सरकार अगर अपना काम जिम्मेदारी और ईमानदारी से करे, तो प्रदेश में भ्रष्टाचार होना मुश्किल है. इसे सरकार की ही लापरवाही कहेंगे कि आज प्रशासन और अधिकारी इतने निर्भीक हो चुके है कि खुले आम सालों से सरकार कि आँखों में धूल झोंक कर अरबों का घोटाला कर रहे है. ऐसा ही सरकार की अनदेखी का एक मामला वाराणसी का है.

काशी के यूपी कॉलेज में फर्जी समिति की लूट:

कोई प्रशासन की आँखों ने कितना धूल झोंक सकता है या ये कहें सरकार किस हद तक लापरवाह हो सकती है, इसका सीधा उदाहरण देखने को मिलता है वाराणसी के एक कॉलेज में. वाराणसी में 6 दशकों से चले आ रहे कॉलेज में सालों से करोड़ो रुपये का घपला हो रहा है और प्रशासन को सरकार के अंतर्गत आने वाले इस कॉलेज की कोई सुध ही नही. वो भी तब जब कई बार शिकायतें की जा चुकी हैं. ना केवल व्यक्तिगत स्तर पर बल्कि बड़े सरकारी विभागों के शिकायत करने के बाद भी. वो चाहे धर्मादा संदान जैसी सरकारी संस्था हो, या फर्म्स, सोसाइटी एंड चिट्स जैसी सोसाइटी पंजीकरण करने वाला विभाग, या फिर काशी का विश्वविद्यालय काशीविद्यापीठ ही क्यों न हो.

क्या है मामला:

वाराणसी के राजा उदय प्रताप सिंह जूदेव ने 1908 में कॉलेज बनवाया, कॉलेज के संचालन के लिए ट्रस्ट बनाई. जिसे धर्मादा संदान को राजा द्वारा जमा मूलधन के ब्याज के रूप में प्रतिवर्ष कॉलेज संचालन के लिए ट्रस्ट सेकेट्री को देना सुनिश्चित किया गया. पर कुछ सालों बाद ही कुछ लोगों ने ट्रस्ट से इतर एक फर्जी सोसाइटी बना ली. सोसाइटी के लिए सरकार की अनुमति की जरूरत थी, जो की नही ली गयी. इस फर्जी सोसाइटी ने धर्मादा संदान से फण्ड लेना शुरू कर दिया. अब सालों से यह फर्जी सोसाइटी ही कॉलेज का संचालन कर रही है. जिसको लेकर धर्मादा संदान, सोसाइटी रेजिस्ट्रेशन करने वाली संस्था फर्म्स, सोसाइटी एंड चिट्स और काशी विद्या पीठ ने पहले ही नोटिस जारी कर इसे फर्जी करार दिया. पर इसके बाद भी अभी तक समिति के खिलाफ कोई कार्रवाई नही की गयी. साथ ही उनके हाथों से कॉलेज के प्रशासनिक कार्य का जिम्मा भी वापस नही लिया जा रहा.

कई बार की गयी शिकायत:

पहली शिकायत-

 -इस घोटाले की जानकारी होने पर धर्मादा संदान के कोषाध्यक्ष ने  फरवरी 2013 में सूचना सचिव, उत्तर प्रदेश शासन उच्च शिक्षा को पत्र लिख इस बारे में जानकारी दी

-धर्मादा संदान की तरफ से जारी पत्र में स्पष्ट लिखा गया कि उनका विभाग ‘सेक्रेटरी ऑफ़ मैनेजमेंट उदय प्रताप कॉलेज एंड हीवेट क्षत्रिया स्कूल एण्डाउंमेंट ट्रस्ट वाराणसी’ को बैंक ड्राफ्ट द्वारा भुगतान करता है.

-जब 21 मई 2012 को ट्रस्ट की अचल संपत्तियों के सत्यापन के सम्बन्ध में इस कार्यालय को पत्र प्रेषित किया गया तो पत्र का उत्तर सचिव, उदय प्रताप शिक्षा समिति वाराणसी ने दिया.

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-समिति के सचिव ने स्थति को अवगत कराते हुए सूचित किया कि कमेटी ऑफ़ मैनेजमेंट उदय प्रताप कॉलेज एंड हीवेट क्षत्रिय स्कूल, वाराणसी का नाम उदय प्रताप शिक्षा समिति वाराणसी किया गया है.

-नाम परिवर्तन सम्बन्धी कोई भी शासनादेश सचिव ने उपलब्ध नही करवाया.

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-इसके अलावा धर्मादा संदान द्वारा प्रेषित ड्राफ्ट जो की ट्रस्ट के सेक्रेटरी के नाम जारी होता है, उसे समिति के खाने में जमा किया जाता है.

-पत्र में धर्मादा संदान के कोषाध्यक्ष ने यह भी स्पष्ट किया की the charitable endowment act 1890 के अंतर्गत ट्रस्ट के प्रशासन स्कीम में किसी भी तरीके का फेर बदल राज्य सरकार की स्वीकृति से ही हो सकता है.

बहरहाल नई समिति बिना सरकार की अनुमति के बनी थी. जो पूरी तरीके से फर्जी की क्षेणी में आती है.

दूसरी शिकायत-

-सोसाइटी पंजीकरण फर्म (फर्म्स सोसाइटी एवं चिट्स) वाराणसी ने 2017 में लखनऊ के फर्म्स, सोसाइटीज एवं चिट्स के रजिस्ट्रार को पत्र लिख कर फर्जी सोसाइटी के नवीनीकरण विवाद पर ध्यान केन्द्रित करवाया. इस पत्र के अनुसार, पंजीकृत ट्रस्ट उदय प्रताप कॉलेज एवं हीवेट क्षत्रिया स्कूल इण्डाउमेंट ट्रस्ट बनारस को क्रियाशील करने का अनुरिध किया गया.

-जिसके बाद लखनऊ फर्म्स, सोसाइटी एवं चिट्स के रजिस्ट्रार ने यह अनुरोध आगे बढाते हुए सचिव वित्त (लेखा परीक्षा) उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ को सम्बन्धित मामले में उचित कार्यवाई की मांग की.

-इस तरह मामला एक विभाग से दूसरे विभाग तक बस हस्तानांतरित होता रहा पर कार्रवाई के नाम पर कोई भी एक्शन नही किया गया..

 तीसरी शिकायत-

 इसके बाद 12 अप्रैल 2017 में राजा के उत्तराधिकारी राजा चन्द्रमणि सिंह व डॉ. वशिष्ठ सिंह व 1991 में छात्र संघ अध्यक्ष रहे आनन्द विजय सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिल कर इसकी लिखित शिकायत की है.

आखिर क्यों नही हो रही कोई कार्रवाई?

इतनी बार शिकायत करने, सरकारी विभागों द्वारा नोटिस जारी करने, यूपी कॉलेज में धांधली करने वाली फर्जी समिति के दस्तावेज एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय में तक पहुँचने तक ही मामला सीमित रह गया. इतना सब के बाद भी इस मामले कोई ठोस कार्रवाई नही की गयी. जिसका परिणाम यह है कि समिति अभी तक अस्तित्व में है और बेधडल्ले से कॉलेज प्रशासनिक कार्यो में लिप्त है.

यह फर्जी समिति ना केवल कॉलेज संचालन के लिए जारी होने वाले फंड का इस्तेमाल सोसाइटी के निजी हक में करती है, बल्कि अपनी प्रशासनिक लापरवाही से कॉलेज के हजारों बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे है.

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