प्रदेश की स्वास्थ्य को सुधारने का जिम्मा पांच मंत्रियों को सौंपा गया है। लेकिन सूबे की स्वास्थ्य समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। इसी का नतीजा है कि गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में जब बच्चों की मौत होती है तब सभी मंत्री सरकार की छवि को चमकाने के लिए एकजुट हो गये थे।

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  • मामला चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन के महकमे से जुड़ा था और सफाई देने के लिए
  • चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह को आना पड़ा।
  • इसका दूसरा कारण यह भी है कि सिद्धार्थनाथ सिंह प्रवक्ता भी हैं।

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स्वास्थ्य विभाग के पांच मंत्री

  • प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को चाक-चौबंद बनाने का जिम्मा पांच मंत्रियों को सौंपी गई है।
  • रीता बहुगुणा जोशी ::  महिला कल्याण, परिवार कल्याण और मातृ एवं शिशु कल्याण मंत्रालय।
  • डा. महेंद्र सिंह ::  चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्रालय।
  • स्वाती सिंह :: मातृ एवं शिशु मंत्रालय
  • आशुतोष टंडन :: चिकित्सा शिक्षा मंत्री।
  • सिद्धार्थनाथ सिंह ::  चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री।
  • जी हाँ, स्वास्थ्य महकमे की जिम्मेदारी को दोषरहित बनाने के लिए सूबे के पांच मंत्रियों को तैनात किया गया है।
  • इसके बावजूद प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था की बदहाल तस्वीर को कोई भी सुधार नहीं पा रहा है।

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आशुतोष टंडन को बचाने में जुटे सभी

  • आलम यह है कि जब मीडिया ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत पर महकमे के मुख्तार आशुतोष टंडन से सवाल पूछे तो वे मामले से अनभिज्ञता का जवाब दे बैठे।
  • यही कारण है कि बतौर प्रवक्ता आशुतोष टंडन के विभाग पर उठे सवालों के जवाब देने के लिए दूसरे मंत्रालय के मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह को मीडिया का सामना करना पड़ा था।

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  • वहीं, विभिन्न स्वास्थ्य विभागों का जिम्मा उठाने वाले घटना के कई घंटे बीत जाने के बाद भी
  • सोशल मीडिया पर अपनी सम्वेदना प्रकट करने का भी समय नहीं निकल सके।
  • ऐसे में सवाल पूछना लाजिमी है कि जब प्रदेश में आशुतोष टंडन जैसे मंत्री को बचाने के लिए ही सरकार को तमाम कवायद करनी पड़ रही है तब प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था कैसे सुधरेगी।
  • गलती आशुतोष टंडन के मंत्रालय से हुई, वावजूद इसके वह मीडिया के सामने आने से बच रहे हैं।
  • साथ ही वह इतने गंभीर मामले में जनता की नजरों के सामने आने बजाय खुद बच रहे हैं।

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