प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत जिन गावों को सांसदों ने गोद लिया है उन गावों की हकीकत जानने के लिए uttarpradesh.org की टीम निकली हुई है। इन गावों में क्या-क्या मूलभूत सुविधाओं का अभाव है और गांव को गोद लेने के बाद कितना विकास हुआ है। इसकी रियलिटी हम आप को गांव के रहने वाले लोगों से ही सुनवायेंगे। ताकि आप भी जान सकें कि गांव को गोद लेने की इन सांसदों ने घोषणा तो कर दी लेकिन गांव में रहने वाले लोग समस्याओं को लेकर कराह रहे हैं परंतु इनकी सुनने वाला कोई नहीं है।

 

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क्या है गांव का हाल?

  • आंट गढ़ी सौरा गांव राजधानी से करीब 43 किलोमीटर दूर माल थाना क्षेत्र में स्थित है।
  • आंट गढ़ी सौरा ग्राम पंचायत में करीब 6000 की आबादी है और कुल 3600 वोटर हैं।
  • गांव में होम्योपैथिक भवन किराये के मकान में चलता है।
  • गांव घुसते ही तालाब मिल जायेगा लेकिन कई तालाबों पर अवैध कब्जे भी हैं।
  • इस गांव की ग्राम प्रधान गीता सिंह हैं लेकिन पूरा काम उनके पति दिनेश सिंह ही देखते हैं।
  • ग्रामीणों के अनुसार गीता को पहली बार प्रधान चुना गया है।
  • इससे पहले गांव की प्रधान रामदुलारी थीं उनके पति कल्लू पर आरोप है कि उन्होंने खुद ही तालाब पर कब्ज़ा करके घर बनाया है।
  • गांव में कोई सुविधाएं नहीं हैं फिर भी परेशान जनता प्रधान के खिलाफ कुछ नहीं बोल पा रही है।
  • हालांकि गांव में विकास का टोटा है लेकिन गांव का कितना विकास हुआ है यह हकीकत हम आपको दिखाते और सुनाते हैं।

नल तो लगे हैं पर पीने को पानी नहीं

  • इस गांव में घुसने के लिए पक्की सड़क मिलेगी, गांव में दाखिल होते ही काफी विकास देखने में लगेगा लेकिन जब मुख्यमार्ग छोड़ आप गांव के अंदर घुसेंगे तो समस्याओं का अम्बार लग जायेगा।
  • पंचायत भवन तो ठीक-ठाक बना है लेकिन आंगनबाड़ी केंद्र में गंदगी इस कदर है कि आप पैर नहीं रख पाएंगे।
  • यहां काफी वक्त से झाड़ू नहीं लगी, ग्रामीणों ने बताया इसका ताला कभी नहीं खुलता ना ही कभी बच्चे यहां पढ़ने आते हैं।
  • जब आप गांव के अंदर प्रवेश करेंगे तो घुसते ही समस्याएं शुरू हो जाएंगी।
  • हमारी टीम जब गांव में दाखिल हुई तो लोगों ने बताया कि उनके घर के सामने जब से सरकारी नलकूप लगा है तब से पानी नहीं आ रहा।
  • इसकी कई बार शिकायत ग्राम प्रधान से कर चुके हैं लेकिन नल नहीं सही हो रहा इसके चलते काफी दूर से पानी भरके लाना पड़ता है।
  • गांव में रहने वाले करीब एक दर्जन परिवारों का आरोप है कि पानी काफी दूर से भर के लाते हैं।
  • इस गांव में करीब चार तालाब हैं लेकिन एक में पानी बाकी के सभी सूखे पड़े हुए हैं।
    करीब आधा दर्जन तालाबों पर कब्ज़ा हो चुका है।
  • गांव में खड़ंजा तो पड़ा है नालियां भी बनी हैं लेकिन सफाई ना होने से गंदगी बजबजा रही है।

पूरी ग्राम सभा में इतने नल पर पानी कुछ में ही आ रहा

  • आंट गढ़ी सौरा ग्राम सभा में करीब 300 इंडिया मार्का सरकारी हैंडपंप लगे हैं।
  • केवल आंट गांव में 70 नल लगे हैं लेकिन इनमें से आधे से ज्यादा ख़राब पड़े हैं।
  • ग्रामीणों ने बताया कि पानी की काफी समस्या है लेकिन कोई सुनने वाला नहीं।
  • गांव के एक मोहल्ले में रहने वाली सविता, रामकली, बाले प्रसाद, सुशीला, भल्लर, ने बताया कि मोहल्ले में जल निकासी की कोई व्यवस्था ना होने से लोग परेशान हैं।
  • बच्चों को नहलाने, पीने और कपड़े धोने के लिए काफी दूर से पानी भरकर लाना पड़ता है।
    काफी दूर से पानी भरकर लाने में काफी परेशानी होती है।
  • सफाईकर्मी गांव में कभी सफाई करने के लिए नहीं जाता, आरोप है वह केवल अपना चेहरा दिखाने जाता है।
  • आरोप है कि प्रधान की मदद से फर्जी उपस्तिथि दिखाकर सरकार से वेतन ले रहा है।
  • गांव वालों का कहना है कि कौशल किशोर ने इस गांव को गोद तो ले लिया है लेकिन समस्याएं दूर होना दूर की कौड़ी नजर आ रही है।

गांव में केवल विद्युतीकरण हुआ

  • गांव वालों ने बताया कि इस गांव में केवल विद्युतीकरण हुआ है।
  • पूरे गांव में बिजली के खम्भे लगे हैं और लाईट भी आ रही है इसके अलावा कुछ नहीं हुआ।
  • गांव में भले ही कुछ घरों को ग्राम प्रधान ने कॉलोनी दी हों लेकिन गरीब परिवारों को यह भी नसीब नहीं हुईं।
  • ग्रामीणों का आरोप है कि जिन गरीबों के घरों में छप्पर पड़े हैं उनको कॉलोनी नसीब नहीं हुई।
  • इन लोगों का कहना है कि इसकी कई बार शिकायत भी की जा चुकी है लेकिन सब बजट का अभाव बताकर टाल देते हैं।
  • हालांकि इस गांव में जब हमारी टीम ने लोगों से समस्याएं पूछीं तो लोगों ने समस्याएं तो दबी जुबान से बता दीं लेकिन कैमरे के सामने कोई बोलने को तैयार नहीं हुआ।
  • गांव में कुछ गरीब ऐसे हैं जिनका राशन कार्ड भी नहीं बना है।

खुले में शौच करने को मजबूर लोग

  • भले ही गावों को शौचमुक्त करने का भले ही सरकार दावा कर रही हो लेकिन इस आदर्श गांव में शौचालय नहीं हैं।
  • भाजपा सांसद कौशल किशोर के द्वारा गोद लिए गांव में ही महिलाएं खुले में शौच करने को मजबूर हैं।
  • महिलाएं पुरुष अभी भी गांव के बाहर खुले में शौच करने जाती हैं, इसका कारण यह है प्रधान ने शौचालय बनवाये ही नहीं।
  • शिक्षा के लिए बेटियों को दूर भेजना पड़ता है, क्षेत्र में एक बेहतर स्कूल होना चाहिए।
  • गांव में गन्दगी होने से मच्छरों और संक्रमण का भी खतरा रहता है।
  • इस आदर्श गांव में मूलभूत सुविधाओं के भले ही टोटा हो या गरीबों को कोई सुविधा ना मिल रही हो लेकिन गांव में नशेड़ियों का अड्डा है।
  • कुछ ग्रामीणों का कहना है कि यह नशेड़ी घर से बाहर निकल रही बेटियों पर आपत्तिजनक टिप्पड़ी और छेड़छाड़ करते हैं लेकिन कोई सुनने वाला नहीं।
  • हालांकि बेटियों को पढ़ने के लिए अकेले घर से बाहर भेजने में भी डर लगता है।

यह सुविधाएं हों तो बने बात

  • गांव में रहने वाले उमेश सिंह तोमर ने बताया कि शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और पानी गांव की मूलभूत जरूरत है।
  • गांव में पानी की किल्लत दूर करने के लिए टंकी बनाई जा रही है लेकिन उसका बोर हो गया है और निर्माण अधूरा है अगर जल्दी बन जाये तो पानी की समस्या दूर हो जायेगी।
  • गांव में जूनियर हाई स्कूल तक स्कूल है अगर इसे उच्चीकृत कर दिया जाये तो बेटियों के लिए काफी सुविधा हो जायेगी।
  • आने जाने के लिए वर्तमान समय में कोई साधन नहीं हैं अगर गावों से जोड़ने वाली सेवा की जल्दी शुरुआत हो जाये तो असुविधा दूर हो जायेगी।
  • गांव में पुलिस गस्त करने नहीं आती और माल थाना काफी दूर है अगर गांव में एक पुलिस चौकी हो जाये तो सुरक्षा व्यवस्था सही हो जायेगी।
  • लोगों का आरोप है कि गांव में प्रधान कोई विकास नहीं कर रहे हैं वह अपना और अपने परिवार का विकास कर रहे हैं इसे थोड़ा सांसद को देखना चाहिए।

क्या है सांसद आदर्श गांव

  • बता दें कि 11 अक्टूबर 2014 को सांसद आदर्श गांव योजना का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था।
  • इसके बाद से सांसदों ने गांव गोद लेने शुरू किये।
  • सांसद आदर्श ग्रामों के विकास कार्यों की जमीन हकीकत परखने के लिए हमारी टीम में संवाददाता के साथ सीनियर फोटो जनर्लिस्ट ‘सूरज कुमार’ ने भाजपा सांसद कौशल किशोर द्वारा गोद लिए गए
  • गांव आंट गढ़ी सौरा माल का दौरा किया इसकी पूरी हकीकत हम आप के सामने लाये।
  • इन गावों में पानी, बिजली से लेकर स्कूल और आंगनबाड़ी केन्द्र, नलकूप सहित कई सुविधाओं से ग्रामीण कोसों दूर हैं।
  • लेकिन ग्राम प्रधान विकास का दावा कर पांच सालों में गांव को चमकाने की बात कह रहे हैं।

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