उत्तर प्रदेश सरकार मातृ एवं शिशु कल्याण के लिए दर्जनों नि:शुल्क कार्यक्रम चला रही है। ये प्रयास मात्र इसलिए ही है ताकि गरीब को भी इलाज मिल सके। ढेरों कवायादों के बाद भी व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही है। इन सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए पर्चा भले ही एक रुपये में बनता हो लेकिन अस्पताल के बाहर उन्हें अपनी साइकिल और गाड़ी कड़ी करने के लिए 10 रुपये भुगतना पड़ रहा है। अवन्ती बाई बाल महिला चिकित्सालय (डफरिन) में ये खेल कई महीनों से जारी है जिस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।

जबरन हो रही वसूली

  • स्वास्थ्य महकमे और नगर निगम के अधिकारी सरकार के मुफ्त इलाज की मंशा पर पानी फेरने पर आमादा है।
  • इन अधिकारियों की मिली भगत से इलाज के नाम पर पैसा कमाने का नया तरीका खोजा है।
  • इसी के तहत नगर निगम की आड़ लेकर डफरिन की इमरजेंसी के सामने स्टैंण्ड चलाया जा रहा है।
  • अवन्ती बाई बाल महिला चिकित्सालय राजधानी का इकलौता सरकारी अस्पताल जहां गाड़ी स्टैण्ड चलाया जा रहा है।
  • जिससे यहां इलाज के लिए आने वाली महिलाओं के परिजनों को गाड़ी खड़ा करने के नाम पर शुल्क वसूला जाता है।
  • जबकि शहर के अन्य सरकारी अस्पतालों में गाड़ी स्टैण्ड को समाप्त कर दिया गया है।
  • सपा सरकार में मंत्री रहे रविदास मेहरोत्रा ने लोहिया समेत अन्य सरकारी अस्पतालों में चल रहे स्टैण्ड को बंद कर दिया था।
  • सरकार बदलते ही अस्पतालों में अब गाड़ी स्टैण्ड शुरू करने का नया तरीका इजाद कर रहे है।
  • इसी का ताजा नमूना अवन्तीबाई बाल महिला चिकित्सालय है।

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 स्टैण्ड संचालक की चलती है हेकड़ी

  • अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ.सविता भट्ट ने नगर निगम को पत्र लिखकर स्टैण्ड हटाने की बात कह चुकी है।
  • लेकिन स्टैंण्ड संचालक और नगर निगम के अधिकारियों के मिली भगत के चलते अभी तक ये नहीं हैट सका है।
  • इमरजेंसी के सामने सड़क सकरी होने के कारण रोजाना एंबुलेंस फंसने की घटना सामने आती है। और जब अस्पताल प्रशासन द्वारा स्टैण्ड संचालक को रोड खाली रखने के लिए कहा जाता है।
  • तो वह अस्पताल प्रशासन से उल्टा गार्ड लगाकर गाड़ियां हटवाने की बात करने लगता है।

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