मार खाने के बाद खुद पीड़ित पुलिसकर्मी एफआईआर दर्ज करवाने के लिए भटक रहा। 33 साल की नौकरी के बाद पीड़ित सिपाही फूट-फूटकर रोया और बोला “दे दूंगा इस्तीफ़ा”। अब और क्या उम्मीद की जाये जब पुलिस अपने ही विभाग में तैनात सिपाही की रिपोर्ट नहीं लिख रही है तो अन्य पीड़ितों का क्या हाल होगा ये अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं। (constable weep)

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नशेबाजों ने सिपाही को बेरहमी से पीटा

  • आपने आज तक देखा होगा कि आम आदमी थाने के चक्कर लगता रह जाता है लेकिन पुलिस उसकी मदद नहीं करती।
  • आज आपको कानपुर पुलिस का दूसरा घिनौना चेहरा दिखाते हैं।
  • एक पुलिसवाले को कुछ नशेबाज़ मारते हैं और जब वो थाने जाता है तो उसकी एफआईआर नहीं लिखी जाती।

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  • डॉयल 100 की गाडी में तैनात सिपाही अहमद हक़ की ड्यूटी त्यौहार के मौके पर राम लीला ग्राउंड के पास लगी थी।
  • रविवार देर रात कुछ अज्ञात नशेबाज़ आपस में लड़ने लगे और जब अहमद बीच बचाव करने पहुंचे तो नशेबाजों ने उनको पीट दिया।

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  • बुरी तरह मार खाये अहमद को मूलगंज थाना इंचार्ज कोतवाली ले गए।
  • लेकिन वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने खुद अपने ही साथी की तहरीर लेने से मना कर दिया और सीमा विवाद की बात करने लगे।
  • 33 साल की नौकरी के बाद अपने ही साथियों की ऐसी बेरुखी से अहमद पूरी तरह टूट गए और रोते हुए इस्तीफ़ा तक देने की बात कही।
  • कानपुर में कानून-व्यवस्था तो पूरी तरह धवस्त हो ही चुकी है लेकिन जिस शहर में पीड़ित पुलिसकर्मी की कोई नहीं सुनता वहां आम आदमी की बिसात ही क्या है। (constable weep)

https://youtu.be/rGwgioJAAp8

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