शिव भारत को आजाद हुए आधी शताब्दी से ज्यादा वक़्त हो चुका है. लेकिन अंग्रेज हुक्मरानों की छाप और उनकी निशानियाँ आज भी कहीं ना कहीं देखने को मिल ही जाती है. एक ऐसी ही तस्वीर कानपुर के भगवत दास घाट पर भी देखने को मिलती है. जहा गंगा के तट पर बने शिव मंदिर में हिन्दू देवी देवताओं के बीच एक अंग्रेज अधिकारी जान स्टुबर्ड की मूर्ति आज भी मौजूद है. ऐसा माना जाता है भगवान् भोलेनाथ के प्रति इसके भक्ति भाव को देखते हुए यहाँ के स्थानीय निवासियों ने ही इसकी मूर्ति मंदिर के दीवार पर देवी-देवताओं के साथ लगा दी गयी थी. जो आज भी यहाँ मौजूद है.

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सर पर हैट लगाये घोड़े पर सवार है अंग्रेज़ अधिकारी-

  • कानपुर के भगवत दास घाट पर मौजूद शिव मंदिर में अंग्रेज अधिकारी जान स्टुबर्ड की मूर्ति आज भी मौजूद है.
  • घोड़े पर सवार जॉन स्टूबर्ड की मूर्ति मंदिर के दीवार पर आपको दूर से ही दिख जायेगी.
  • बता दें कि इस अष्टकोणीय मंदिर के बाहरी दीवार पर जॉन स्टूबर्ड की मूर्ति के साथ भगवान् गणेश, माँ दुर्गा, माँ काली, भैरव बाबा, हनुमान जी की मूर्ति भी मौजूद है.

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  • गौरतलब हो कि कानपुर के प्राचीन घाटों में से एक है भागवत दास घाट.
  • जहा अंतिम संस्कार के क्रिया कर्म कार्यक्रम भी किये जाते है.
  • यहाँ के एक स्थानीय निवासी बबलू कश्यप ’45 वर्षीय’ ने बताया कि इनके बाबा के पहले यह इलाका कैंटोनमेंट के अधीन आता था.

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  • जहाँ अंग्रेजो का शासन हुआ करता था.
  • कश्यप ने बताया कि यहाँ आम जनता को आना मना था.
  • क्योकि इस घाट पर तब अंग्रेज अधिकारी अपने परिवार के साथ घूमने आया करते थे.

ये मूर्ती कब किसने लगवाई ये किसी को नही पता-

  • इस घाट पर पूजा पाठ का काम करवाने वाले एक पुजारी अवधेश मिश्र से भी बात की गई.
  • उनके मुताबिक़ इस अंग्रेज शासक की मूर्ति कब और किसने यहाँ लगाई इसके बारे में किसी को ठीक ठीक नहीं पता.

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  • मगर ये भी कहा जाता है कि जब उसने इस घाट पर भगवान् भोलेनाथ के शिवलिंग की पूजा लोगो द्वारा करते देखा, तो वो भी इनकी पूजा करने लगा था.
  • उसने इस घाट पर मौजूद शिवलिंग की पूजा नियम से पूरे एक महीने तक किया था.
  • इसके बाद वो वापस अपने वतन लौट गया था.

जॉन स्टूबर्ड की भक्ति से चिढ़ते थे अग्रेज़-

  • वही कुछ लोग बताते है कि जॉन स्टूबर्ड की भगवान् शिव के प्रति भक्ति को देख दूसरे अंग्रेज अफसर उससे चिढ़ते थे.
  • ऐसे में इस अंग्रेज अधिकारी को उसके ही अधिकारियों ने धोखे से मौत के घाट उतार दिया था.
  • विद्रोह के बाद जब अंग्रेज वापस जाने लगे तब इस अंग्रेज अधिकारी की मूर्ति इस मंदिर के ऊपर दीवाल पर लगा दिया था.

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रिनोवेशन के बाद भी नही हटाई गई मूर्ती-

  • बता दें कि अब तक  कईबार इस मंदिर का रिनोवेशन का काम किया जा चुका है.
  • लेकिन इसके बाद भी इस अंग्रेज अधिकारी की मूर्ति को नहीं हटाया गया.
  • इस मूर्ति में इस अंग्रेज को घोडे पर सवार, सर पर हैट लगाये और हाथ में अंग्रेजियत को समझाने वाले “रूल” (छड़ी) को लिए दिखाया गया है.

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कई बार इसे तोड़ने का हो चूका है प्रयास-

  • लोगों की माने तो कई बार इस अंग्रेज अधिकारी के मूर्ति को खंडित कर हटाने का प्रयास किया जा चूका है.
  • हाल ही में देश प्रेम व हिंदुत्व का झंडा ऊंचा करने वाले कुछ शरारती तत्वों ने इसे हथौड़ी से तोड़ भी दिया था.
  • लेकिन बाद में इसे दुबारा फिर से लगवा दिया गया.

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  • इस घाट के एक पुजारी ने बताया कि इस मूर्ति को जब जब हटाये जाने की बात की जाती है, तब यहाँ कोई ना कोई घटना जरूर घटती है.
  • वही आज भी जान स्टुवर्ट के परिवार के लोग इस मंदिर की पूजा व रखरखाव के लिए पैसा भेजते है.

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