गाजीपुर की रहने वाली मीरा राय वहा के गरीबों के लिए रियल हीरो है, अपने लिये तो सभी जीते हैं पर दूसरों के लिये जो जिये इंसान वही है.गाजीपुर की मीरा राय हैं जो बाल सुधार गृह में बंद बच्चों के लिये कभी रक्षाबंधन पर बहन बनती हैं तो दीवाली और होली पर माँ के रूप में भी उनके साथ त्योहार मनाती नजर आती हैं.

गरीब व असहाय लोगों के लिये लड़ती है मीरा…

अपने लिये तो सभी जीते हैं पर दूसरों के लिये जो जिये इंसान वही है.घर गृहस्थी की जिम्मेदारी से बचे वक्त में किसी जरूरतमंद और गरीब महिलाओं के साथ ही ऐसे लोग जिसके लिये होली दीवाली दशहरा के साथ सभी त्योहारों के रंग का कोई मतलब न हो और यदि ऐसे लोगों के लिये कोई समय पर बहन, माँ और गार्जियन की तरह आगे आये तो ऐसे लोगों का कार्य समाज के लिये प्रेरणादायी होता है।ऐसी ही एक गृहिणी जनपद गाजीपुर की मीरा राय हैं जो बाल सुधार गृह में बंद बच्चों के लिये कभी रक्षाबंधन पर बहन बनती हैं तो दीवाली और होली पर माँ के रूप में भी उनके साथ त्योहार मनाती नजर आती हैं.इतना ही नहीं गरीब महिलाओं को विधवा,वृद्धा पेंशन के लिये भी जिला प्रशासन और सिस्टम से उनकी लड़ाई लड़ती हैं.

सर्दी में बच्चों व गरीबों को स्वेटर प्रदान किये

जनपद गाजीपुर के मुहम्मदाबाद की रहने वाली यह मीरा राय हैं.वैसे तो तस्वीरों में आज ठंड के इस मौसम में कम्बल बांटती नजर आ रहीं हैं पर ऐसे काम तो इस समय बहुत से लोग और संस्थायें करती हैं पर यह मूलरूप से गृहिणी हैं और इनका एक भरा पूरा परिवार है.ये अपने पारिवारिक दायित्व को तो कुशलता पूर्व निभाती ही हैं पर उसके बाद भी समय निकालकर सरकार की ओर से विभिन्न गरीब और असहाय लोगों खासकर महिलाओं के लिये चल रही सरकारी योजनाओं की जानकारी देती हैं.

गरीबों का हक दिलाने की लड़ाई सिस्टम से लड़ती हैं

गरीबों को उनका हक दिलाने की लड़ाई सिस्टम से लड़ती हैं.ये अपने आस-पास के गाँवों की गरीब तबके की महिलाओं से मिलकर जानकारी लेती हैं कि उन्हें क्या दिक्कतें हैं.कुछ दिक्कतें तो वह स्वयं दूर करती हैं पर इन महिलाओं को सरकार की तरफ से मिलने वाली योजनाओं खासकर पेंशन,विकलांग पेंशन,शादी अनुदान और आपदा से मिलने वाली राहत राशि के लिये जरूरी प्रपत्र बनवाने को बताती हैं कुछ का प्रपत्र तो खुद के खर्च पर बनवाकर उनको देती हैं और फिर उसके लिये सम्बंधित विभागों और कार्यालयों में भी जाती है.

जब कोई नही सुनता तो प्रदर्शन करने से भी पीछे नही रहती

कई बार जब सबकुछ सही होने के बाद भी विभाग इनलोगों को इनको मिलने वाले लाभ से वंचित करता है तो इनके हक के लिये ये धरना प्रदर्शन करने से भी पीछे नहीं रहती हैं.कई बार तो इन्होंने गुमनाम मददगार के रूप में भी काम करती हैं और लोगों को पता भी नहीं चल पाता कि उनकी मदद किसने की.

कई बेटियों के हाथ भी पीले करवाए

कई बार इन्होंने ऐसी बेटियों के हाथ भी पीले कराये जिनके मां बाप उनके हाथ पीले कर पाने में समर्थ नहीं थे या फिर इस दुनिया में नहीं हैं.इन्होंने खुद बताया कि महिलाओं को उनका हक दिलाने के लिये भ्रष्ट सरकारी कर्मचारी बिचौलिये और दलालो का भी उनको सामना करना पड़ता है.

महिलाओं को जरुरी जानकारी व सहायता के लिए सदैव तत्पर रहती है मीरा

मीरा कभी विचलित नहीं होती और शुरूआत में जब समाज कल्याण विभाग से योजनाओं की जानकारी लेकर महिलाओं को लाभ दिलाने की कोशिश किया तो विभाग के लोग अम्बेडकर गाँव के लोगों को ही लाभ देने की बात कह इनको आफिस के चक्कर लगवाते रहे. फिर भी इन्होंने हार नहीं मानी और तत्कालीन जिलाधिकारी रीतु माहेश्वरी से महिलाओं का दर्द बताया तब जिलाधिकारी ने खुद सम्बंधित विभाग को फोन कर फटकार लगायी और फिर महिलाओं को योजनाओं का लाभ मिलना शुरू हो गया और तभी से मेरा उत्साह और बढ़ा और आज भी जब लोग हर ओक से निराश हो जाते हैं.

इनके कार्यों को देखते हुये कई संस्थायें इन्हें सम्मानित कर चुकी हैं.नारी शशक्तिकरण पर काम करने के लिये पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी इनको सम्मानित कर चुके हैं.

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