यूपी के अमेठी जिले के कई मानव रहित रेलवे क्रासिंग रेल प्रशासन की उदासीनता के चलते दुर्घटना को दावत देते नजर आ रहे हैं। रेलवे विभाग को स्थानीय लोगों ने कई बार इसकी जानकारी दी। लेकिन विभागीय उदासीनता के चलते आज तक कोई सुनवाई नहीं हो सकी। इससे जिले के कई रेलवे क्रासिंग पर हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।
‘अमेठी में अभिश्राप’ बनी मानव रहित रेलवे क्रासिंग
अमेठी में चौकीदार-रहित रेलवे क्रॉसिंग इतने बड़े रेलतंत्र में किसी अभिशाप की तरह चिपक गई है। जो समय-समय पर अपना कहर बरपाती है। मुसाफिरखाना के मठा भुसुंडा में अभी गुरुवार को ही एक भीषण हादसे में चार बारातियो की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि दो घायल हो गए हैं। ये हादसा एक मानव-रहित क्रॉसिंग पर बोलेरों के मेमो ट्रेन से टकराने के कारण हुआ।
पहले भी दहले हैं दिल
रेलवे भी इस कड़वे सत्य को जानता है, लेकिन अब तक कोई ऐसी पुख्ता व्यवस्था लागू नहीं हो पाई है जो ऐसे हादसों को रोक सके हां, जुबानी और लिखित जमाखर्च करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई है। वर्ष 2015 के अगस्त माह में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरेंद्र बहादुर सिंह का भी एक ट्रेन हादसे में दर्दनाक मौत हो गयी थी। ये हादसा तब हुआ जब मुसाफिरखाना थाना क्षेत्र के कसथुनी मानवरहित रेलवे फाटक पर उनकी कार एक ट्रेन से टकरा गयी। आखिर क्या वजह है कि सब कुछ गंवाने या यू कहें कि घटना के बाद ही प्रशासन की कुंभकर्णी नींद खुलती है।
सुरक्षा संबंधी दिशा-निर्देशों का जमकर उड़ाया जा रहा मखौल
अमेठी में चौकीदार-रहित रेलवे फाटकों पर होने वाली दुर्घटनाओं के आंकड़े बेहद भयावह हैं। एक जानकारी के अनुसार, यूपी में रेलवे फाटकों पर सुरक्षा संबंधी दिशा-निर्देशों का मखौल उड़ाया जाता है। इसके लिए आम लोगों के साथ-साथ रेलवे के अधिकारी भी जिम्मेवार हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, कमेटी द्वारा पहले दिए गए उन सुझावों को भी रेलवे ने नहीं माना, जो रेलवे फाटकों और पुल को पार करने के सुरक्षात्मक तरीकों को लेकर थे।
जागरुक नहीं हैं लोग
मानव रहित रेलवे क्रासिंग पार करने के नियमों की अनदेखी किये जाने से दुर्घटना होती है। इस घटना पर दुख जताते हुए कुछ जागरूक लोग कहते हैं कि लोगों में जागरुकता की कमी है। रेलवे द्वारा समय-समय पर मानव रहित व मानव सहित फाटक पार करने के नियम की जानकारी नुक्कड़ नाटक व अन्य माध्यम से दी जाती है।
गेट गिरने के बाद भी पार करने की हड़बड़ी
मानव सहित रेलवे क्रासिंग पर गेट गिरने के बाद भी पार करने की हड़बड़ी रहती है। जिसे रोकने के लिये रेल विभाग द्वारा कोई कदम नहीं उठाया जाता है। जबकि गेट गिरने के बाद पार करते पकड़े जाने पर 200-1000 तक का जुर्माना हो सकता है। बावजूद गेट के नीचे से लोगों को मोटरसाइकिल, रिक्शा पार करते हुये आसानी से देखा जाता है। शहरी क्षेत्र में जब लोग जागरूक नहीं हैं तो इसी से ग्रामीण इलाके का भी अंदाजा लगाया जा सकता है।