उत्तर प्रदेश स्टेट हाइवे अथारटी (UPSA) के दिल्ली-सहारनपुर बनने वाले फोरलेन हाइवे में हुए करोड़ों रुपये के घोटाले के मामले में अब धीरे-धीरे कई सवाल उठने लगे हैं।

  • बताया जा रहा है कि उपसा में ठेका पाने वाली हैदराबाद की कंपनी एसईडब्ल्यू एलएसवाई, बैंक के अधिकारियों की भूमिका सामने आ रही है।
  • स्टेट हाइवे अथॉरिटी के अधिकारियों पर भी बंदरबांट करने का आरोप लग रहा है।

काम पूरा न होने पर भी दे दिया एक्सटेंशन

  • बताया जा रहा है की ठेका पाने वाली कंपनी को अधिकारियों के दबाव में काम पूरा न करने के बाद भी दो बार एक्सटेंशन दे दिया गया।
  • अब जांच एजेंसियों के निशाने पर कंपनी के साथ उपसा के कई अधिकारी हैं।
  • uttarpradesh.org ने इस खबर को सबसे पहले ही प्रकाशित कर खेल उजागर किया था।
  • बता दें कि उत्तर प्रदेश स्टेट हाइवे अथारटी के दिल्ली-सहारनपुर (170.30 किलोमीटर) मार्ग का निर्माण में करोड़ों रूपयों के घोटाले का खुलासा परियोजना महाप्रबंधक शिवकुमार अवधिया ने किया।
  • उन्होंने विभूतिखण्ड थाने में मामला पंजीकृत कराते हुये वरिष्ठ पूर्व आईएएस अधिकारी सहित प्रमुख नामचीन चेहरों पर घोटाले का आरोप लगाया है।

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यह है उप्र राज्य राजमार्ग प्राधिकरण लिखा गया पत्र

  • उप्र राज्य राजमार्ग प्राधिकरण को एक 10 दिसंबर 2014 को एक पत्र लिखा गया है।
  • इसमें दिल्ली सहारनपुर यमुनोत्री मार्ग (एसएच-57) माईल स्टोन सं. कि0मी0 0910 से कि0मी0 चौड़ीकरण में बाधक विद्युत लाईन/पोलो के शिपिटंग करने की चर्चा की गई है।
  • पत्र में लिखा गया है कि दिल्ली सहारनपुर यमुनोत्री मार्ग के किमी 10.910 से किमी 25.300 तक विद्युत लाइन एवं पोल शिफ्टिंग का प्राक्कलन पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के विद्युत वितरण खण्ड लोनी द्वारा प्रेषित किया गया है।
  • पत्र में लिखा गया है कि सबसे पहले इस कार्य की चैनेज के लिए वर्ष 2011-12 में विद्युत निगम द्वारा मूल आगणन गठित किया गया था।
  • जिसकी कुल लागत रू. 15,09,81008.40 थी।
  • इस आगणन के आधार पर सदस्य तकनीकी राज्य राजमार्ग प्राधिकरण लखनऊ ने पत्र सं0 127/प्रावि-2012-13/उपशा/लखनऊ दिनांक-15-10-2012 द्वारा इस मार्ग के निजी विकासकर्ता मैसर्स एस0ई0डब्लू0 को कार्य करने के निर्देश जारी किये गये थे।
  • वर्ष 2012-13 में विद्युत निगम द्वारा संशोधि: मात्रा एवं विद्युत निगम की पुनरीक्षित दरों के आधार पर इस कार्य का पुनरीक्षित आगणन लागत रू0 15,93,065,835 प्रस्तुत किया गया था।
  • निजी विकासकर्ता मैसर्स एसाईडब्लू द्वारा अपने पत्र सं.) sly/upsha/2014/12 दिनांक 02-06-2014 द्वारा सामग्री व श्रमिक दरों में वृद्धि के कारण एवं कार्य के कुछ मदों की मात्राओं में संशोधन की आवश्यकता के आधार पर आगणन पुनरीक्षित करने का अनुरोध किया गया था।
  • मुख्य कार्यपालक अधिकारी उ0प्र0 राज्य राजमार्ग प्राधिकरण लखनऊ की अध्यक्षता में आहूत बैठक दिनांक 20-03-2014 में उक्त आगणन में छूट गये अतिरिक्त आवश्यक कार्यों का अनुपूरक आगणन 2013-14 की दरों पर रामलब्ध कराने के निर्देश दिये गये थे।
  • तदानुसार सदस्य (तकनीकी) उ0प्र0 राज्य राजमार्ग प्राधिकरण ने अपने पत्रांक 8 57/प्रवि-8(1)/Electrical File/2014-15/उपशा/लखनऊ दिनांक-17-07-2014 द्वारा आगणन पुनरीक्षित करने हेतु विद्युत वितरण निगम लिमिटेड से अनुरोध किया गया था।

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यह है मामला

  • बता दें कि अखिलेश सरकार के वरिष्ठ पूर्व आईएएस अधिकारी सूर्यप्रताप सिंह के बाद एक और 1735 करोड़ रूपये के घोटाले का मामला प्रकाश में आया है।
  • आरोप है कि यह खेल अखिलेश यादव और उनके एक बेहद करीबी आईएएस अधिकारी ने खेला है।
  • लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे की तर्ज पर ही हुए ‘दिल्ली-यमुनोत्री’ हाइवे ( एसएच-57:206 किमी) पर भी अरबों रुपये का घोटाला हुआ है।
  • इस मार्ग के निर्माण के लिए करीब 1735 करोड़ रुपये की रकम बैंकों की मिलीभगत से निकाल कर सीईडब्लू नामक हैदराबाद की निर्माण कम्पनी पैसा लेकर रफ्फूचक्कर हो गई।
  • इस मामले में राजधानी के विभूतिखंड थाने में धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।
  • परियोजना महाप्रबंधक ने पुलिस को दी तहरीर में बताया है कि फोरलेन निर्माण का काम मेसर्स एसईडब्ल्यू-एसएसवाई हाइवेज लिमिटेड को दिया गया था।
  • उप्सा ने इसके लिए कम्पनी के सुकरवा अनिल कुमार और अलोरी साईबाबा से एक अगस्त 2011 को एग्रीमेंट किया था।
  • डायरेक्टर्स ने 30 मार्च 2012 को काम शुरू करके 900 दिन में काम पूरा करने का दावा किया।
  • परियोजना की कीमत 1735 करोड़ रुपये थी।
  • इसके बाद उप्सा के परियोजना महाप्रबंधक शिवकुमार अवधिया ने विभिन्न ठेकेदार कम्पनियों के डायरेक्टर्स और बैंकों के चार्टर्ड अकाउंटेंट्स समेत 18 लोगों के खिलाफ विभूतिखंड थाने में धोखाधड़ी व अमानत में खयानत की एफआईआर दर्ज करायी है।
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