आखिर वर्दी का यह कैसा रौब? रेप पीड़िता की फरियाद सुनने के बजाए गैंगरेप के आरोपित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को बचाने के लिए माखी पुलिस ने पीड़िता के पिता की जमकर पिटाई ही नहीं की बल्कि पीड़ित के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। इस मामले में गैंगरेप पीड़िता ने रविवार को सीएम आवास के सामने आत्मदाह की कोशिश की, लेकिन उसे इंसाफ की जगह अधिकारियों का आश्वासन मिला।

सोमवार को पीड़िता के पिता की जेल में मौत के बाद घटना ने मीडिया में तूल पकड़ा तो सीएम ने एडीजी जोन लखनऊ को जांच के बाद कार्रवाई करने के निर्देश दिया। सीएम के निर्देश के बाद एसपी उन्नाव पुष्पांजलि देवी ने एक्शन लेते हुए 6 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर विभागीय जांच शुरू कर दी है।

किसी को बख्शा नहीं जाएगा: सीएम

दुष्कर्म के आरोप से घिरे उन्नाव के विधायक कुल्दीप सिंह सेंगर ने दिनभर चले हंगामे के बीच सोमवार देर शाम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से राजधानी में मुलाकात की। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह उनके खिलाफ साजिश है। वह किसी भी जांच के लिए तैयार हैं। उनके ऊपर लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं। वहीं इस मामले पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि मामले की जल्द से जल्द जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस मामले में किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।

पेड़ में बांधकर की थी बेरहमी से पिटाई

बेटी के साथ हुई दरिन्दगी की शिकायत पर आरोपी पक्ष ने पुलिस के सामने उसके पिता की बेरहमी से पिटाई की थी। पुलिस ने पीड़ित पिता को ही सलाखों के पीछे ठूस दिया था। पिता ने सोमवार को जेल ही दम तोड़ दिया। मौत होने की खबर मिलते ही पुलिस-प्रशासन में हड़कंप मच गया और आनन-फानन में बांगरमऊ के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के भाई अतुल सिंह, विनीत सिंह समेत अन्य आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया गया। जबकि अभी गंभीर आरोप में घिरे विधायक पुलिस की पकड़ से दूर है। लिहाजा इस मामले को लेकर सीएम, डीजीपी से लेकर अन्य अधिकारी सकते में आ गए।

नौकरी दिलाने के बहाने सामूहिक दुष्कर्म

उन्नाव जिले के माखी थाना क्षेत्र की रहने वाली पीड़ित युवती का कहना है कि 17 जून 2017 को नौकरी दिलाने के बहाने शशि सिंह नाम की महिला विधायक के घर ले गई। जहां विधायक ने रेप किया, फिर उसके भाई अतुल ने अपने साथियों के साथ बंधक बनाकर सामूहिक दुष्कर्म किया। इस मामले में माखी पुलिस पीडि़त की फरियाद सुनने के बजाए उसे और उसके पिता को दोषी ठहरा कर हवालात में डालने की धमकी दी।

विरोध करने पर माखी पुलिस ने पीड़िता के पिता की जमकर पिटाई कर बुरी तरह से पीटकर जख्मी कर सलाखों के पीछे भेज दिया। बेटी के साथ हुई घटना और पुलिस की पिटाई से आहत पीड़िता के पिता की हालत बिगड़ती गई। जिला जेल पुलिस ने आनन-फानन में जिला अस्पताल में भर्ती कराया, जहां सोमवार को इलाज के दौरान मौत हो गई।

वरिष्ठ अधिकारियों से करवाई जा रही जांच: डीजीपी

इस मामले में डीजीपी ओपी सिंह ने बयान देते हुए कहा कि मामले की जाँच की जा रही है, जाँच में जो दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी। वहीं डीआईजी कानून-व्यवस्था प्रवीण कुमार का कहना है कि अभी तक रेप मामले की कोई ऐसी तहरीर थाने पर नहीं दी गई। उन्होंने बताया कि यह दो पक्षों के बीच मारपीट का मामला है, जिसकी एडीजी जोन से जांच कराई जा रही है। उनका कहना है कि अगर कोई दोषी मिला तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी।

दिल को दहला देने वाली पुलिस की कार्यशैली

घटना नंबर एक- यूपी के मेरठ जिले में 28 जून 2017 को स्कूल से लौटते समय अगवा कर दरिन्दों ने गैंगरेप किया। लचर पुलिसिया कार्रवाई के चलते दोबारा उसे किडनैप करने की धमकी बदमाशों ने दी, इससे आहत होकर आठवीं की छात्र गैंगरेप पीड़िता ने खुदकुशी कर जान दे दी। पीड़ित पिता का आरोप था कि रमाला थाने तैनात तत्कालीन एसओ नवीन चिकारा ने आरोपितों को बचाने के लिए केस को झूठा बताकर अंतिम रिपोर्ट लगा दी थी।

घटना नंबर दो- राजधानी लखनऊ के सआदतगंज क्षेत्र निवासी श्रवण साहू बेटे आयुष की हत्या में गवाह थे, लेकिन मुखबिर अकील के साथ साजिश कर पुलिस व क्राइम ब्रांच ने चार बेगुनाह युवकों और श्रवण के खिलाफ झूठा केस दर्ज किया था। एक फरवरी 2017 को बेटे के लिए इंसाफ की जंग लड़ रहे पिता श्रवण को बेखौफ बदमाशों ने मौत की नींद सुला दिया था। हालांकि जांच सही पाए जाने पर तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी ने एक दरोगा व दो सिपाहियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया था। इस सनसनीखेज वारदात में पुलिस का मुखबिर अकील ने बेटे की हत्या में गवाह बने श्रवण को कई बार जान से मारने की धमकियां दी, लेकिन पुलिस आरोपित को बचा पीड़ित को ही कटघरे में डालने का मन बना लिया था।

घटना नंबर तीन- यही नहीं शहर-ए-लखनऊ चर्चित मुकेश मनवानी हत्याकांड में भी पुलिस की कारस्तानी उजागर हुई थी कि पुलिस को मालूम रहा कि मुकेश की हत्या होने वाली है। हालांकि पुलिस अफसर इस आरोप के मामले में कुछ भी कहने को तैयार नहीं थे, लेकिन इंस्पेक्टर नाका रहे परशुराम सिंह के मोबाइल फोन से हत्यारोपित दुआ से 18 बार बात की थी। यह सच लखनऊ पुलिस नहीं बल्कि उन्नाव पुलिस की जांच पड़ताल में सामने आया।

घटना नंबर चार- उन्नाव जिले के माखी थाना क्षेत्र निवासी एक युवती ने बांगरमऊ विधानसभा के भारतीय जनता पार्टी के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर गंभीर आरोप लगाते हुए कही कि बीते 17 जून 2017 को नौकरी का झांसा देकर शशि सिंह नाम की महिला ने विधायक के घर ले गई। यहां विधायक ने उसके साथ जबरन मुंह काला किया। यही नहीं युवती का आरोप है कि विधायक के छोटे भाई अतुल सिंह, विनीत व अरुण ने भी कई दिनों तक बंधक बनाकर उसकी आबरू पर डाका डाला।

माखी पुलिस के कारनामों पर गौर करें तो अपनी कुर्सी मजबूत करने के लिए सत्ताधारी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के इशारे पर चलकर अन्य के खिलाफ केस दर्ज की, लेकिन विधायक का नाम हटा दिया और पीड़िता के पिता को ही हवालात में डालने के लिए पहले पीटा फिर पीड़िता के पिता के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। सूत्र बताते हैं कि पुलिस ने पीड़िता के पिता पर इस कदर लाठियों बरासाई थी कि वे सोमवार को अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।

प्रदेश में कराह कर जान गवां रहे पीड़ित, नहीं सुनती पुलिस

उत्तर प्रदेश में हुई ये वारदातें इस बात की गवाह है कि खाकी उन्हीं की सुनती है, जिनका पल्ला भारी होता है। किसी दबंग तो किसी रसूखदार या फिर सत्ता के गलियारों में अपनी हनक जमाने वालों के खौफ से कई पीडि़ताएं या फिर पीड़ित मजबूर होकर घर के भीतर ही सिसकियां भर रहे हैं। बहू-बेटियों की आबरु पर डाका डाल उन्हें जान से मारने की धमकियां दी जाती हैं कि अगर जुबान खोली तो हमेशा के लिए परिवार को तबाह होना पड़ सकता है। ये नजीर उन्नाव निवासी एक पीड़िता के साथ हुई घटना के बाद सामने आया कि दल में बल कितना होता है, जिसके इशारे पर कानून के रखवाले भी नाचते हैं।

सत्ता की हनक के आगे पीड़ितों पर ही जुल्म ढहा रहे वर्दीधारी

यही नहीं यह तो एक नमूना है, इससे पहले भी कई रसूखदारों ने घिनौनी हरकतों को अंजाम दे चुके हैं और उनके खिलाफ आवाजा उठाने वाली पीड़िताओं की पीड़ा पुलिस की फाइलों में दफन होकर रह गईं है। लिहाजा ऊंची पहुंच रखने वाले वहशियों का आतंक यूपी में आज से नहीं कायम है। बेखौफ दबंगों व ऊंची पहुंच रखने वाले पैसे के बूते बेबस लोगों के लिए कहर बनकर उन्हें तबाह कर रहे हैं।

जिनके कंधों पर फरियादियों की सुरक्षा और उनकी समस्याएं सुनने का जिम्मा है, लेकिन वे भी चंद सिक्कों लालच में आकर गुनाहगारों पर रहमदार बनती है और पीड़िताओं के साथ सितम ढहाने में जुट जाती है। खास बात यह है कि पुलिस अफसर सबकुछ जानते हैं कि उनके मातहत बेलगाम हैं, लेकिन बावजूद इसके वे नजर अंदाज करते हैं, नतीजतन उनकी नींद उस समय टूटती है, जब कोई बड़ी घटना होती है।

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