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उन्नाव: हुक्मरान सो रहे,HIV के मरीज रो रहे, गाँववाले दहशत में जी रहे

यूपी के उन्नाव में HIV एड्स का सनसनीखेज मामला सामने आया है. बांगरमऊ तहसील के कई गाँवों में 40 से ज्यादा लोग HIV पाजिटिव पाए गए हैं. यह संख्या 70 ले आस पास भी हो सकते है. सूबे में इस केस के सामने आने के बाद से हडकंप मचा है. राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था और एड्स कंट्रोल सोसाइटी दोनों पर सवाल खड़े हो गए हैं. हैरत की बात ये है कि इतनी बड़ी घटना के बाद भी स्वास्थ्य विभाग आँखे मूंदे हुए है.

बड़ी संख्या में एड्स में मामले आये सामने

उन्नाव के बांगरमऊ में अचानक HIV पाजिटिव मरीजों की बड़ी संख्या सामने आने से हडकंप मचा हुआ है. बांगरमयु के कई गाँवों के बीच प्रेम गंज मोहल्ला अचानक बदनाम हो गया है. यहाँ HIV के 38 मरीज़ पाजिटिव पाए गए हैं. अचानक इस बीमारी के पता चलने से इलाके से तरह तरह की चर्चाएँ हैं. HIV पीड़ितों की बढ़ी तादाद के पीछे झोलाछाप के अलावा परदेश से बीमारी लाने की वजह सामने आ रही है. इस मोहल्ले में एक बच्ची को HIV पाजिटिव है लेकिन उसके मां बाप में HIV नहीं पाया गया है. दो हज़ार कि आबादी वाला ये मोहल्ला सकते में है. मीडिया की चहल कदमी से भी वह दुबक जाता है. लोग बदनामी से डर रहे हैं. इलाके के सभासद कहते हैं कि इतनी बड़ी घटना के बावजूद स्वास्थ्य विभाग इलाज में मदद नहीं दे रहा है.

सामने आने से डरते हैं मरीज, बदनामी का सता रहा डर

कोई भी पीड़ित कैमरे के सामने नहीं आता है. लोगों को बदनामी के साथ ही बाल बच्चों के भविष्य का डर सता रहा है. जिन्हें यह रोग हुआ है वो ज्यादातर बेहद गरीब हैं. उन्हें इस रोग के बारे में ठीक से जानकारी भी नहीं है. रोग कितना खतरनाक है इससे भी वो अंजान हैं. गाँव की मिटटी में रहते रहते डॉक्टर साहब कि सुई या कोई परदेशी उन्हें यह रोग दे गया इससे भी वो अंजान हैं. उन्हें बुखार भी आता है तो वह ये भी नहीं जानते कि यह सामान्य है या HIV के नाते आ रहा है. हालाँकि सीएमओ उन्नाव इस गंभीर मामले पर राहत की बजाय बयानबाज़ी में उलझे हैं.

पीड़ितों में कई मासूम बच्चे भी

उन्नाव में HIV मरीजों की इतनी बड़ी तादात पूरे देश में शायद कहीं नहीं होगी. इस बीमारी ने मासूम बच्चों और बुजुर्गों पर भी कोई रहम नहीं किया है. प्रेमगंज के बाद किर्मिदियापुर और चक्मीरपुर में एक दर्जन HIV पाजिटिव मरीज पाए गए हैं.लोग इस इन्तेजार में बैठे हैं कि सरकार कोई सहायता भेजेगी. मरीजों की हालत बिगाड़ रही है, दिन भी गुजर रहे हैं लेकिन सरकार सिर्फ कोरा आश्वासन ही दे रही है. अब हम आपको प्रेमगंज के बाद दो और मोहल्लों की हकीकत दिखाते हैं.

एड्स के बाद मौत के खौफ ने जीना किया मुश्किल

बांगरमऊ के किर्मिदियापुर और चक्मीरपुर गाँव में भी HIV का कहर बरपा हुआ है. हालाँकि इस बीमारी के बारे में गाँव वाले ज्यादा नहीं जानते लेकिन डरे हुए हैं. गाँव के काफी लोग मजदूरी करने पंजाब जाते हैं. माना जा रहा है कि परदेश से ही ये रोग गाँव में आया है. गाँव में 8 साल कि एक बच्ची भी HIV पाजिटिव है.  उसके माँ बाप कि भी मौत हो चुकी है. मासूम बच्चे पल पल मौत कि ओपर बढ़ रही है. जिंदगी सिसक रही है,मासूम बच्ची को उसके परिजन ठीक से इलाज भी नहीं दे पा रहे हैं. लेकिन सरकार मस्त है मौन है और शायद मौतों के इंतज़ार में बैठी है क्यूंकि इतनी बड़ी घटना के बाद भी गाँव में ना कोई मेडिकल कैम्प लगाया जा रहा है और ना ही इलाज कि कोई व्यवस्था है. गाँव वाले अपने हक़ कि मांग भी नहीं कर पाते हैं.

झोलाछाप डॉक्टर्स पर कार्रवाई, मरीजों को कोई राहत नहीं

सरकारी तंत्र का दुर्भाग्य देखिये कि HIV से छोटे छोटे बच्चे और महिलायें रोज मौत के मुंह कि ओर बढ़ रहे हैं लेकिन सत्ता में बैठे हमारे हुक्मरान बयानबाजी में उलझे हैं. स्वास्थ्य मंत्री कहते हैं कि 73 झोला चाप डॉक्टरों पर हमने कार्रवाई कर दी है.एड्स ना फैले इसके लिए प्रदेश में बहुत बड़ा स्वास्थ्य महकमा है. राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी है जिसका हेड चीफ सेक्रेटरी का मुख्य स्टाफ अफसर होता है. सोसाइटी के पास करोड़ों का बजट है. वर्ल्ड बैंक भी पैसा देता है लेकिन हैरत कि बात है एड्स उन्नाव में कई जिंदगियां लील रहा है और सरकार और उसके अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं.

गाँव के लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर

बताया जा रहा है कि बांगरमऊ कसबे में 70 से ज्यादा मरीज HIV की चपेट में हैं. पूरा का पूरा गाँव मौत के मुहाने पर खडा है. HIV की बात जैसे जैसे फ़ैल रही है गाँव वालों को यह डर सताने लगा है कि उनके बच्चों और परिवार का भविष्य क्या होगा. गाँव में शादी ब्याह भी बंद हो जाएगा. बच्चों को स्कूल में दाखिला नहीं मिलेगा. पूरा जीवन नारकीय हो चला है.

घर के बाहर नहीं निकलते

मेहनत मजदूरी से जीवन चलाने वाले ग्रामीण इस बीमारी से दहशत में हैं. गाँव मे हरियाली कि जगह उदासी ने ले ली है. कुछ तो ऐसे हैं जिन्हें यह भी नहीं पता कि ये बीमारी उन्हें क्यूँ लग गयी है. जब उन्होंने कोई खता नहीं कि तो इतनी बड़ी सज़ा क्यूँ मिल रही है. एकमात्र HIV पीडित राजेन्द्र कुमार कैमरे के सामने आये लेकिन उनका भोलापन और बयान यह दर्शाता है कि अनजाने में एक झोलाछाप ने उनका जीवन कैसे बर्बाद कर दिया. घर के बाहर निकलने से मरीज डरते हैं कि कहीं कोई कुछ बोल न दे.

हुक्मरानों के भरोसे पीड़ित लेकिन सो रहा सरकारी तंत्र

बांगरमऊ कस्बा लखनऊ से मात्र 70 किलोमीटर कि दूरी पर है. स्वास्थ्य विभाग से जुड़े सरकार में 5 मंत्री भी हैं लेकिन संवेदनहीनता की यह पराकाष्ठा है. नाक के नीचे जिंदगी तड़प रही है, सिसक रही है लेकिन अफसरों और मन्त्रियों को इस ओर देखने कि फुर्सत भी नहीं है. मरीज़ छप्पर और टाट कि ओंट से रास्तों को निहार रहे हैं, शरीर टूट रहा है लेकिन उम्मीदें ज़िंदा हैं कि शायद कोई चमत्कार होगा और सरकार उनकी सुध लेगी. बहरहाल HIV महामारी बने उससे पहले हमारे हुक्मरानों को इसकी सुध लेनी चाहिए.

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