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यूपी कॉलेज घोटाला: ट्रस्ट के नाम पर फर्जी समिति लूट रही करोड़ो

up college varanasi Corruption Negligence of the government

सरकार अपने कर्तव्यों से विमुख है, शायद इसी वजह से एक साधारण सा मामला अब बड़े आर्थिक घोटालों में तब्दील हो गया है. एक फर्जी सोसाइटी को भंग करना क्या सरकार के लिए इतना मुश्किल हो गया कि लगातार आ रही शिकायतों के बाद भी सरकार ने अभी तक इस ओर कोई कार्रवाई नही की, या फिर यह प्रशासन की उदासीनता का नमूना है.

राजर्षि उदय प्रताप सिंह जूदेव ने की थी कॉलेज की स्थापना :

दशकों पहले एक राजा ने क्षेत्र के उत्थान और युवाओं के भविष्य के लिए विद्यालय खुलवाया. तात्कालिक ब्रिटिश सरकार के साथ अनुबंध कर ट्रस्ट बना कर कॉलेज के संचालन की जिम्मेदारी सरकार को दे दी. राजा उदय प्रताप सिंह ने पैसे दिए, जमीन दी, बिल्डिंग दी, और छात्रों के भविष्य के लिए मार्ग खोला.

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लेकिन उन्हें क्या पता था कि भविष्य में अधिकारी, संचालक व प्रशासन इतना भ्रष्ट हो जायेगा की उनके नेक काम को भूला कर उनकी पाई पाई से तैयार कॉलेज को दीमक की तरह चूस लेगा.

फर्जी सोसाइटी पर आरोप-

ट्रस्ट की आंड में समिति बना कर लूट रहे पैसे-

जब राजा साहब ने अनुबंध किया तो उसमे यह सुनिश्चित किया गया कि इसकी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की होगी. अनुबंध के आधार पर कॉलेज के सभी प्रशसनिक निर्णय का अधिकार सरकार को है.

बाद में 1964 में एक समिति का गठन हुआ. अनुबंध के आधार पर समिति के लिए सरकार की अनुमति जरुरी थी. जो की नही ली गयी. समिति का नाम है “उदय प्रताप शिक्षा समिति”

धर्मादा संदान हर वर्ष विद्यालय के संचालन के लिए ट्रस्ट के सेक्रेटरी के नाम फंड ड्राफ्ट जारी करता है. पर फर्जी समिति उस फंड को उपभोग करती है. आरोप है कि ज्यादातर पैसा सोसाइटी के उप्पर व्यय किया जाता है. इस तरह हिसाब लगाया जाये तो इतने सालों में कितना पैसा ट्रस्ट के नाम पर दबा लिया गया.

सोसाइटी बना कर ट्रस्ट व उसकी सम्पत्तियों पर अधिकार-

ना केवल इस फर्जी समिति ने सरकारी फंड पर अपना कब्जा जमाया. बल्कि ट्रस्ट और उसके अधिकार की संपत्तियों को भी अपने अधिकार में कर लिया.

डिग्री के सभी छात्रावास बंद

सरकार के अधीन आने वाले यूपी कॉलेज का संचालन करने वाली इस फर्जी समिति की दें ही है कि विद्यालय के डिग्री अभ्यर्थियों के लिए चलने वाले छात्रावास बंद कर दिए गये. जिससे छात्रों को भी समस्या का सामना करना पड़ता है.

2013 में ही स्वायतशासी कॉलेज की मान्यता रद्द-

2013 में कालेग का स्वायतशासी का दर्जा समाप्त हो गया था. कालेग का नाविनिकरण नही करवाया गया. जिस वजह से भी छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ किया गया. बिना मान्यता छात्रों को प्रवेश दे दिया गया. और परीक्षाएं करवा दी गयी.

परिणाम यह हुआ कि काशी विद्यापीठ ने कालेग के छात्रो की डिग्री पर रोक लगा दी. बता दे कि इसके बाद छात्रों डिग्री को लेकर काफी हंगामा भी किया था.

समिति ने नही लिया काशी विद्या पीठ से कोई अनुमोदन-

कॉलेज प्रबंध समिति 5 संस्थाओ का संचालन करती है और प्रबंध परिषद उदय प्रताप महाविद्यालय का संचालन करता है. विश्वविद्यालय से बिना अनुमोदन विद्यालय नियुक्तिया और प्रशासनिक निर्णय ले रहा है. इसकी शिकायत भी सचिव उच्च शिक्षा से की जा चुकी है.

इसके अलावा यूपी कॉलेज से सम्बन्धित राशि स्कूल ऑफ़ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी की बीबीए और बीसीए की मान्यता को लेकर भी काशी विद्यापीठ ने समिति को नोटिस भेज चुकी है.

बैंक की भूमिका पर भी संदेह:

इतनी आसानी से समिति के सदस्य सालों से सरकारी फंड का इस्तेमाल कर रहे है. ट्रस्ट के सेक्रेटरी के नाम जारी ड्राफ्ट समिति के सचिव के खाते मे पहुँच जाता है. जब इस बारे में शिकायतकरता ने इलाहाबाद बैंक के मेनेजर को बताया गया, तो मेनेजर ने इस मामले में कोई कार्रवाई नही की. नदेसर स्थित जोनल कार्यालय में DGM बी साहू से बैंक अकाउंट की जानकारी मांगी तो उन्होंने भी मना कर दिया.

बता दें कि उदय प्रताप शिक्षा समिति यू.एन, सिन्हा ने अपने पत्रांक 145/मिस./2013-14 दिनांक 14.09.2013 में स्पष्ट शब्दों में उल्लेख करते हुए लिखा है कि धर्मादा संदान से जो ब्याज की राशि प्रतिवर्ष उदय प्रताप कालेज एण्ड हीवेट क्षत्रिया स्कूल एण्ड एंडाउन्मेन्ट ट्रस्ट के नाम प्राप्त होती रही है।

उसे उदय प्रताप शिक्षा समिति के खाते में जमा किया जाता रहा है. आखिर इतनी बड़ी राशि जो ट्रस्ट के सेक्रेट्री के नाम जारी होती है, वह समिति के खाते में इतनी आसानी से कैसे जा सकती है. सरकार ने इस ओर भी ध्यान नही दिया.

क्या है मामला:

राजा साहब ने 1908 में कॉलेज बनवाया, कॉलेज के संचालन के लिए ट्रस्ट बनाई. जिसे धर्मादा संदान को राजा द्वारा जमा मूलधन के ब्याज के रूप में प्रतिवर्ष कॉलेज संचालन के लिए ट्रस्ट सेकेट्री को देना सुनिश्चित किया गया. पर कुछ सालों बाद ही कुछ लोगों ने ट्रस्ट से इतर एक फर्जी सोसाइटी बना ली. सोसाइटी के लिए सरकार की अनुमति की जरूरत थी, जो की नही ली गयी.

इस फर्जी सोसाइटी ने धर्मादा संदान से फण्ड लेना शुरू कर दिया. अब सालों से यह फर्जी सोसाइटी ही कॉलेज का संचालन कर रही है. जिसको लेकर धर्मादा संदान, सोसाइटी रेजिस्ट्रेशन करने वाली संस्था फर्म्स, सोसाइटी एंड चिट्स और काशी विद्या पीठ ने पहले ही नोटिस जारी कर इसे फर्जी करार दिया. पर इसके बाद भी अभी तक समिति के खिलाफ कोई कार्रवाई नही की गयी. साथ ही उनके हाथों से कॉलेज के प्रशासनिक कार्य का जिम्मा भी वापस नही लिया जा रहा.

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