आखिरकार जीपीओ में सहायक डाकपाल को एलडीए वीसी की सहायता से 11 साल बाद उनके प्लाट पर कब्ज़ा मिल गया। प्लाट पर कब्जे के लिए पीड़ित लगातार एलडीए के चक्कर काट रहा था लेकिन उसकी कहीं सुनवाई नहीं हो रही थी। हालांकि प्लाट पर कब्ज़ा मिलने के बाद जहां पीड़ित काफी खुश है वहीं उसके परिवार में भी ख़ुशी का माहौल बना हुआ है। पीड़ित परिवार ने अधिकारियों की इस नेक काम के प्रशंसा की है।

प्लाट के लिए सालों से चक्कर काट रहा था पीड़ित

जीपीओ लखनऊ में सहायक डाकपाल राम बरन उमर वैश्य ने बताया कि पत्र दिया कि लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वाराउन्हें एक प्लाट आवंटित किया गया है। ये प्लाट 1/726 वरदान- 1 गोमतीनगर विस्तार लखनऊ में 18 जुलाई 2006 में आवंटित किया गया था। लगभग 11 वर्ष व्यतीत होने के बाद भी अभी तक यह प्लॉट उन्हें भौतिक रुप से कब्जा नहीं दिया गया। इसके कारण प्लाट को विकसित करने से पीड़ित वंचित था।

victim got possession at LDA plot after 11 years in lucknow

पीड़ित ने एलडीए उपाध्यक्ष को दिए प्रार्थनापत्र में कहा कि वह पिछले 11 वर्षों से सैकड़ों बार लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारियों के यहां चक्कर काटता रहा लेकिन अधिकारियों ने मात्र आश्वासन के अलावा किसी प्रकार की ठोस कार्यवाही नहीं की गई। इसलिए पीड़ित ने इस प्लाट पर कब्जे अतिक्रमण से मुक्त करा कर कब्जा दिलाने की मांग की थी। पीड़ित की शिकायत का गंभीरता से संज्ञान लेते हुए एलडीए वीसी प्रभु नाथ सिंह नजूल अधिकारी विश्व भूषण मिश्रा को कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। नजूल अधिकारी ने मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए प्लाट से अतिक्रमण हटवाकर पीड़ित को प्लाट पर कब्ज़ा दिलवा दिया।

भले ही लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) में अफसर और बाबुओं ने लूट खसोट करके पूरे महकमें की छवि धूमिल की हो लेकिन कुछ ऐसे भी अफसर हैं जिनकी प्रशंसा जितनी की जाये कम ही होगी। ये हम नहीं बल्कि एक भुक्तभोगी जितेंद्र मोहन श्रीवास्तव का कहना है जो पिछले नौ साल से एलडीए के चक्कर काट रहा था लेकिन उसे अधिकारी गोल-गोल घुमा रहे थे। लेकिन एक ईमानदार अधिकारी विश्व भूषण मिश्रा की वजह से एनओसी जारी कर दी है।

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