उत्तर प्रदेश सरकार की मोचियों को स्थाई दुकान देकर उनकी आर्थिक स्थित को सुदृढ़ करने की ‘स्थाई दुकान योजना’ अब तक धारतल पर नहीं आई है, लेकिन मोचियों को लेकर अधिकारियों ने एक नई योजना पर मंथन शुरू कर दिया है। मोचियों को कमाई के साधन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से “मोबाइल दुकान” नाम से एक नई शुरू हो सकती है।

वक्त के साथ बदलते परिदृश्य में मोचियों की आर्थिक स्थति अच्छी नहीं है उनकी कमाई कम होती जा रही है, जिसके लिए अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम ने करीब दो साल पहले ‘स्थाई दुकान योजना’ की शुरूआत की थी, लेकिन जमीन की बढ़ती कीमत से यह योजना फ्लाप हो गई। योजना के लिए आवंटित राशि में दुकान तो दूर जमीन ही उपलब्ध नहीं हो पा रही है। अब अधिकारी स्थाई दुकान के स्थान पर मोबाइल दुकान की योजना को कार्यन्वित करना चाहते हैं।

राजधानी समेत प्रदेश के 36 जिलों मॆं कराये गये सर्वे में यह बात सामने आयी कि अकेले राजधानी लखनऊ में 241 मोची ऐसे हैं जो सड़क किनारे बैठे रहते हैं और उनकी माली हालत ठीक नहीं है। पूरे प्रदेश में अबतक करीब 4 हजार मोची सामने आये हैं।

अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के डीजीएम वीरेन्द्र तिवारी ने बताया कि प्रदेश सरकार की मंशा के अनुरूप मोचियों को आर्थिक तौर पर मजबूत करने के लिए मोबाइल दुकान योजना का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है, बजट का आवंटन पहले ही हो चुका है, सिर्फ योजना में बदलाव होना है और आदेश मिलते ही योजना का लागू कराया जाएगा।

UTTAR PRADESH NEWS की अन्य न्यूज पढऩे के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें