगेश के रिश्तेदार हैं। पुलिस को इस सनसनीखेज हत्याकांड का खुलासा करने में 168 घंटे लग गए।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]सुनियोजित थी संजली की हत्या [/penci_blockquote]
मौका-ए-वारदात पर पिस्टल के आकार लाइटर मिलने के बाद पुलिस हत्या को सुनियोजित मानकर चल रही थी। आरोपितों के पकड़े जाने से यह बात साफ हो गई। उसके तयेरे भाई योगेश ने संजली को जिंदा जलाने की योजना बनाई थी। इसके लिए अपने दोस्त और मामा के बेटे विजय को शामिल किया। संजली विजय को भी जानती थी। इसलिए विजय के रिश्तेदार आकाश को घटना में शामिल किया। आकाश को संजली नहीं जानती थी। संजली को जलाने के लिए लाइटर ऐसा लिया जिससे आग लगाने में हाथ न झुलसें। योगेश ने अपनी बाइक बदल ली थी और दोस्त की सफेद रंग की बाइक ले आया था ताकि संजली पहचान सके।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]मृत्यु पूर्व बयान में विजय का नाम[/penci_blockquote]
संजली ने मजिस्ट्रेट को दिए मृत्यु पूर्व बयान में विजय का नाम लिया था। उसने कहा था कि आठ माह पहले वह परेशान करता था, मगर अब नहीं करता था। यह विजय उसके परिवार का ही था। मगर पकड़ा गया विजय योगेश का ममेरा भाई है। ध्यान रहे कि संजली हत्याकांड के पर्दाफाश पर लखनऊ से लेकर दिल्ली तक निगाहें टिकी थीं। 168 घंटे तक आगरा पुलिस की 12 टीमें लगातार दिन-रात काम कर पर्दाफाश करने में शफल रहीं। हत्याकांड में पुलिस के पास ऐसा कोई सुराग नही था जिससे इसका पर्दाफाश चुनौती बन गया था।

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