राजेश पर भाजपा की केन्द्रीय नेतृत्व की मुहर के बाद , मची है अबरार …….इस्तीफों का दौर जारी

 

सुलतानपुर ।

 

यूपी चुनाव में प्रत्याशी चयन को लेकर बगावत सिर्फ सपा-बसपा और कांग्रेस में ही नहीं बल्कि बीजेपी में भी पार्टी पदाधिकारियों के बागी रूख आने लगे हैं तो वहीं नराज पार्टी पदाधिकारियों ने बकायदा त्याग पत्र जारी करते हुए भाजपा विधायक व प्रत्याशी राजेश गौतम की धड़कने बढ़ाने के साथ ही साथ सुलतानपुर भाजपा को भी असमंजस में डाल दिया है । सुल्तानपुर में कादीपुर सुरक्षित सीट पर दुबारा विधायक राजेश गौतम को प्रत्याशी बनाए जाने पर बीजेपी की अंतर्कलह सामने आई है। यहां दो बूथ अध्यक्ष और दो महामंत्री ने अपना लिखित त्याग पत्र बीजेपी जिलाध्यक्ष को भेजा है। यह सभी सुभाष चंद को टिकट देने की पैरवी करते चले आए हैं।

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दुबारा प्रत्याशी बनाए गए हैं विधायक

 

शुक्रवार को जारी सूची में बीजेपी शीर्ष नेतृत्व ने सुल्तानपुर की कादीपुर सुरक्षित सीट से विधायक राजेश गौतम के नाम पर मुहर लगाई थी। बैरहाल राजेश ने 2017 में मोदी लहर में बीएसपी के भगेलू राम को हार का मजा चखाया था , लेकिन इस बार खुद उनकी मुश्किलें बढ़ी हुई हैं, क्षेत्र में नदारद रहने और विकास कार्य न के बराबर करने को लेकर जहां भारी विरोध है वही पार्टी में भी उनका विरोध शुरु हो गया है। उनका टिकट फाइनल होते ही हरपुर बूथ अध्यक्ष रमेश कुमार सिंह, मेवालाल चौहान, अखंडनगर के मंडल महामंत्री माधव राम वर्मा और अखंड नगर के महामंत्री सुनील कुमार मौर्या ने अपना-अपना त्याग पत्र बीजेपी जिलाध्यक्ष डॉ. आरए वर्मा को भेजा है।

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सोशल मीडिया पर भी विधायक के खिलाफ जमकर दिख रहे बगावत के सुर

 

भाजपा विधायक व प्रत्याशी राजेश गौतम को लेकर विधानसभा क्षेत्र में जमकर विरोध दिख रहा है । सभी सुभाष चंद्र के समर्थन में पोस्ट करके बीजेपी उम्मीदवार को हराने की बात लिख रहे हैं । 2017 में राजेश ने जिन के दम पर अपने प्रतिद्वंद्वी बसपा प्रत्याशी रहे भगेलू राम को पराजित किया था , तो वहीं इस बार वही भगेलू राम सपा के टिकट पर उनके सामने ताल ठोकते नजर आ रहे हैं ।

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आज तक सुरक्षित सीट रही है कादीपुर

 

गौरतलब रहे कि कादीपुर सीट 1957 से लेकर आज तक सुरक्षित सीट रही है। इससे पहले। यहां के मतदाता दो विधायक चुनते थे एक सामान्य और एक अनुसूचित जाति का । यहां बता दें कि 1952 से लेकर 1989 तक यहां 11 बार कांग्रेस का विधायक चुना गया। लेकिन इसके बाद से कांग्रेस को यह सीट नसीब नहीं हुई। 1977 में जनता पार्टी की हुई थी जीत 1977 में एक बार इस सीट पर जनता पार्टी और 1991 की रामलहर में बीजेपी ने यहां से जीत दर्ज कराई थी। उसके बाद 1993 में बसपा के भगेलू राम विधायक चुने गए। लेकिन ठीक तीन साल बाद 1996 में बीजेपी ने उनसे यह सीट छीन ली।

लगातार दो टर्म विधायक रहे भगेलू राम

 

2002 और 2007 में भगेलू राम दो बार विधायक हुए। इसके बाद भाग्य ने दो बार उनका साथ नहीं दिया 2012 में वो सपा के रामचंद्र चौधरी से और 2017 की मोदी लहर में बीजेपी के राजेश गौतम से चुनाव हार गए।

रिपोर्ट – ज्ञानेन्द्र तिवारी / अरूण त्रिपाठी

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