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यूपी में राजनीति के लिए अहम मुद्दा बनेगा किसान

UP Lok Sabha elections: Farmers will become key issue for politics

UP Lok Sabha elections: Farmers will become key issue for politics

यूपी में राजनीति के लिए अहम मुद्दा बनेगा किसान

जहाँ एक तरफ 2014 में मोदी सरकार प्रचंड बहुमत के साथ सरकार में आई। 17वीं लोकसभा के पहला चरण का चुनाव 11 अप्रैल से शुरू होगा और 19 मई को अंतिम यानि सातवें चरण का चुनाव संपन्न होगा। चुनाव आयोग ने चुनाव प्रकिया सरल एवं मतदाताओं को सुविधा देने के लिए कई कोशिशें की है। लेकिन 2014 से 2016 तक सूखे का दौर रहा जिसकी वजह से किसानों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा। किसानों की पूंजी पर असर पड़ा। मतदाता अब मोबाइल पर एक क्लिक के जरिए चुनाव में सक्रिय भूमिका निभा पाएंगे। चुनाव आयोग ने इसके लिए कई मोबाइल एप्लिकेशन बनाए हैं।

2014 से 2016 तक सूखे का दौर रहा जिसकी वजह से किसानों को करना था पड़ा मुश्किलों का सामना

किसी तरह से किसान इन हालातों से बाहर निकले। लेकिन 2016 से 2018 के बीच बंपर खाद्यान्न उत्पादन की वजह से कीमतों में गिरावट आई जिसकी झलक टीवी स्क्रीन पर नजर भी आती थी। जानकार बताते हैं कि दिसंबर 2018 में ग्रामीणों की औसत मजदूरी में सिर्फ 3.8 फीसद की बढ़ोतरी हुई। लेकिन उसमें असामनता थी।

देश की सत्ता पर काबिज करने की चाह रखने वाली पार्टियों के लिए महत्वपूर्ण है  ग्रामीण इलाके

कुल 543 सीटों में से 342 सीटें ग्रामीण इलाकों में हैं और शहरी इलाकों में 57 सीटें हैं इसके अलावा बची हुई सीटों का स्वरूप मिलाजुला है। इसका अर्थ ये है कि शेष सीटों पर ग्रामीण और शहर दोनों का प्रभाव है। इसका अर्थ ये है कि देश की सत्ता पर काबिज करने की चाह रखने वाली पार्टियों के लिए ग्रामीण इलाकों में आने वाली 342 सीटें अहम हैं। ये वो सीटें है जहां किसानों का प्रभुत्व है। इसका मतलब ये भी है कि जो दल किसानों के दिल में उतरने में कामयाब होंगे उनके लिए दिल्ली की राह आसान होगी।  अगर आम चुनाव 2014 की बात करें तो इन 342 सीटों में से बीजेपी 178 सीटों का अपनी झोली में डालने में कामयाब रही।

किसानों की कर्जमाफी के मुद्दे को कांग्रेस ने तीन राज्यों में दिखा था असर

किसानों की कर्जमाफी के मुद्दे को कांग्रेस ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में जोरशोर से उठाया था और उनकी कवायद कामयाब रही। उन राज्यों में बीजेपी को मिली नाकामी केंद्रीय कमान के लिए चिंता की वजह बनी। पार्टी और सरकार में इस बात पर मंथन हुआ कि अगर किसानों के रोष को थामने में कामयाबी नहीं मिली तो आगे की राह आसान नहीं होगी। इसकी भरपाई के लिए बजट में पीएम किसान योजना का ऐलान हुआ जिसमें किसानों को तीन चरणों में खेती के लिए दो  दो हजार रुपये देने का फैसला किया गया। अब ये देखने वाली बात होगी कि अन्नदाताओं का रुख क्या रहता है।

रिपोर्ट- संजीत सिंह सनी

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