तीन तलाक पर माननीय सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया. इसे मुस्‍लिम महिलाओं के हक़ की लड़ाई की जीत भी कहा जा रहा है. मगर क्‍या आप जानते हैं कि देश की करोड़ों मुस्‍लिम महिलाओं की आवाज बनने वाली वीरांगनाओं को अब भी न्‍याय के इंतजार में लड़ना होगा. आइए आपको बताते हैं इस पूरे प्रकरण का कानूनी पेंच.

तीन तलाक के बाद हलाला पर भी शुरू हुई चर्चा-

  • दरअसल, तीन तलाक की तरह ही हलाला भी मुस्‍लिम महिलाओं के लिए एक कुप्रथा के समान है.
  • ऐसे में सोशल मीडिया पद तीन तलाक पर आए ऐतिहासिक फैसले के बाद हलाला पर भी चर्चा शुरू हो गई है.
  • बता दें कि हलाला के तहत यदि एक पुरुष ने अपनी पत्‍नी को तीन तलाक दे दिया है.

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  • लेकिन उसके बाद वह उससे दोबारा निकाह करना चाहता है.
  • ऐसी स्थिति में वह तब तक उस औरत से शादी नहीं कर सकता जब तक कि वह महिला किसी अन्‍य पुरुष से शादी करके तलाक न ले ले.
  • ऐसे में मुस्‍लिम महिलाओं के हक की लड़ाई को लेकर आवाज बुलंद करने वाले संगठनों की हलाला जैसे कानून को खत्‍म करने की मांग बढ़ गई है.

SC के फैसले के बाद भी महिलाओं को नहीं मिली है राहत

  • दरअसल, मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने 3:2 के मत से तीन तलाक को असंवैधानिक करार देते हुए अपना फैसला सुनाया है.
  • मगर सुप्रीम कोर्ट का यह पूरा फैसला आज से प्रभावी होगा.

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  • यानी अब तक कोर्ट में तीन तलाक़ को खत्‍म कराने के लिए जंग लड़ रहीं महिलाओं को इस फैसले से राहत नहीं मिली है.
  • देश में हुए पूर्व के तीन तलाक़ के फैसलों की पीड़िताओं को केंद्र से न्‍याय मिलने की आस लग गई.
  • यानी अब जब केंद्र सरकार संसद में कोई कड़ा कानून इन पीड़िताओं को ध्‍यान में रखकर लाएगी तभी तीन तलाक़ का दंश पूरी तरह खत्‍म हो जाएगा.

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