उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और ऊर्जा राज्य मंत्री श्रीकात शर्मा के निर्देशों के बावजूद राजधानी लखनऊ सहित आसपास के कई जिलों में अघोषित बिजली कटौती जारी है. हालात इस कदर बदतर हो चले कि हेल्पलाइन नंबर 1912 पर कॉल करने के बाद भी लोगों को किसी भी प्रकार की मदद नही मिल रही है.
उत्पादन कम होने से चरमराई प्रदेश की बिजली व्यवस्था-
- उत्तर प्रदेश में बढ़ते विकास के साथ बिजली की भी मांग बढ़ती जा रही है.
- मगर बिजली का उत्पादन कम होने से प्रदेश की बिजली व्यवस्था पूरी तरह से चरमराई हुई है.
- ऐसे में शहर से लेकर गांव तक की कटौती जा रही है.
- इस दौरान कई इकाईयों के ठप हो जाने से भी बिजली संकट खड़ा हो गया है.
पावर कारपोरेशन को रोजाना खरीद रहा करोड़ों रुपए की बिजली-
- प्रदेश में बिजली संकट गहराने के कारण पावर कारपोरेशन को रोजाना 20 से 25 करोड़ रुपए की बिजली खरीदनी पड़ रही है.
- ऐसे में अब बिजली की दरें बढ़ाने पर मंथन किया जा रहा है.
- इस दौरान अधिकारियों ने भी 15 अक्टूबर तक अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं.
- जिसके बाद अब सभी सरकारी विभागों से भी वसूली की जाएगी.
- हालांकि सरकारी अस्पतालों को थोड़ी रियायत दी गई है.
- जिसके चलते सरकारी अस्पतालों को छोड़कर बाकि सभी बड़े बकाएदारों से वसूली की जाएगी.
5 हजार मेगावॉट की इकाइयां ठप-
- बिजली विभाग मौजूदा समय के शायद सबसे बड़े बिजली संकट से जूझ रहा है.
- प्रदेश की जनता की बिजली की मांग तकरीबन 20 हजार मेगावॉट है.
- जबकि प्रदेश में बिजली की उपलब्धता घटकर 15 हजार मेगावॉट पहुँच चुकी है.
- इसके साथ ही प्रदेश की कई बिजलीघर इकाइयां भी ठप हो गयी हैं.
- जिनमें अनपरा, लैंकों, ललितपुर और बारा बिजलीघर इकाइयां ठप हो गयी हैं.
मांग और आपूर्ति में आया 5 हजार मेगावॉट का अंतर-
- अनपरा, लैंकों, ललितपुर और बारा बिजलीघर इकाइयां ठप हो गयी हैं.
- जिसके तहत प्रदेश की मांग और आपूर्ति में 5 हजार मेगावॉट का अंतर आया है.
- अनपरा में 210 और 500 मेगावॉट की दो इकाइयां बंद हो गयी हैं.
- जबकि लैंकों में 600 मेगावॉट की इकाई बंद हो गयी है.
- वहीँ बारा में भी 660 मेगावॉट की दो इकाइयां बंद हो गयी हैं.
- इसके साथ ही ललितपुर की 1800 मेगावॉट की इकाई ठप हो गयी है.
- साथ ही ओबरा में भी दो इकाइयां ठप हो गयी हैं.
प्राइवेट कंपनियों की महँगी बिजली से बढ़ी समस्या-
- उत्तर प्रदेश मौजूदा समय में भीषण बिजली संकट से जूझ रहा है.
- बिजली संकट के लिए कहीं न कहीं निजी कंपनियों की महँगी बिजली भी जिम्मेदार है.
- वहीँ सूबे के कई जिलों के प्रमुख शहरों में बिजली का संकट बढ़ गया है.
- जिनमें आगरा, मेरठ, झांसी समेत कई शहर शामिल है.
- यहाँ तक कि, राजधानी लखनऊ का हाल भी बहुत बुरा है.
- गाँव में 18 घंटे बिजली देने की बात करने वाली योगी सरकार में गांवो में भी बुरा हाल है.
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Mohammad Zahid
मैं @uttarpradesh.org का पत्रकार हूँ। तथ्यों को लिखने से मुझे कोई रोक नहीं सकता।नवाबों के शहर लखनऊ का हूँ इसलिए बुलंद आवाज़ भी उठाता हूँ तो बड़े एहतराम से....