प्रदेश के गाजीपुर जिले में एक थाना ऐसा भी है। जहां मंदिर के साथ- साथ ब्रह्मदेव को भी स्थापित किया गया है। इस थाने के सभी पुलिसकर्मियों की माने है कि पूजा पाठ करने के बाद ही वे थाने के किसी काम की शुरुआत करते है। जनपद के नंदगंज थाना जो कि आजादी के पूर्व का थाना है। इसमें उस समय का बना फांसी घर  अभी भी देखा जा सकता है। थाने के पुलिसकर्मियों की माने है कि बाबा के बिना आशीर्वाद के थाना नही चल सकता।यहां तक कि अपराधियों को पकड़वाने तक मे बाबा मदद करते है। किसी भी नये थानाध्यक्ष की ड्यूटी बाबा के आशीर्वाद के बिना नही शुरू होती है।

बाबा की पूजा पाठ करने के बाद ही काम शुरु करते है पुलिसकर्मी

पुलिस नाम सुनते ही लोगों के मन में डर की भावना आ जाती है। लेकिन गाजीपुर के नंदगंज थाना की पुलिस एक ब्रहम बाबा से इतना डरती है,कि बिना उनके पूजन अर्चन किए अपने थाने का कोई भी काम नहीं करती। इतना ही नहीं उस स्थान पर किसी भी तरह की गंदगी न हो इसके लिए भी विशेष व्यवस्था कर उसकी निगरानी के लिए हर वक्त कॉन्स्टेबल या होमगार्ड की ड्यूटी लगाई जाती है ताकि कोई गलती से भी उस स्थान पर गंदगी न कर सके।

गाजीपुर का यह नंदगंज थाना वैसे तो अंग्रेजों के समय का है। इस बात का साबूत यहां कि इमारते करती है।इससे साफ जाहिर होता है कि अंग्रेजों ने अपने वक्त में गोली चलाने के लिए इमारत बारजे की डिजाइनिंग की है। इतना ही नहीं इस थाने के अंदर वह भी जगह मौजूद है। जहां पर अंग्रेज अपने समय में फांसी दिया करते थे। समय बदला और भारत अंग्रेजों के हाथ से आजाद हुआ।

तकरीबन 20- 25 साल पहले थाने के अंदर एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। उसके बाद से ही थाना क्षेत्र के इलाके में आए दिन आपराधिक घटनाएं बढ़ने लगी। थाने पर तैनात पुलिस अधिकारियों को समझ में नहीं आ रहा था यह सब अचानक कैसे हो गया फिर उसके बाद इन लोगों ने उस वक्त जानकार पंडितों से सलाह मशवरा किया तब उन्हें इस बात का ज्ञान हुआ कि जो व्यक्ति मारा था वह ब्राह्मण था और वह अब ब्रह्म बन चुका है। और वह सबके लिए पूजनीय है उस वक्त लोग बताते हैं कि जहां पर उस ब्राह्मण की मौत हुई थी।

साफ सफाई का काम करते है यहां के पुलिसकर्मी

वहां पर किसी भी तरह की गंदगी या फिर जाने अनजाने में कोई भी गलत कार्य हो जाता था। तो उस थाना क्षेत्र में आपराधिक घटनाओं की भरमार हो जाया करते थे इन सभी की जानकारी के बाद पहले तो उस स्थान को पवित्र स्थान माना गया और फिर धीरे धीरे उस पवित्र स्थान की बैरिकेटिंग कर दिया गया। ताकि लोग उसमें आ जा सके। यहां पर जब दिन की शुरुआत होती है थाने के सभी सदस्य चाहे वह थानाध्यक्ष हो या फिर कांस्टेबल सभी लोग यहां आकर पूजापाठ करते है। उसके बाद ही अपना कोई अन्य कार्य करते हैं अगर कभी किसी ने कोई गलती कर दिया तो उसका खामियाजा पूरे थाने को भुगतना पड़ता है। इतना ही नहीं यहां की मान्यता यह भी है कि अंग्रेजों के जाने के बाद थानाध्यक्ष के लिए जो कमरा मिला हुआ था।

जिसमें थानाध्यक्ष बैठकर लोगों की फरियाद सुन सके और उसका निस्तारण कर सके लेकिन उस कमरे में जिस थानाध्यक्ष ने भी बैठने की जरूरत किया। उसका अगले दिन ही बोरिया बिस्तर बंद हो गया इसी डर से यहां का कोई भी थानाध्यक्ष अपने कमरे में नहीं बैठता बल्कि वह पवित्र स्थान ब्रहम बाबा के पास ही अपना बैठने का स्थान बनाया हुआ है। जो आज भी एक परंपरा के अनुसार चला आ रहा है। यानी कि इस पूरे मामले को देखकर हम कह सकते हैं कि भले ही खा कि किसी को डराती हो लेकिन आज भी कोई ऐसा है जिससे खाकी डरी व सहमी नजर आती है।

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