बात सन् 1975 की है। एक परिवार अपने दो बेटियों को अनाथ आश्रम में छोड़कर चला जाता है। अपने सर से परिवार का साया छीन जाने के बाद उन दोनों की जिम्मेदारी कानपुर के एक अनाथ आश्रम ने ले ली। कुछ समय बाद उनके जीवन में फिर से खुशहाली आई और एक दम्पति ने उन्हें गोद ले लिया। गोद लेने वाला परिवार अमेरिकी नागरिक थे, जिसके बाद वे दोनों अमेरिका चली गयी, जहां उनका पालन-पोषण हुआ। 43 साल बाद जब उन्हें अपने असली परिवार के बारे में पता चला तो वो अपने परिवार को ढूढ़ते हुए कानपुर षहर पहुंची। जिसके बाद शुरू हुआ उनके माता पिता की तलाश………….

 

1975 में अमेरिकी परिवार ने लिया था गोद

दोनों बेटियों के सर से परिवार का साथ छुट जाने के बाद दोनों को कानपुर के कैंट स्थित अनाथ आश्रम शिशु भवन में शरण ले ली। जहां उनकी देखभाल की जाने लगी। उनके जीवन में खुशियों का आगमन एक बार फिर हुआ। अमेरिका में रहने वाले एक दम्पति ने सन् 1975 में उन्हें गोद ले लिया। जिसके बाद वो दोनों अपने नए माता-पिता के साथ अमेरिका चली गई। अमेरिका में ही उनकी शिक्षा-दीक्षा होने लगी। माता-पिता ने उनका नाम रेबिका निर्मला पिकाॅक और स्टेफनी कृपा कूपर रखा। अब वे दोनों अमेरिकी नागरिक हो गईं थी। उन्हें अब भारत में रहने वाले अपने माता-पिता याद भी नहीं थे क्योंकि वह अपने नए माता-पिता के साथ खुशी-खुशी जीवन यापन कर रही थी।

 

अब तो बस तलाश है अपने असली मां-बाप की

धीरे-धीरे समय बीतता गया। एक दिन अचानक उन्हें पता चलता है कि उन्हें गोद लिया गया है तथा वह भारत के कानपुर के एक अनाथ आश्रम से लायी गयीं हैं। जिसके बाद दोनों अपने असली माता-पिता की तलाश में भारत के कानपुर शहर आ पहुंची। अमेरिका में रहने वाली ये दो बेटियां अपनों की तलाश में, अपने माता-पिता से मिलने की चाहत में, ये दोनों हर उस दर पर पहुंच रही हैं जहां उन्हें उनसे मिलने की आस है। आपको बता दें कि अमेरिका में रहने वाली रेबिका निर्मला पिकाॅक और स्टेफनी कृपा कूपर को करीब 43 साल पहले कोई उन्हें कानपुर के कैंट स्थित शिशु भवन छोड गया था। जहां से 1975 में दोनों को एक अमेरिकी परिवार ने गोद ले लिया था जिसके बाद ये अमेरिका चल गई थीं।

 

43 साल बाद अपनों को ढूढ़ने निकलीं

बताया कि 43 साल पहले उन्हें कोई अनाथ आश्रम में छोड़कर गया था। पता चलने के बाद वे दोनों अपने माता-पिता की तलाश में भारत आ पहुंची। अमेरिका में रहने वाली ये दो बेटियां अपनों की तलाश में, अपने माता-पिता से मिलने की चाहत में, ये दोनों हर उस दर पर पहुंच रही हैं जहां उन्हें उनसे मिलने की आस है। इसी क्रम में कैंट स्थित शिशु भवन जाकर अपने माता-पिता के बारे में जानकारी ली।

 

महापौर से मांगी मदद

अमेरिका में रहने वाली रेबिका निर्मला पिकाॅक और स्टेफनी कृपा कूपर करीब 43 साल बाद अपने माता-पिता की तलाश में कानपुर आई हुई हैं जहां उन्होंने कैंट स्थित शिशु भवन जाकर अपने माता पिता के बारे में जानकारी ली। इतना ही नहीं वहां से कोई जानकारी हासिल नहीं होने पर महापौर से मदद मांगी है। इस मामले में महापौर प्रमिला पांडेय ने बताया कि इनके परिजनों को खोजने के लिए नगर निगम पूरी सहायता करेगा।

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