प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत जिन गावों को सांसदों ने गोद लिया है उन गावों की हकीकत जानने के लिए uttarpradesh.org की टीम निकली हुई है।

  • इन गावों में क्या-क्या मूलभूत सुविधाओं का अभाव है और गांव को गोद लेने के बाद कितना विकास हुआ है।
  • इसकी रियलिटी हम आप को गांव के रहने वाले लोगों से ही सुनवायेंगे।
  • ताकि आप भी जान सकें कि गांव को गोद लेने की इन सांसदों ने घोषणा तो कर दी लेकिन गांव में रहने वाले लोग समस्याओं को लेकर कराह रहे हैं परंतु इनकी सुनने वाला कोई नहीं है।

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क्या है गांव का हाल?

  • बेती गांव राजधानी से करीब 40 किलोमीटर दूर बंथरा थाना क्षेत्र में मोहान रोड पर स्थित है।
    इस गांव के अलावा इसके 2 कल्लन खेड़ा, दयाल खेड़ा, मिर्जापुर, नरेरा, तरखेड़ा, और जौकी खेड़ा सहित 7 मजरे हैं।
  • बेती ग्राम पंचायत में करीब 8000 की आबादी है और कुल 4250 वोटर हैं।
  • इस गांव के ग्राम प्रधान विकास साहू हैं जो इसी गांव में रहते हैं।
  • विकास साहू को गांव वालों ने पहली बार चुना है जो आने वाले सालों में गांव के विकास पर फोकस किये हैं।
  • इस ग्राम सभा की पूर्व प्रधान शांति तिवारी रही हैं जिनके कार्यकाल में यह गांव आदर्श गांव चुना गया और इसे गृहमंत्री ने गोद लिया।
  • वैसे तो विकास साहू का दवा है आने वाले सालों में काफी विकास करेंगे और एक साल में काफी विकास भी किया है।
  • लेकिन गांव का कितना विकास हुआ है यह हकीकत हम आप को दिखाते और सुनाते हैं।

जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं

  • इस गांव में भले ही घुसने के दो रास्ते हैं एक कच्चा और एक पक्का।
  • लेकिन जब कच्चे रास्ते से आप गांव के अंदर प्रवेश करेंगे तो घुसते ही समस्याएं शुरू हो जाएंगी।
  • हमारी टीम जब गांव में दाखिल हुई तो लोगों ने समस्याओं का अम्बार लगा दिया।
  • इस गांव में करीब तीन तालाब हैं लेकिन एक में पानी बाकी के सभी सूखे पड़े हुए हैं।
  • गांव में कुछ गलियों में खड़ंजा भी पड़ा है लेकिन जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है।
  • वैसे तो गांव ब्राह्मणों का है लेकिन गांव में घुसते ही कुछ परिवार दलित हैं तो उनके मोहल्ले में सुविधाओं का टोटा है।

सरकारी नालों का सबमर्सिबल के रूप में हो रहा इस्तेमाल

  • बेती ग्राम सभा में करीब 130 इंडिया मार्का सरकारी हैंडपंप लगे हैं।
  • इनमें सिर्फ बेती गांव में ही 30 नल लगे हैं इन नालों में विधिवत पानी आ रहा है।
  • लेकिन मजे की बात यह है कि गांव में ज्यादातर नल सबमर्सिबल के रूप में निजी तौर पर इस्तेमाल किये जा रहे हैं।
  • गरीब लोगों का आरोप है कि ग्राम प्रधान गैर बिरादरी होने के कारण इस मोहल्ले के साथ सौतेला व्यव्हार कर रहे हैं।
  • इस मोहल्ले में जल निकासी की कोई व्यवस्था ना होने से लोग परेशान हैं।
  • बच्चों को नहलाने, पीने और कपड़े धोने के लिए काफी दूर से पानी भरकर लाना पड़ता है।

अपने गड्ढों में पानी भरकर चला रहे काम

  • भले प्रदेश सरकार सफाई कर्मचारियों को वेतन में मोटी रकम दे रही हो लेकिन यह सफाईकर्मी गावों में जाते तो हैं लेकिन सफाई नहीं बल्कि अपना चेहरा दिखाने जाते हैं।
  • ग्रामीणों में लक्ष्मी देवी, सुशीला, बुधानी, अर्चना ने आरोप लगाया है कि गांव में सफाईकर्मी की नियुक्ति हुई है लेकिन वह कभी सफाई करने नहीं आता।
  • गांव में यह सफाईकर्मी केवल अपना चेहरा दिखाकर प्रधान की मदद से फर्जी उपस्तिथि दिखाकर सरकार से वेतन ले रहा है।
  • गांव वालों का कहना है कि राजनाथ ने इस गांव को गोद तो ले लिया है लेकिन समस्याएं दूर होना दूर की कौड़ी नजर आ रही है।
  • ग्रामीण जल निकासी ना होने से अपने घरों में गड्ढ़े खोदकर उनमें पानी भरके फिर बाहर फेंकना पड़ता है।
  • घर के अंदर पानी भरने से कीड़े पड़ जाते हैं और बीमारियां पनपती हैं।
  • पानी दूर से भरके लाना पड़ता है क्योंकि सरकारी नल तो निजी तौर पर प्रयोग किये जा रहे हैं।
  • लोगों का आरोप है कि गांव में ब्रम्हणों के क्षेत्र में विकास किया जा रहा है बाकी को बुरी नजर से देखा जा रहा है।

बिजली के लिए भी तरस रहे लोग

  • गांव में भले ही कुछ घरों में बिजली आ रही हो लेकिन कुछ घरों में अंधेरे में ही रातें गुजारनी पड़ती हैं।
  • रातें तो अंधेरे में गुजर ही रही हैं इन लोगों को दिन में भी लाईट नसीब नहीं होती।
  • मज़बूरी से घिरे करीब कई परिवार भीषण गर्मी में बिलबिला रहे हैं परंतु सुनने वाला कोई नहीं।
  • बिन बिजली के रहने वाले लोगों का आरोप है कि उनके मोहल्ले में बिजली तो दूर खम्भे तक नहीं हैं।
  • इन लोगों का कहना है कि इसकी कई बार शिकायत भी की जा चुकी है लेकिन सब बजट का अभाव बताकर टाल देते हैं।

कॉलोनी खास लोगों को दी गईं

  • गांव में कुछ गरीब ऐसे हैं जिनका राशन कार्ड भी नहीं बना है।
  • यहां रहने वाली अर्चना ने बताया उनके परिवार में कॉलोनी नहीं दी गई है, आरोप है कि प्रधान जी ने खास लोगों को कॉलोनी दी हैं।
  • इस गांव में कुछ लोगों को तो कॉलोनी और शौचालय मिले लेकिन कुछ को तो यह भी नसीब नहीं हुआ।
  • सुशीला का कहना है कि कच्चा घर जर्जर है, कभी कोई हादसा हो सकता है लेकिन प्रधान जी सुनते ही नहीं।
  • गांव में गन्दगी होने से मच्छरों और संक्रमण का भी खतरा रहता है।
  • इस गांव में पूजा-पाठ बहुत देखने को मिल जायेगा, गांव में करीब 22 मंदिर हैं जो हर चौथे या पांचवें घर में देखने को जरूर मिल जायेगा।

बेटियां नहीं जा पा रहीं स्कूल

  • गांव में रहने वाले शिवराज, राजकिशोर तिवारी ने बताया कि गांव के बाहर प्राथमिक विद्यालय और पूर्व माध्यमिक विद्यालय है।
  • लेकिन उच्च शिक्षा के लिए बेटियों को लखनऊ जाना पड़ता है।
  • हालांकि बेटियों को अकेले दूर भेजने में परेशानी होती है क्योकि जमाना ख़राब है बेटियां सुरक्षित नहीं हैं।
  • गांव में भारतीय जनता पार्टी के जिला उपाध्यक्ष अमित तिवारी रहते हैं।
  • उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र से विधायक स्वाति सिंह हैं और गांव को गृहमंत्री ने गोद लिया है काफी विकास हो चुका है और आने वाले समय में और विकास होगा।
  • आरोप है कि सपा सरकार में पैसे की काफी बंदरबांट हुई इसके चलते विकास नहीं हो पाया।
  • भाजपा नेता का कहना है कि यूपी में सरकार भी भाजपा की है, क्षेत्र में मिनी ट्रॉमा भी बनने जा रहा है।
  • लेकिन गांव में बजबजाती नालियां और नाले गांव की दुर्दशा बयां कर रहे हैं।

महिलाएं अभी भी खुले में शौच करने को मजबूर

  • भले ही गावों को शौचमुक्त करने का दावा केंद्र सरकार कर रही हो लेकिन गृहमंत्री राजनाथ के द्वारा गोद लिए गांव में ही महिलाएं खुले में शौच करने को मजबूर हैं।
  • महिलाएं अभी भी गांव के बाहर खुले में शौच करने जाती हैं, इसका कारण यह है प्रधान ने शौचालय बनवाये ही नहीं।
  • गावों को शौचमुक्त करने का भले ही सरकार दावा कर रही हो लेकिन इस आदर्श गांव में शौचालय नहीं हैं।
  • शिक्षा के लिए बेटियों को दूर भेजना पड़ता है, क्षेत्र में एक बेहतर स्कूल होना चाहिए।
  • राजकुमार तिवारी ने बताया कि गांव के आसपास करीब 4 किलोमीटर तक कोई अस्पताल नहीं है।
  • गांव को गोद लेने के बाद गृहमंत्री ओबीसी बैंक का उद्घाटन करने पहुंचे थे लेकिन तब से झांकने तक नहीं आये।
  • जब गांव में मीडिया आने की भनक पड़ती है तो अधिकारी भागकर गांव पहुंचते हैं और निरीक्षण कर चले जाते हैं।

क्या है सांसद आदर्श गांव

  • बता दें कि 11 अक्टूबर 2014 को सांसद आदर्श गांव योजना का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था।
  • इसके बाद से सांसदों ने गांव गोद लेने शुरू किये।
  • सांसद आदर्श ग्रामों के विकास कार्यों की जमीन हकीकत परखने के लिए हमारी टीम में संवाददाता के साथ सीनियर फोटो जनर्लिस्ट ‘सूरज कुमार’ ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह द्वारा गोद लिए गए गांव बेती सरोजनीनगर का दौरा किया इसकी पूरी हकीकत हम आप के सामने लाये।
  • इन गावों में पानी, बिजली से लेकर स्कूल और आंगनबाड़ी केन्द्र, नलकूप सहित कई सुविधाओं से ग्रामीण कोसों दूर हैं।
  • लेकिन ग्राम प्रधान विकास का दावा कर पांच सालों में गांव को चमकाने की बात कह रहे हैं।

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