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जानिए क्यों सरकारी स्कूल के बच्चों को नहीं बांटे जा रहे स्वेटर

पता नहीं अब गर्मी आने पर भी मासूमों को स्वेटर नहीं मिल पायेगा। सीएम ने तो कह दिया लेकिन मंत्री और अधिकारी कमीशनखोरी के चक्कर में बच्चों को ठंड से ठिठुरने पर मजबूर कर रहे हैं। ये हम नहीं बल्कि बच्चों के अभिभावकों का कहना है। योगी सरकार भले ही शिक्षा व्यवस्था की बेहतरी की बात कर रही हो। लेकिन ठंड में बिना स्वेटर के गरीब बच्चों के साथ बड़ा ही शर्मनाक मजाक किया जा रहा है। जी हां! दिसम्बर बीतने को है लेकिन अभी तक सरकारी प्राइमरी स्कूलों के बच्चों को स्वेटर इसलिए नहीं बंट पाये क्योंकि अभी उसका टेंडर ही नहीं पड़ा है। जब तक टेंडर और दूसरी प्रक्रिया होगी तब तक शायद इन मासूमों को इसकी जरुरत होगी भी या नहीं ये देखने वाली बता होगी। हैरानी तब है जब योगी सरकार ने आते ही सब कुछ बदलाव की बात की है। ऐसे में इन नौनिहालों को ठंड में ठिठुरते देखना इन्हें कैसे भा रहा है ये समझ से परे हैं। (नहीं बांटे जा रहे स्वेटर)

ठंड से ठिठुर रहे बच्चे, कब योगी सरकार देगी स्वेटर

बेसिक शिक्षा मंत्री पर लग रहे आरोप (नहीं बांटे जा रहे स्वेटर)

सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के घरवालों का कहना है कि मंत्री को क्या पता कि मासूमों को कितनी सर्दी लगती है। उनके घर में ऐसी और हीटर लगे हैं तो वो बाहर की सर्दी क्या जानें। एक जागरूक नागरिक का कहना है कि प्रदेश में स्वेटर बांटने के लिए कुल 1.53 करोड़ रुपये के स्वेटर उत्तर प्रदेश में गरीब विद्यार्थियों को वितरित किया जाना है। बहुत पहले 390 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया गया। लखनऊ की एक फर्म ने ई-निविदा (ई-टेंडर) के जरिये इसके लिए 248 रुपये का न्यूनतम मूल्य निर्धारित किया।

बजट के अनुसार, प्रत्येक स्वेटर के लिए अनुमानित अनुमान 254/ – रुपये आता है। इसके बाद भी अधिकारियों ने कुछ अच्छे कारणों से निविदा रद्द कर दी। ई-निविदा के तहत यह उत्तर प्रदेश के लिए एक केंद्रीकृत खरीद थी। एक कंपनी को ये स्वेटर निर्माण कराकर वितरण करना था। इस पर अधिकारियों ने सुझाव दिया कि प्रत्येक जिला को स्वेटर खरीदने और वितरित करने की अनुमति दी जाएगी जो कि बहुत आसान होगा और छात्रों को समय से स्वेटर वितरित किया जा सकता है। अगर ये बात बेसिक शिक्षा मंत्री अनुपमा जायसवाल ने मान लो होती तो सभी 75 जिलों में बच्चों को अब तक स्वेटर समय से वितरित किये जा सकते थे। लेकिन मंत्रालय ने इस आदेश को टाल दिया। (नहीं बांटे जा रहे स्वेटर)

ठंड से कांपते बच्चे बोले योगी अंकल! स्वेटर व जूते दिलवा दीजिए

आसान हो सकता है स्वेटर वितरण का कार्य

अब इस मामले में कुछ रिश्वत भी शामिल है। कोई भी ऐसे आदेशों पर हस्ताक्षर नहीं करना चाहता है। क्योंकि बाद में उन्हें किसी भी त्रुटि के लिए जवाबदेह ठहराया जा सकता है। अधिकारी चाहते हैं कि प्रत्येक जिले में डीएम और डीआईओस स्वेटर को खरीद और वितरित करें। बिल को भुगतान के लिए मुख्यालय भेजना। यह प्रक्रिया तेजी से और गर्मियों के बजाय विंटर्स में स्वेटर देने के लिए आसान होगी।

एक यह भी मुख्य कारण है, मुख्यमंत्री कार्यालय भी कारणों से अवगत है। एक कंपनी 15 दिनों में 1.53 करोड़ स्वेटर का निर्माण नहीं कर सकती और राज्य में सभी को वितरित कर सकती है। अधिकारियों का मानना ​​है कि प्रत्येक जिले में कंपनियों को मौका मिले और स्वेटर के व्यापार और तेजी से वितरण प्रदान करना बेहतर होगा। मंत्रालय और अधिकारियों के बीच यह एक झगड़ा है। चूंकि सर्दियों के कारण उत्तर प्रदेश में स्कूल बंद हैं, इसलिए 5 जनवरी 2018 को जमीन वास्तविकता के लिए देखें, जब इसे फिर से शुरू किया जायेगा।

मोदी का सुझाव भी कमीशन के लिए ठुकराया

एक और सुझाव दिया गया था जो नरेंद्र मोदी पहल के अनुसार है, यह सुझाव दिया गया कि यदि स्वेटर को वितरित करना संभव न हो, तो स्वीकृत राशि 250 /- रूपए माता-पिता को स्थानांतरित कर दी जाये है। ये बच्चों के अभिभावकों के जनधन खाता में डाल दी जाये। इससे वे स्वयं स्वेटर खरीद सकते हैं फिर स्वेटर नहीं लेने का जिम्मेदारी पूरी तरह से माता-पिता पर है। क्योंकि सरकार कह सकती है कि हमने पैसे भेजे हैं।

आरोप लग रहे हैं कि अनुपमा ने ये भी नहीं किया क्योंकि उन्हें इससे फायदा नहीं मिल पायेगा। बीते दिनों कॉबिनेट मीटिंग में लेट लतीफी पर बात उठी थी तो ये विचार भी आया सामने सरकार तय धनराशि सीधे बच्चों में ही दे दें ताकि अपनी मर्जी का स्वेटर ले सकें, लेकिन ऐसा भी नहीं हुआ। लोग सवाल उठा रहे हैं कि सितम्बर से स्वेटर वितरण की प्रक्रिया क्यों नहीं शुरू की गई। अब देखने वाली बात ये होगी कि बच्चों को स्वेटर कब मिल पाएंगे। (नहीं बांटे जा रहे स्वेटर)

ठंड में बिना स्वेटर जमीन पर बैठकर पढ़ने को मजबूर बच्चे

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