प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में पहली बार वॉटर अलर्ट जारी किया गया है. गंगा किनारे रहने वाले लोग एक-एक बूंद पानी को तरस गए हैं.

शहरवासियों को कहा जा रहा है कि पानी का इस्तेमाल कम से कम करें. गंगा किनारे होने के बाद भी काशी के लोग पानी के लिए तरस रहे हैं.  ये किसी अजूबे सा लगता है पर यही सच है.

काशीवासियों के लिए वॉटर अलर्ट जारी किया गया है.  डर है कि कहीं पानी का इस्तेमाल ठप्प ना हो जाए.

इसकी वजह है जीवन और जल देने वाली गंगा खुद ही प्यासी है. गंगा घाटों से ही रूठी नजर आ रही है.

गंगा में पानी का स्तर बेहद ही कम है. यही वजह है जल विभाग ने पानी को संभल कर इस्तेमाल करने की सलाह दी है.

नीचे चला गया है जलस्तर:

काशी नगरी बनारस में जल विभाग 311 एमएलडी पानी का प्रोडक्शन करता है.  जिसमें से 100 एमएलडी गंगा के जरिए होता है.

बाकी 211 एमएलडी नलकूपों के जरिए किया जाता है. गंगा में पानी नहीं होने से एक पंप को बंद करना पड़ा है.

दूसरे के भी बंद करने की नौबत आ रही है. वाराणसी में गंगा का लेवल अब तक सबसे कम 189 फीट तक रहा है.

लेकिन इस समय ये स्तर घटकर 187 फीट पर आ गया है. गंगा का जल स्तर कम होने से अंडरग्राउंड वाटर लेबल भी नीचे चला गया है.

ऐसे में हैंडपंप, ट्यूबवेल और नलकूपों पर संकट छा रहा है.

बारिश से राहत मिलने की उम्मीद:

जल विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 19 लाख की आबादी के लिए 276 एमएलडी पानी की सप्लाई दे रहे हैं, जो जरूरत का 61.2 प्रतिशत है.

शहर में पानी की व्यवस्था के नाम पर JNRMU के तहत करीब 201 करोड़ की लागत से 42 ओवरहेड टैंक, नई पाइप लाइन बिछाई गई है.

इसमें 22 ओवरहेड टैंक वरुणापार और 20 शहर में लेकिन इसमें से सिर्फ 10 ही काम कर रहे हैं बाकी शो पीस की तरह खड़े हैं.

जलविभाग की लापरवाही से निराश लोगों को अब सिर्फ बादलों से ही राहत की उम्मीद है.

काशीवाशियों को उम्मीद है कि बारिश के साथ-पानी की किल्लत भी खत्म हो जाएगी.

भयानक है जलस्तर के आंकड़े:

पिछले कुछ सालों में सेंट्रल वाटर कमीशन ने जो वाराणसी में आंकड़े एकत्र किए हैं. वे गंगा के वजूद को लेकर बेहद डराने वाले हैं.

साल 2015 में गंगा का न्यूनतम जलस्तर 58.67 मीटर था.  जबकि 2016 में यह गिरकर 58.52 मीटर रिकॉर्ड किया गया.

साल 2017 में भी गिरावट जारी रही और यह 58.27 मीटर रह गया.

24 अप्रैल 2018 में गंगा का जलस्तर आठ सालों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया और यह 58.1 मीटर रिकॉर्ड किया गया.

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