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उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में पहले नोटबंदी के कारण और अब सपा में मचे घमासान के कारण चुनाव प्रचार सामग्री विक्रेताओं को कड़ाके की ठंड में पसीना आ रहा है। विधानसभा चुनाव मैदान में उतरने से पहले लड़ाई तो समाजवादी पार्टी के अंदर चल रही है। लेकिन पसीना प्रचार सामग्री बेचने वालों को छूट रहा है। यहां उन्हें डर है कि कहीं अगर चुनाव आयोग ने सपा का चुनाव चिह्न साइकिल फ्रीज कर दिया तो उन्होंने जो  माल भरा है, वह भी फ्रीज हो जाएगा।

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चुनाव आयोग की भी टेढ़ी नजर

https://www.youtube.com/watch?v=5KH5NQ5Zgnk&feature=youtu.be

  • चुनाव सामग्री विक्रेता विष्णु अग्रवाल ने बताया कि चुनाव सामग्री का अभी तो मद्दा चल रहा है।
  • साईकिल का तो कोई ग्राहक आ ही नहीं रहा है।
  • बीजेपी का बसपा का ग्राहक आ रहा है।
  • साईकिल का चुनाव चिन्ह डिक्लिर होगा उसके बाद आयेगा।
  •   दुकान तो हमारी 25 -30 साल पुरानी है।
  • जो भी ग्राहक आते है हमारे पास ही आते है जैसे क्लियर सीट होती जाएंगी उस प्रकार से ग्राहक आता जायेगा।
  • वहीं अन्य दुकानदार संजय जैन का कहना है कि हमें तजुर्बा इसलिए भी है हमारा चुनाव सामग्री का बहुत पुराना काम है।
  • पहले चुनाव में अच्छी सेल हुआ करती थी लेकिन इस बार तो सन्नाटा है।
  • अभी तो नोटबंदी के कहर से ही आदमी कम आया है।
  • प्रत्याशियों की सीट घोषित नहीं हुई है अभी आचार संहिता लागू हुई है।
  • एक दो तो बीजेपी के ग्राहक आ रहे हैं।
  • बीएसपी के झंडे खरीदने लोग आ रहे हैं लेकिन समाजवादी पार्टी का तो इसलिए ग्राहक नहीं आ रहा है क्योकि अभी तय नहीं हो पाया कि साईकिल किसकी है।
  • अगर निशान कैंसिल हो गया तो उसकी सारी सामग्री बेकार हो जायेगी।
  • जिस तरह तैयारियां आयोग, जिला प्रशासन, राजनीतिक दल करते हैं, उसी तरह की तैयारियां प्रचार सामग्री की बिक्री करने वालों की भी रहती है।
  • विधानसभा चुनाव पहले हो सकते हैं, इस बात की चर्चा पहले से ही हो रही थी, इसे देखते हुए ही झंडे, बिल्ले, स्टिकर, कैप आदि बनाने वालों ने पूरी ताकत लगाकर बाजार में सामान झोंक दिया है।
  • सामान्यतौर पर राजनीतिक दलों के चिह्न वाली प्रचार सामग्री सबसे ज्यादा बिकती है।
  • इसके बाद बहुत से प्रत्याशी इन लोगों को प्रचार सामग्री का ऑर्डर भी दे देते हैं।
  • इनके जरिए वह माल भी बन जाता है। नोटबंदी के बाद झटका खा चुके कारोबार में इस समय कितना माल तैयार है।
  • यह तो कारोबारी बताने की स्थिति में नहीं हैं।
  • लेकिन उनका कहना है कि पिछले दो माह में सिर्फ भाजपा के कार्यक्रमों के समय ही कुछ झंडे बिके वरना बिक्री बिल्कुल बंद है।

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