राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल दुबे ने आम बजट को कागजी कसरत बताते हुये कहा कि बजट में किसानों के साथ पुनः छलावा किया गया है जो घोर निराशाजनक है बजट में आम जनता के लिए मुष्किले पैदा की गयी हैं तथा किसानों, गरीब और कमजोर तबको को अनेदखा किया गया है।

उन्होंने कहा कि बजट में वित्त मंत्री द्वारा यह कहा जाना कि 2022 तक हर गरीब के पास अपना घर होगा। सरकार 51 लाख नए घरों का निर्माण करेंगी ठीक वैसे ही प्रतीत हो रहा है कि जैसे मोदी सरकार ने कहा था कि सभी के खाते में 15-15 लाख रूपये आयेंगे। एक बार फिर जनता के साथ मजाक किया जा रहा है। स्मार्ट सिटी के तहत 100 शहरों को आधुनिक बनाने का लक्ष्य तय किये जाने की बात पुरानी हो चुकी है क्योंकि यह लोक लुभावन बाते चुनाव पूर्व कहते चले आ रहे हैं।

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बेरोजगारी के मुददे पर आलोचना झेल रही सरकार ने रोजगार से सम्बन्धित कोई ठोस कदम नहीं उठाये हैं। किसानों के साथ किये गये वादों को पूरा नहीं कर पा रही है और न ही बजट में कृषि से सम्बन्धित कोई ऐसा प्रावधान नहीं किया गया है जिससे किसानों की हालत सुधरने में सहायता मिल सके।

उन्होंने कहा कि बजट में शिक्षा, चिकित्सा, नौकरी पेशा, कारोबारियों तथा महिला सषक्तीकरण की ओर विशेष ध्यान नहीं दिया गया है। इस बजट ने लोगो के अरमानों पर पानी फेरने का काम किया है। बजट में टोल टैक्स को डिजिटलाइजेशन करने की बात कही गयी है।

जबकि सरकार सभी तरह के वाहनों पर रोड टैक्स रजिस्ट्रेशन के समय ही ले लेती तो दुबारा टोल टैक्स लेने का कोई औचित्य नहीं बनता है। बजट में वाहनों को टोल टैक्स मुक्त की बात की जानी चाहिए थी कुल मिलाकर इस बजट से समाज के वंचित और मजदूर वर्ग के साथ साथ गरीब लोगो की उम्मीदे पूरी नहीं हो सकती।

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