जंगल बुक के काल्पनिक पात्र मोगली के बारे में तो आप जानते है कि भेड़ियों के बीच पलने वाला मोगली जानवरों की तरह ही बोलता है और जानवरों की तरह व्यवहार करता है, लेकिन उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में एक ऐसी लड़की मिली है जो बंदरों की तरह व्यवहार करती है।

कैसे मिली ‘मोगली गर्ल’

पुलिस को उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के जंगल से आठ साल की एक ऐसी लड़की मिली है जो बंदरों के झुंड में रहती है और वह न तो हमारी-आपकी तरह बोल पाती है और न ही व्यवहार करती है। जानकारी के मुताबिक दरोगा सुरेश यादव कतर्नियाघाट के जंगल के मोतीपुर रेंज में नियमित गश्त पर थे। तभी उनकी नज़र एक लड़की पर पड़ी जो, बंदरों के एक झुंड में थी। बंदर जब एक-दूसरे पर चिल्ला रहे थे तो लड़की भी उन्हीं की तरह नकल कर रही थी, लेकिन बंदरों के बीच घिरी लड़की बिल्कुल सामान्य थी।

वीडियो देखें,

https://www.youtube.com/watch?v=jzmFO4_9PSw

 बंदरों की तरह करती है व्यवहार

सुरेश यादव ने अन्य पुलिसवालों की मदद से बड़ी मुश्किल से बंदरों को दूर कर लड़की को उनके बीच से निकाला। जब सुरेश लड़की के पास से बंदरों को दूर भगाने की मशक्त कर रहे थे तो बंदर उन पर गुर्रा रहे थे, पुलिस उस समय अचंभे में पड़ गई गई जब लड़की भी बंदरों की तरह उन पर गुर्राने लगी।

बच्ची की हालत में सुधार

हालांकि, पुलिस लड़की को बंदरों के झुंड से निकालने में कामयाब रही। लड़की के शरीर पर चोटों के निशान थे। जख्मी बालिका को दरोगा सुरेश यादव ने मिहीपुरवा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया। हालत में सुधार न होने पर बाद में बच्ची को बेहोशी की हालत में जिला अस्पताल पहुंचाया गया। यहां धीरे-धीरे बालिका की हालत में सुधार आ रहा है।

ठीक से नहीं खा पाती खाना

यह लड़की ठीक से खाना भी नहीं खा पाती है। थाली के खाने को जमीन पर फैला देती है, फिर बिल्कुल बंदरों की तरह जमीन से खाना उठाकर खाती है। वह अपने दोनों पर पैरों पर ठीक से खड़ी भी नहीं हो पाती है, क्योंकि यह बंदरों की तरह ही दोनों हाथों और पैरों से चलती है। डॉक्टर और वन्यकर्मी मिलकर बच्ची के व्यवहार में सुधार करने में जुटे हैं और उनका दावा है कि बच्ची अब धीरे-धीरे सामान्य हो रही है।

उपचार में आ रही है दिक्कत

बहराइच जिला अस्पताल के डॉक्टरों के मुताबिक, यह बच्ची डॉक्टरों व अन्य लोगों को देखते ही चिल्ला उठती है। यह न तो उनकी भाषा समझ पाती है और न ही कुछ ठीक से बोल पाती है। इस वजह से बच्ची का उपचार करने में भी दिक्कत आ रही है।

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