यूपी के मेरठ जिले के हस्तिनापुर वन्यजीव विहार (Hastinapur Wildlife) को ईको टुरिज़म डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने के लिए मेरठ में एक कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है।

  • इस कार्यशाल का आयोजन विश्व प्रकृति निधि भारत और वन विभाग मेरठ ज़ोन ने संयुक्त रूप से आयोजित किया।
  • के प्रवीण राव महाप्रबंधक, उत्तर प्रदेश वन निगम लखनऊ, मुकेश कुमार मुख्य वन्य संरक्षक मेरठ रमेश पाण्डेय वन संरक्षक सहारनपुर, डॉ. असग़र नवाब, विश्व प्रकृति निधि-भारत, नई दिल्ली डॉ. बितापी सिन्हा, वैज्ञानिक, भारतीय वन्य जीव संस्थान, देहरादून मेरठ ज़ोन के सभी डीएफ़ओ, एसडीओ, रेंज अधिकारी, एनजीओ, ग्राम प्रधान भी इस कार्यशाला में भाग ले रहे हैं। यह जानकारी वन संरक्षक रमेश पांडेय ने दी।

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दलदली झीलें पक्षियों के लिए हैं बेहद अनुकूल

  • वन संरक्षक रमेश पांडेय ने बताया कि हस्तिनापुर वन्य जीव विहार जैव विविधता से परिपूर्ण है।
  • यहां दलदली झीलें पक्षियों के लिए बेहद अनुकूल हैं।
  • गंगा किनारे की दलदली झीलों में बूढ़ी गंगा, भीकुंड, जलालपुर जोरा, मखदूमपुर व गंगा पुल प्रमुख हैं।
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  • हस्तिनापुर रेंज में 48 प्रजातियों के कुल 2,485 जल पक्षी हैं।
  • तलहटी में सबसे ज्यादा जल पक्षी गणना में गंगा किनारे 924 की संख्या में हेडिड गीज पाए गए।
  • इसके अलावा रूडी सेल्डक (चकवा) 26, ग्रेटकार वोंटर 225, गैडवाल 412 पाए गए।
  • अति संकटग्रस्त प्रजाति की जल चिड़िया ग्रेटर स्कोप भी यहां देखने को मिलती है।
  • साथ ही संकटग्रस्त प्रजातियों में पेंडिड स्ट्रार्क, रिवर टर्न, ऊली नेक्ड स्ट्रार्क, कामन पोचार्ड, रिवर लेपुइंग, (Hastinapur Wildlife) ओरियंटल डाटर व सारस भी देखने को मिल जायेंगे।

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