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लखनऊ नगर निगम के पंप बिना चले पी गये हजारों लीटर डीजल

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न कहीं देखा न कहीं सुना, ऐसा अनोखा पंप जो सिर्फ बारिश ने मौसम में ही चलता है वो भी तब जब भीषण जल भराव हो जाये और पानी निकलना हो और बिजली भी न हो, या फिर तब जब गोमती नदी का स्तर इतना बढ़ जाये की बैरल का गेट बंद कर के पंप से पानी फेंका जाये. मगर आश्चर्य यह है की इन सभी में से एक भी स्थिति पैदा नहीं हुई, पर फिर भी पंप ने हजारों लीटर डीजल पी लिया. आमतौर पर पंप को केवल बरसात में ही इस्तेमाल में लाया जाता है पर अनोखा पंप पूरे साल डीजल पी रहा है. 

क्या है यह तेल पीने का खेल?

10-20 लीटर तेल की चोरी अब बहुत पुरानी बात हो गयी है. अब तो सीधे बात हजारों लीटर की है. नगर निगम के अधिकारीयों और ठेकेदारों ने हजारों लीटर डीजल का घोटाला कर दिया और ऊपर से कागजों में खपत भी दिखा दी. यहाँ हर हफ्ते पंप बिना चले ही 400 लीटर डीजल पी रहा है, अगर चलने लगे तो क्या हाल होगा?

400 लीटर हर हफ्ते के हिसाब से यह पंप हर साल करीब 20,800 लीटर डीजल पीता है. पिछले 3 दिनों में ही पंप चलाने के नाम पर 1200 लीटर प्रतिदिन डीजल की खपत दिखाई गयी है. दिसेल से पंप भी तब ही चलाया जाता है जब बिजली न हो पर जांच में पता चला है की बिजली की आपूर्ति तो सामान्य ही थी.

नगर आयुक्त को भी मिली यही जानकारी:

नगर आयुक्त डॉ. इन्द्रमणि त्रिपाठी की केंद्रीय कार्यशाला के मुख्य अभियंता (विद्युत् यांत्रिक) राम नगीना त्रिपाठी ने भी यही बताया है की पम्पिंग स्टेशन के लिए हर हफ्ते 400 लीटर डीजल की आवश्यकता होती है. 

अधिशासी अभियंता ने पेश की सफाई:

डीजल चोरी का जब इतने बड़े घोटाले का खुलासा हुआ तब इसके जांच के आदेश आये. अधिशासी अभियंता ए.के. जैन जो पम्प स्टेशन सँभालते हैं उन्होंने सफाई में कहा की पंप के लिए हमेशा तेल इसलिए चाहिए होता है ताकि समय-समय पर इसे चला कर देखा जा सके, और पड़े-पड़े यह खराब न हो जाये.

उधर नगर आयुक्त ने कहा की जब बारिश ज्यादा हुई नहीं तो डीजल कहाँ और कैसे खपाया गया? इसकी जांच की जाएगी. और अगर बिजली की स्थिति सामान्य थी तो इतनी खपत दिखाई कैसे गयी?

कई और घोटालों का खुलासा:

नगर निगम के जनरेटर भी बिना चले डीजल पीते हैं और जब इसकी रिपोर्ट केंद्रीय कर्मशाला द्वारा मांगी गयी तो , रिपोर्ट दी ही नहीं गयी.

इस धांधलेबाजी का यहीं अंत नहीं होता है. पम्पिंग स्टेशन के लिए दिए जाने वाली ठेकेदारी में भी काफी घपला होता है. और तो और संविदा पर तैनात किये जाने वाले कर्मचारी की तैनाती में भी बड़ा खेल होता है. 3 दिन पहले जब शक्ति नगर में पानी भर गया था तो पानी निकलने के लिए जो पंप आया वो चला ही नहीं. 16 की जगह केवल 2 ही कर्मचारी उपस्थित थे. शिकायत और जांच के बाद महापुर संयुक्त भाटिया ने ठेकेदार अशोक सिंह की फ़र्म को ब्लैक लिस्ट कर दिया था.

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