राजधानी के शहरी क्षेत्र से लेकर ग्रामीण इलाकों में हत्याकर शव फेंके जाने का सिलसिला बरकरार है, जो थम नहीं रहा है। तालकटोरा स्थित धनिया महरी पुल के पास युवक की हुई हत्या के मामले में पुलिस किसी नतीजे पर पहुंच भी नहीं पाई थी कि सुबह चिनहट थानाक्षेत्र में दो अज्ञात युवकों की हत्याकर बदमाशों ने एक बार फिर पुलिस अफसरों को खुली चुनौती दे डाली। दोनों युवकों का सुबह इंदिरा नहर में उतारा मिलने से इलाके में सनसनी फैल गई और देखते ही देखते तमाम ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गई। सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस दोनों शवों को गोताखोरों की मदद से नहर से बाहर निकलवाया। एक के शरीर पर कपड़ा था, जबकि दूसरे बदन पर लिबास नहीं था।

इंस्पेक्टर चिनहट राजकुमार सिंह के मुताबिक, दोनों शव बुुरी तरह से सड़ चुके हैं, इससे यही लग रहा है कि शव पांच-छह दिन का पुराना है। उन्होंने बताया कि यह भी आशंका जतायी जा रही है कि इनकी जान कहीं और लेने के बाद हत्यारे शवों को इंदिरा नहर में फेंककर भाग निकले जो बहते हुए रेगुलेटर के पास आकर फंस गई। मामले की जांच पड़ताल कर आसपास के लोगों को बुलाकर शवों की शिनाख्त कराने की कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिल सकी। पुलिस ने शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।

अक्सर रेगुलेटर में फंसे मिलते हैं शव

जानकारी के मुताबिक, चिनहट के इंदिरा नहर स्थित रेगुलेटर के पास मंगलवार को दो युवकों के शव पड़े होने की सूचना ग्रामीणों में हड़कंप मच गया। एक युवक ने काली पैंट व हरी टी-शर्ट पहन रखी थी, जबकि एक का शव नग्न अवस्था में था। दोनों शव बुरी तरह से सड़ चुके थे, जिनसे काफी बदबू आ रही थी। ग्रामीणों की सूचना पर इंस्पेक्टर चिनहट राजकुमार अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे और गोताखोरों की मदद से दोनों शवों को बाहर निकलवाया। ग्रामीण दोनों युवकों की हत्या किए जाने की बात कह रहे हैं, जबकि इंस्पेक्टर राजकुमार का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही साफ हो सकेगा कि मौत कैसे हुई है। पुलिस के मुताबिक, दोनों की उम्र करीब 30-35 के आसपास लग रही है। पुलिस मामले की गहन जांच पड़ताल की लेकिन दोनों शवों की पहचान नहीं हो सकी है। वहीं रैगुलेटर में बकरी का भी शव फंसा दिख रहा था।

लाशें ठिकाने लगाने का हब बनी रजाधानी

सूबे की कानून-व्यवस्था का आईना कहे जाने वाली राजधानी लखनऊ इन दिनों लाशों का हब बन चुकी है। दो दिनों के भीतर यहां पर तीन लोगों की हत्याकर फेंकी गई लाश मिल चुकी है, इनमें अभी तक किसी की पहचान नहीं हो सकी है। वैसे तो लखनऊ में जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगे होने के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन इसी पैनी नजर की दहलीज से होते हुए हत्यारें यहां आकर वारदात कर फुर्र हो जा रहे हैं और नाकेबंदी के नाम पर पुलिस लकीर पीटती रह जा रही है। मंगलवार को चिनहट और सोमवार को तालकटोरा में हत्या कर फेंकी गई लाशें इसकी बानगी हैं।

इससे पहले भी कई बार मिल चुकी लाशें

इससे पहले भी राजधानी के शहरी क्षेत्र से लेकर ग्रामीण इलाकों में युवकों व महिला तथा लड़कियों के हत्याकर फेंके गए शव मिल चुके हैं। खास बात यह है कि शव मिलने के बाद पुलिस 72 घंटे तक पहचान कराने का इंतजार करती है, लेकिन पोस्टमार्टम के बाद भूल जाती है। इसका उदाहरण किसी और जिले का नहीं बल्कि लखनऊ के मड़ियांव क्षेत्र का। यहां चार दिसबंर 2015 को दो महिलाओं के सिरकटे शव मिले और आज तक मड़ियांव पुलिस नहीं पता नहीं लगा पायी कि ये दोनों महिलाएं कहा की थी और इनकी जान क्यों ली गई थी। फिलहाल पुलिस की सुस्त रफ्तार आज से नहीं बहुत पहले से चली आ रही है। अब देखने वाली बात ये होगी कि पुलिस इन युवकों की पहचान कर पाती है या नहीं।

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